पीलीभीत। अलगाववादी संगठन “वारिस पंजाब दे” का भगोड़ा अध्यक्ष अमृतपाल जिस स्कार्पियो कार से फरार हुआ, वह गाड़ी पीलीभीत में एक गुरुद्वारे के मुख्य ग्रंथी बाबा मोहन सिंह की निकली है। पंजाब में उत्तराखंड नंबर की कार बरामद होने के बाद से उसके मालिक ग्रंथी पीलीभीत से गायब हैं। पुलिस उनकी तलाश में जुटी है। सोशल मीडिया के जरिए जहरीले बयान दे रहे फरार अमृतपाल को पकड़ने के लिए जांच एजेंसियों ने पूरे देश में जाल बिछा रखा है। उत्तराखंड के रास्ते नेपाल की ओर भागने की आशंका के चलते यूपी के सीमावर्ती जिलों में भी पुलिस को अलर्ट पर रखा गया है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अमृतपाल के फरार होने में इस्तेमाल हुई स्कार्पियो कार पीलीभीत जिले में अमरिया क्षेत्र के बड़ेपुरा स्थित गुरुद्वारे के ग्रंथी बाबा मोहन सिंह के नाम रजिस्टर्ड पाई गई है। पंजाब के फगवाड़ा में अमृतपाल ने स्कॉर्पियो छोड़ दी थी और दूसरी इनोवा कार में सवार होकर आगे निकल गया। पंजाब पुलिस ग्रंथी से पूछताछ के लिए पीलीभीत पहुंची मगर वह नहीं मिले। गुरुद्वारे के सेवादार गुरुप्रीत सिंह ने बताया है कि बुधवार सुबह तक वहां मौजूद थे। उसके बाद नहीं देखे गए हैं। चर्चा ये भी है कि पंजाब की टीम उनको हिरासत में लेकर साथ ले गई है, हालांकि लोकल पुलिस के स्तर से इसकी पुष्टि नहीं की जा रही।
अमृतपाल यूपी के सीमावर्ती क्षेत्रों के रास्ते नेपाल भागने की कोशिश कर सकता है। इस तरह की सूचनाएं मिलने के बाद पीलीभीत, खीरी, बहराईच जिलों में जगह-जगह भगोड़े अमृतपाल के पोस्टर चस्पा कर सीमावर्ती क्षेत्रों की निगरानी कराई जा रही है। अमृतपाल की लास्ट लोकेशन हरियाणा के कुरुक्षेत्र में मिली थी। उसके बाद ऐसी आशंका से इंकार नहीं किया जा रहा कि अमृतपाल छिपने के लिए यूपी और उत्तराखंड में पहुंच सकता है। सीमावर्ती क्षेत्रों से नेपाल भी भाग सकता है। यूपी के पीलीभीत, खीरी, बहराइच, बलरामपुर और महराजगंज से नेपाल की सीमा जुड़ती है और दोनों देशों के लोग खुली सीमा से एक दूसरे की ओर आवागमन करते हैं। ट्रकों के माध्यम से भारत से तमाम खाद्य सामग्री की आपूर्ति भी नेपाल को होती है।
जांच एजेंसियों की निगाह सबसे ज्यादा पीलीभीत जिले पर हैं। नाभा जेल ब्रेक कांड का कनेक्शन पीलीभीत से जुड़ा रहा था। नाभा कांड की साजिश का मुख्य अभियुक्त गोपी घनश्याम पुरिया को यूपी एटीएस और पंजाब पुलिस ने मिलकर गिरफ्तार किया था। वह फर्जी दस्तावेजों के सहारे वह पासपोर्ट बनवाकर पीलीभीत में रह रहा था। बाद में पंजाब पुलिस ने उसका पासपोर्ट निरस्त करवाया था। साथ ही पासपोर्ट पर रिपोर्ट लगाने वाले दरोगा सहित तीन पुलिसकर्मी सस्पेंड भी किए गए थे। अब अमृतपाल के फरार होने में पीलीभीत के ग्रंथी की कार का इस्तेमाल होने से यूपी में पुलिस और गुप्तचर एजेंसियां फिर चौकन्नी हो गई हैं।
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