नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को एक बार फिर कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मनीष सिसोदियो को कोई राहत नहीं दी है। राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी। स्पेशल जज एमके नागपाल ने ये आदेश दिया। मनीष सिसोदिया अभी दिल्ली के तिहाड़ जेल में हैं। उन्हें 26 फरवरी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।
शुक्रवार को राउज एवेन्यू कोर्ट ने कहा कि पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर लगे आरोप गंभीर हैं। मामले की सीबीआई जांच जारी है, जमानत नहीं दी जा सकती है। 34 पृष्ठ के आदेश में कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया सबूतों और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। आपराधिक षड्यंत्र में सिसोदिया की सक्रिय भूमिका रही। प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत भी अपराध किया गया दिख रहा है। सिसोदिया आबकारी घोटाले के आपराधिक साजिश के कर्ताधर्ता थे। कोर्ट ने कहा कि 90-100 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत सिसोदिया और उनके सहयोगियों को देने के लिए थे। इनमें से 20-30 करोड़ रुपये विजय नायर, अभिषेक बोईनपल्ली और दिनेश अरोड़ा के जरिये पहुंचता था।
गौरतलब है कि कोर्ट ने 24 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान सिसोदिया ने कहा था कि उनके भागने की कोई संभावना नहीं है। सिसोदिया की ओर से पेश वकील दायन कृष्णन ने कहा था कि पत्नी की तबीयत बीते 20 साल से खराब है और देखभाल के लिए कोई नहीं है। उन्होंने सीबीआई की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा था कि वह कानून के दायरे में काम नहीं कर रही है।
सीबीआई की ओर से दलील देते हुए वकील डीपी सिंह ने कहा कि सिसोदिया 18 मंत्रालय देख रहे थे। इसमें शिक्षा विभाग के साथ वित्त और आबकारी विभाग भी था। उनको सारी जानकारी थी। सीबीआई ने जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि भले ही सिसोदिया का देश छोड़कर भागने का खतरा न हो, लेकिन जमानत के बाद गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
सिसोदिया फिलहाल ईडी हिरासत में हैं। उनसे ईडी भी पूछताछ कर चुकी है। ईडी दिल्ली आबकारी नीति मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच कर रही है। ईडी ने कोर्ट को बताया कि मनीष सिसोदिया के सचिव ने बयान दिया है कि मनीष सिसोदिया के कहने पर ही मुनाफा बढ़ाया गया और नियमों में बदलाव हुआ। विजय नायर पूरी साजिश को अंजाम दे रहा था। ईडी ने कहा कि बुची बाबू ने बताया कि मनीष सिसोदिया और बीआरएस नेता के. कविता के बीच राजनीतिक तालमेल था। कविता ने विजय नायर से मुलाकात की थी। मनीष सिसोदिया के इशारे पर ही विजय नायर टेलीग्राम ऐप पर बुची बाबू से बातचीत करते थे। मनीष सिसोदिया ने कुछ खास पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए आबकारी नीति में बदलाव किया। बड़े व्यापारियों को विशेष छूट दी और आबकारी कारोबार को निजी हाथों में सौंप दिया।
ईडी ने कहा कि सिसोदिया के सचिव ने अपने बयान में कहा कि उसके नाम पर सिम कार्ड और फोन का इस्तेमाल किया गया। उन डिजिटल साक्ष्यों को नष्ट करने का मकसद जांच को भटकाना था। मनीष सिसोदिया ने एक साल के भीतर 14 फोन को नष्ट किया। दूसरे के नाम पर सिम कार्ड और फोन खरीदे।
जासूसी मामले में भी घिर चुके हैं मनीष सिसोदिया
नेताओं की कथित जासूसी मामले में भी सीबीआई ने मनीष सिसोदिया समेत पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। सीबीआई ने यह मुकदमा फीडबैक यूनिट मामले में दर्ज किया है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गत दिनों इस मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। मनीष सिसोदिया पर विपक्षी नेताओं की जासूसी कराने का आरोप है। इस पर सीबीआई ने बीते दिनों मनीष सिसोदिया और अन्य अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने और जांच की अनुमति मांगी थी। दिल्ली सरकार ने 2015 में फीडबैक यूनिट का गठन किया था, जिसमें 20 अधिकारियों ने काम शुरू किया था। आरोप है कि इस यूनिट ने फरवरी 2016 से सितंबर 2016 तक राजनीतिक विरोधियों की जासूसी की। इस यूनिट ने न सिर्फ बीजेपी के बल्कि आम आदमी पार्टी से जुड़े नेताओं की भी जासूसी की। इसके लिए एलजी से कोई अनुमति नहीं ली गई थी। आरोप है कि यूनिट ने निर्धारित कामों के अलावा भी राजनीतिक खुफिया जानकारी जुटाई।
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