बिहार में दंगाई तत्व पुलिस प्रशासन पर पड़ रहे हैं भारी !

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संजीव कुमार

तुष्टीकरण की राजनीति ने बिहार को बारूद के ढेर पर बैठा दिया है। सरकार ने समय रहते कार्रवाई की होती तो आज तक बिहार झुलसता नहीं।

बिहार चार दिन जल रहा है। सरकार कहती है कि सब कुछ नियंत्रण में है। इसी बीच कहीं बम धमाका कर दिया जाता है। इसे देखते हुए ही वरिष्ठ भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि 17 साल में पहली बार नीतीश कुमार दंगों पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं। उनका इशारा है कि वोट बैंक के कारण राज्य सरकार दंगाइयों के विरुद्ध सख्ती नहीं कर रही है। इस कारण एक हिंदू युवक की जान जा चुकी है। कई हिंदू घायल हैं। हिंदुओं पर हमले हुए, लेकिन गिरफ्तारी भी उन्हीं की हो रही है।
बिहार के 4 जिलों में रामनवमी जुलूस पर हमला बोला गया। इसके बाद हिंसा भड़क उठी। मुजफ्फरपुर में रामनवमी शोभायात्रा पर हमला किया गया। यह पूरी तरह से प्रशासनिक विफलता का परिणाम है लेकिन अपना दोष छिपाने के लिए सत्तारूढ़ राजद ने इस हिंसा के लिए भाजपा को जिम्मेवार ठहराया है। जबकि प्रशासन का रवैया ऐसा है कि उसके सामने ही दंगाई हमले कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री का गृह जिला नालंदा हो या सासाराम सबकी एक ही कहानी है। इस बार राज्य के 5 अलग- अलग कोने में हिंसा भड़की। यह साजिश का हिस्सा है या संयोग  विश्लेषण का विषय है। रामनवमी समारोह के दौरान भड़की हिंसक झड़पों के मद्देनजर रोहतास जिला प्रशासन ने 2 अप्रैल को निर्देश दिया कि जिले में चार अप्रैल तक सभी सरकारी और निजी स्कूल बंद रहेंगे।

बिहार के दंगों पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नवादा में एक सभा में कहा कि नीतीश कुमार शांति नहीं ला सकते हैं। भाजपा शासित राज्यों में कभी दंगे नहीं होते। अगर राज्य में भाजपा का शासन होता तो दंगाइयों को उल्टा लटकाकर सीधा कर देते।
बिहार के जो हालात बन रहे हैं, उसमें ऐसा करना ही होगा। रामनवमी शोभा यात्रा के निर्धारित मार्ग की जानकारी पहले से प्रशासन को रहती है फिर भी प्रशासन की ओर से चाक चौबंद व्यवस्था नहीं की जाती है। इसका फायदा दंगाई उठाते हैं। प्रशासन की नजर सिर्फ हिंदुओं पर रहती है। कुछ लोग कहते हैं कि प्रशासन निष्पक्ष नहीं रह गया है। बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी बरसों तक गृह विभाग के प्रधान सचिव रह चुके हैं। चुनाव आयोग द्वारा उन्हें चुनाव में अनियमितता के आरोप में चुनाव कार्य करने से रोका जा चुका है फिर भी मुख्यमंत्री ने उनको लगातार गृह सचिव बनाए रखा। और फिर मुख्य सचिव के पद पर भी नियुक्त किया। भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने सुबहानी को यथाशीघ्र पद से हटाए जाने की मांग की है।

 

लेखक अभिलाष दत्त मानते हैं कि दंगाइयों का दुस्साहस एक दिन में ही नहीं बढ़ा है। बिहार में लंबे समय से तुष्टिकरण की जो नीति चल रही है उसके कारण जिहादी प्रशासन के ऊपर भारी पड़ते दिखते हैं। अभी हाल ही में भारतीय नव वर्ष के अवसर पर दरभंगा के मौलागंज में हिंदू राष्ट्र का एक छोटा बैनर लगाना प्रशासन को नागवार गुजरा। एक मुस्लिम संगठन की शिकायत पर विश्व हिंदू परिषद के सह जिला मंत्री राजीव प्रसाद मधुकर को गिरफ्तार कर लिया गया। इसमें चार नामजद अभियुक्त और 100 अज्ञात लोगों पर केस किया गया। इस मामले में पुलिस ने रामनवमी पूजा एवं चैती छठ पूजा के अवसर पर त्वरित रूप से दिशा-निर्देश भी जारी कर दिया। 75 डेसीबल से ऊपर डीजे बजाने वाले के विरूद्ध कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया। परंतु, जब बात मुस्लिम पर्वों की आती है तो प्रशासन मौन रह जाता है। शायद यही कारण है रोहतास, नालंदा, भागलपुर और गया में रामनवमी की शोभायात्रा पर हमले हुए।

इन घटनाओं के बाद बिहार में यह चर्चा है कि सरकार ने इन्हें रोकने के लिए कोई इच्छा भी नहीं दिखाई। सरकार तब होश में आई जब पूरी दुनिया में यह ख़बर फैली कि बिहार सरकार ने दंगाइयों के सामने घुटने टेक दिए हैं।

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