वैष्णों हिंदू ढाबा लिख कर मुस्लिम चला रहे होटल, ना कोई जांच ना कोई पड़ताल
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वैष्णों हिंदू ढाबा लिख कर मुस्लिम चला रहे होटल, ना कोई जांच ना कोई पड़ताल

- इन होटलों के मालिक मुस्लिम, कारीगर मुस्लिम और वेटर भी मुस्लिम लेकिन सबका उपनाम हिंदू

by विशेष संवाददाता
Mar 31, 2023, 06:51 pm IST
in भारत, उत्तराखंड
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उत्तराखंड और पश्चिम उत्तर प्रदेश में दर्जनों ऐसे नामी ढाबे है जिनके मालिक,कारीगर वेटर सब मुस्लिम है और उन्होंने ढाबे के नाम हिंदू या फिर ऐसे भ्रामक नाम है जिसपर खाना खाने वाले को भी संदेह ना हो।

उत्तराखंड यूपी की सीमा पर मशहूर चीतल ढाबा है सालों से यहां लोग भोजन करने आते है लेकिन नब्बे फीसदी से ज्यादा आने वाले लोगों को पता ही नही कि ये मुस्लिम कारोबारी का ढाबा है और इसके काम करने वाले सभी स्टाफ के लोग ज्यादातर मुस्लिम है और यहां ये दावा किया जाता है कि कि यहां शुद्ध वैष्णव भोजन मिलता है।

ऐसे कई ढाबे है जिनके नाम गढ़वाल ढाबा, जायका, गुलशन ढाबा, अमन ढाबा, रिमझिम यहां तक की नीलकंठ, महादेव, जैसे है लेकिन इनके संचालक मुस्लिम बताए जाते है।

हरिद्वार नजीबाबाद रोड पर चिडियापुर और समीरपुर गंग नहर रोड पर भी ऐसे ढाबे है जोकि मुस्लिम चला रहे है। इनके बोर्ड पर हिंदू देवी देवताओं की बड़ी बड़ी तस्वीरे लगी है, जिन पर ये लिखा है शुद्ध वैष्णव ढाबा, जबकि यहां आप जैसे ही गूगल-पे अथवा पेटीएम से भुगतान करेंगे तो इनकी हकीकत सामने आ जाती है।

ऐसे एक दो नहीं पश्चिम उत्तर प्रदेश में मेरठ, गजरौला, गढ़ मुक्तेश्वर, मूंडपांडे हाईवे पर भी दर्जनों ढाबे चल रहे है जिनके मालिक और स्टाफ के विषय में भ्रम है कि इनके मालिक हिंदू है या मुस्लिम, हाल ही में संपन्न नव रात्रि पर हिंदू समुदाय प्याज लहसुन से परहेज करता है, पहले वैष्णव ढाबा भी उसी को बोला जाता था कि जहां प्याज लहसुन का प्रयोग भोजन में नही होता था और शुद्ध शाकाहारी उस भोजनालय को बोला जाता था जहां भोजन में ब्याज लहसुन प्रयुक्त होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है।

इन ढाबों में काम करने वाले लोगो के नाम राजू, गुड्डू, सोनू, विक्की, जैसे होंगे गले में माला हाथो में  मोटा कलावा बांधे हुए होंगे,एक नजर में कहीं भी ग्राहक को नहीं लगेगा कि ये हिंदू नही है। जबकि वास्तविकता उसका ओरिजनल नाम पूछने पर मिलती है कई बार ये युवक वहां भी भ्रम पैदा करते है कोई अमन, कोई राहुल कोई हयात कोई गुलशन जैसा नाम आपको बताएगा जैसे ही आप पूरा नाम पूछेंगे या फिर आधार कार्ड तक जाएंगे तो हकीकत सामने आ जाती है।

पिछले दिनों हरिद्वार देहात में एक ढाबे में भोजन में घी के बजाय पशुचर्बी मिलाने की खबर ने सकते में डाल दिया था। खास बात ये है कि इन ढाबों में क्या खिलाया जा रहा है उसमे क्या मिलाया जा रहा है इस पर किसी सरकारी एजेंसी का जांच पड़ताल अथवा नियंत्रण नहीं है। यहां तक की कई ढाबों, रेस्त्रां के फूड लाइसेंस तक नही है।

उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर में रोडवेज स्टेशन के पास शमा रेस्त्रा है, कई सालों तक ग्राहक उसे शर्मा ढाबा समझते रहे क्योंकि चांद तारे को शमा के ऊपर ऐसा लिखा हुआ था कि उसके भ्रम में ग्राहक आते रहे। पश्चिम उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड बॉर्डर पर चाय, जूस, नारियल पानी आदि बेचने वाले ज्यादातर मुस्लिम ही है।

बरहाल ये खबर इस लिए संज्ञान में आई कि बहुत से हिंदू समाज के लोग खास तौर पर महिलाएं अपने घर से बाहर भोजन लेने में सावधानी बरतती है और गैर हिन्दू भोजनालय में जाने से हमेशा परहेज करती है।

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