पेशावर से आए एक समाचार से पता चला है कि वहां एक सिख दुकानदार दयाल सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। उन पर यह हमला तब बोला गया था, जब वे अपनी दुकान में बैठे हुए थे। अचानक मोटरसाइकिल पर सवार होकर आए हत्यारों ने गोलियों की बौछार करके उनके प्राण ले लिए।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले हो रहे हैं। पेशावर की यह घटना कल दोपहर की बताई जा रही है। स्थानीय पुलिस के अनुसार, दयाल सिंह उस वक्त अपनी दुकान में बैठे थे कि तभी मोटरसाइकिल पर हत्यारे आए और उनकी तरफ ताबड़तोड़ गोलियां चलाने लगे। बताते हैं, दयाल सिंह के सिर में गोलियां मारी गई थीं, जिससे वे इतनी बुरी तरह जख्मी हो गए थे कि मौके पर ही उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन कोई कुछ समझ पाता, उससे पहले हत्यारे अपनी मोटरसाइकिल से मौके से फरार होने में कामयाब रहे।
पुलिस का कहना है कि दयाल सिंह को निशाना बनाकर हत्या की गई है। पुलिस मामले की जांच तो कर रही है, लेकिन उससे कोई ठोस कार्रवाई की उम्मीद किसी को नहीं है क्योंकि मारे जाने वाले करीब 35 साल के दयाल सिंह अल्पसंख्यक समुदाय से थे। वे पेशावर की दिर कॉलोनी में अपनी दुकान चलाते थे। इस हमले से पूर्व वहां कई हिंसक घटनाओं को इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान ने अंजाम दिया था। ऐसा उसका खुद का दावा है।
पेशावर में दयाल सिंह की हत्या से इलाके में बसा हिन्दू समूदाय स्तब्ध और भयाक्रांत है। प्रशासन वैसे भी उनके साथ हो रहे अत्याचार की तरफ से आंखें मूंदे रहता है। अल्पसंख्यकों पर एक के बाद एक हमलों पर जहां मजहबी उन्मादी चुप हैं वहीं संघीय सरकार ऐसे अपराधों में दिलचस्पी भी नहीं लेती इसी वजह से पुलिस भी ऐसे मामलों को अनमने ढंग से ही देखती है।
इससे एक दिन पहले कराची में कुछ हमलावरों ने एक हिंदू डॉक्टर की भी गोली मार हत्या की थी। उस हमले में एक अन्य महिला डॉक्टर घायल हुई थी। इतना ही नहीं, 7 मार्च को भी कराची में ही एक हिंदू डॉक्टर धर्म देव राठी की उनके ही मजहबी उन्मादी ड्राइवर ने हत्या कर दी थी।
अब पेशावर में दयाल सिंह की हत्या से इलाके में बसा हिन्दू समूदाय स्तब्ध और भयाक्रांत है। प्रशासन वैसे भी उनके साथ हो रहे अत्याचार की तरफ से आंखें मूंदे रहता है। अल्पसंख्यकों पर एक के बाद एक हमलों पर जहां मजहबी उन्मादी चुप हैं वहीं संघीय सरकार ऐसे अपराधों में दिलचस्पी भी नहीं लेती इसी वजह से पुलिस भी ऐसे मामलों को अनमने ढंग से ही देखती है।
टिप्पणियाँ