महानगर कोलकाता के तिलजला और मालदा जिले के गाजोल में केंद्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष के साथ हुई बदसलूकी और जांच में बाधा पहुंचाने को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। वहीं भर्ती भ्रष्टाचार, डीए आंदोलन आदि के बाद अब इस मामले को लेकर विपक्षी दल सत्ताधारी पक्ष को आड़े हाथ लेता नजर आ रहा हैं। कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर वे बार-बार ममता बनर्जी की सरकार पर उंगली उठा रहे हैं।
बता दें कि सात साल की बच्ची के यौन शोषण और उसकी हत्या के मामले की जांच कर रहे राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के काम में स्थानीय पुलिस बाधा पहुंचाने का कार्य कर रही थी। जिसका विरोध करने पर बंगाल पुलिस ने राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के साथ बदसलूकी की। अब इसी मामले को लेकर विपक्ष राज्य सरकार को निशाना बना रहा है। इस मामले को लेकर प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी पहले ही ट्वीट कर चुके हैं।
शुभेंदु अधिकारी ने शनिवार को एक ट्वीट में लिखा कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग एक वैधानिक निकाय है। जो 2005 के ”बाल अधिकार संरक्षण आयोग” के तहत है। उस आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो के साथ तिलजला थाने के अंदर ही मारपीट की गई। यह बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति है।
इस संदर्भ में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजुमदार ने कहा कि शुक्रवार को पूरे देश के लिए शर्मनाक घटना हुई। यह पश्चिम बंगाल और यहां के लोगों के लिए शर्म की बात है कि पुलिस बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष पर हाथ उठा रही है। इसके साथ ही सुकांत ने यह भी कहा कि वे इस मुद्दे पर अलग से केंद्र को रिपोर्ट नहीं कर रहे हैं, क्योंकि केंद्र को पूरे मामले की जानकारी है।
भाजपा नेता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि तिलजला कांड सिर्फ एक उदाहरण है। इससे संविधान के रक्षक समझ सकते हैं कि इस राज्य में कानून व्यवस्था की क्या स्थिति है। पश्चिम बंगाल में मानवाधिकारों और कानून व्यवस्था कितनी दयनीय स्थिति में है, यह पूरा देश देख रहा है।
सत्ता पक्ष अभी इस पर कोई टिप्पणी करने को तैयार नहीं है। शनिवार को प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक जिस पुलिस अधिकारी के खिलाफ प्रियांक ने शिकायत की थी, वह बिस्वाक मुखर्जी हैं, जो छुट्टी पर चले गए हैं।
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