मध्य प्रदेश : एक और नगर का बदला गया नाम, अब नसरूल्लागंज कहलाएगा भैरूंदा

इससे पहले होशंगाबाद का नाम बदलकर नर्मदापुरम, बाबई का नाम माखन नगर और भोपाल के इस्लामनगर का नाम बदलकर जगदीशपुर किया गया था।

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WEB DESK

मध्य प्रदेश में एक और नगर का नाम बदल दिया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर के नसरुल्लागंज का नाम बदलकर भैरूंदा कर दिया गया है। इस संबंध में शनिवार को राज्य शासन ने अधिसूचना जारी कर दी गई है और इसका राजपत्र में प्रकाशन भी हो गया है। इससे पहले सरकार ने होशंगाबाद का नाम बदलकर नर्मदापुरम, बाबई का नाम माखन नगर और फिर भोपाल के फंदा तहसील अंतर्गत इस्लामनगर का नाम बदलकर जगदीशपुर किया गया था।

दरअसल, नसरुल्लागंज का नाम बदलने को लेकर लम्बे समय से स्थानीय लोग मांग कर रहे थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 22 फरवरी 2021 में इसकी घोषणा भी कर चुके थे। इसके बाद नाम बदलने की प्रक्रिया लंबे समय से चल रही थी। इस संबंध में शिवराज सिंह चौहान सरकार ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज था। वहीं, शाम को नसरुल्लागंज नगर का गौरव दिवस मनाया जा रहा है। इसमें मुख्यमंत्री चौहान भी शामिल होंगे। उनके यहां पहुंचने से ठीक पहले नाम बदलकर नसरुल्लागंज का नाम बदलकर भैरूंदा कर दिया गया। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय की मंजूरी के बाद रविवार को ही राजस्व विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी।

उल्लेखनीय है कि भोपाल रियासत की वर्ष 1908 की गजट अधिसूचना के अनुसार उस समय नसरुल्लागंज का नाम भैरुंदा था। राजपत्र में उल्लेख है कि भैरुंदा भोपाल रियासत के दक्षिणी संभाग के आठ परगनाओं में से एक था। उस समय भैरुंदा और आसपास के इलाकों में कालीन बुनने का काम किया जाता था। लंबे समय से यहां के निवासी शहर का नाम भैरुंदा करने की मांग कर रहे थे। इस संबंध में शिवराज सरकार ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था।

बताया जाता है कि आज जहां नसरुल्लागंज नगर बसा हुआ है, वहां वर्षों पहले एक छोटा सा नगर हुआ करता था, जिसमें कुछ जाति विशेष के लोग रहते थे। तब इसका नाम भैरुंदा था। यह नाम पुरानी परंपरा के आधार पर रखा गया था। पहले लोग गांव, शहर या कस्बे का नाम उसे बसाने वाले व्यक्ति, किसी जाति विशेष के आधार या अपने अराध्य देव के नाम पर रखते थे। भैरुंदा का नाम भी इसी परंपरा के आधार पर पड़ा। दरअसल, यहां निवास करने वाले कलोता समाज के लोगों के अराध्य देव भैरु महाराज है। भैरुजी में आस्था होने के कारण ग्रामीणों ने इस ग्राम का नाम भैरुंदा रखा था। कालांतर में जब मालवा, भोपाल और आसपास के क्षेत्र में मुगलों का राज कायम हुआ तो उन्होंने भैरुंदा का नाम बदलकर नसरुल्लागंज कर दिया था।

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