मध्य प्रदेश के मुरैना में राज्य बाल संरक्षण आयोग को जांच किए दो दिन भी नहीं हुए थे कि ग्वालियर की डबरा तहसील के सिमरिया में बने सेंट पीटर स्कूल में खामियां मिलीं। स्कूल में जहां सुविधाओं का अभाव है, वहीं अभिभावकों से मोटी फीस भी वसूली जा रही थी। स्कूल संचालन की मान्यता नहीं होने के साथ ही ईसाई मतांतरण संबंधी प्रचार सामग्री बड़ी मात्रा में बरामद हुई है।
सिमरिया के सेंट पीटर स्कूल में जब मप्र राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा और ओंकार सिंह पहुंचे तो परिसर के हालात देखकर हतप्रभ रह गए। हर कक्षा में न सिर्फ क्रॉस, ईशू, बाईबिल को उद्धरित किया गया था बल्कि प्रार्थना की विशेष पुस्तिकाएं भी जगह-जगह मिलीं, जिनका पाठ सभी विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य है।
अवैध तरीके से रह रहीं नन
सेंट पीटर स्कूल के अंदर कई नन रह रही थीं। बिना आवासीय अनुमति के यहां आवास का मिलना तथा इन सभी की उपस्थिति के साथ विशेष कमरे में धर्मप्रचार संबंधी सामग्री का जखीरा मिलना साफ संकेत कर रहा है कि कई वर्षों से बिना किसी रोक-टोक के मतांतरण कराया जा रहा है। बाहर से आए ईसाई प्रचारकों के लिए रुकने की सर्वसुविधायुक्त आवास व्यवस्था को देखकर दोनों बाल आयोग सदस्य अचंभित रह गए। उन्होंने स्कूल के प्राचार्य फादर दिलीप नंदा से पूछा भी कि यह धर्मप्रचार की सामग्री स्कूल में क्या कर रही है? लेकिन वे कोई भी संतोष जनक जवाब नहीं दे पाए।
स्कूल के पास नहीं है विद्यालय संचालन की मान्यता
स्कूल संचालक से जब विद्यालय के मान्यता संबंधी दस्तावेज मांगे गए तो प्रबंधन जरूरी दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं करा पाया। इस पर आयोग के सदस्यों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि बिना मान्यता के विद्यालय संचालित कैसे किया जा सकता है? यह छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। ऐसे विद्यालयों को प्रशासन तुरंत बंद करे, जिनमें शासन के नियमों का पालन तक नहीं किया जा रहा।
लाइब्रेरी से पंथ विशेष के प्रचार-प्रसार की सामग्री मिली
आयोग के सदस्यों ने पादरी दिलीप नंदा से भवन निर्माण, जमीन के डायवर्सन से संबंधित दस्तावेज दिखाने को कहा तो वे नहीं दिखा सके। लाइब्रेरी से मत विशेष के प्रचार-प्रसार की सामग्री भी बाल संरक्षण आयोग की टीम द्वारा बरामद की गई है ।
बिना अनुमति के काट दिया पहाड़
जांच में यह भी सामने आया है कि स्कूल के किसी भी कर्मचारी, यहां रह रहे फादर्स, नन और सिस्टर तक बल्कि खुद प्रिंसिपल का भी पुलिस वेरिफिकेशन नहीं किया गया। इसके साथ ही इस विद्यालय का भवन भी एक पहाड़ को काटकर बिना किसी अनुमति के तैयार कर लिया गया है। जिसको लेकर आयोग के सदस्यों ने नाराजगी व्यक्त की है। देर रात तक यह कार्रवाई चलती रही, जिसमें स्कूल की ओर से कोई मान्यता प्राप्त दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं कराए जा सके, इसके बाद एसडीएम के निर्देश पर स्कूल को सील कर दिया गया है।
फादर-प्रिंसिपल पर चल चुका है मामला
इस पूरे मामले को लेकर डॉ. निवेदिता शर्मा से बात की गई तो उनका कहना है कि निरीक्षण के दौरान स्कूल में बड़ी मात्रा में पंथ विशेष से संबंधित प्रचार-प्रसार सामग्री मिली। विद्यालय के प्राचार्य और अन्य स्टाफ का पुलिस वेरिफिकेशन नहीं मिला, जबकि स्कूल के प्राचार्य पर पहले धारा 376 का मुकदमा चल चुका है।
आईसीएससी की आड़ में बचता रहा मिशनरी स्कूल
डॉ. निवेदिता शर्मा ने बताया कि 1997 में स्थापित यह स्कूल 2007 तक एमपी बोर्ड के अधीन चलता रहा ऐसा बताया गया और उसके बाद आईसीएससी से इसने मान्यता ली। आईसीएससी भी किसी को लगातार 10 साल की मान्यता देती है । एक बार को यह भी सच मान लें तब भी 2017 में सेंट पीटर स्कूल की मान्यता समाप्त हो गई, लेकिन उसके बाद भी यह विद्यालय संचालित हो रहा है। उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधक किसी भी तरह की मान्यता प्राप्ति का कोई दस्तावेज नहीं दिखा सके। जब विद्यालय प्रबंधक से पूछा गया कि वर्ष 1997 में यह विद्यालय मध्य् प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग से मान्यता लेकर आरंभ किया गया था तो आप मान्यता संबंधी कागज दिखाएं तो यहां का प्रबंधक एक भी दस्तावेज नहीं दिखा पाया। यानी कि यह स्कूल फर्जी तरीके से चलाया जा रहा है ।
बच्चियों की निजता से हो रहा खिलवाड़
आयोग की सदस्या डॉ. निवेदिता शर्मा ने बताया कि यहां बच्चि्यों के लिए बने टॉयलेट भी अंदर से खुले हुए पाए गए हैं, यह सीधे तौर पर बच्चियों की निजता से खिलवाड़ है। जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
यहां पढ़ते हैं 97 प्रतिशत से अधिक हिन्दू बच्चे
बाल आयोग के सदस्य ओेंकार सिंह ने कहा कि विद्यालय की हर कक्षा में पंथ विशेष की प्रार्थना का पाया जाना, हर जगह से पंथ विशेष का साहित्य मिलना जबकि यहां 97% से अधिक बहुसंख्यकक समाज के बच्चे पढ़ते हैं, किसी और दिशा की ओर इशारा कर रहा है। यहां पहली नजर से पता चलता है कि नियमविरुद्ध कार्य इस स्कूल में हो रहे हैं। बालकों के हित में कार्य करनेवाला हमारा आयोग जिसे कभी भी स्वीकार्य नहीं कर सकता है। हमारे लिए बालकों का हित ही सर्वोपरि है। अंदर ननों का मिलना तथा आवासीय नहीं होने पर आवास मिलना भी कई संदेह पैदा करता है। फिलहाल हमने अपनी प्ररंभिक कार्रवाई की है, अंतिम रिपोर्ट भोपाल पहुंच कर तैयार की जाएगी।
शिक्षा अधिकारी करते रहे पत्राचार लेकिन स्कूल करता रहा अवहेलना
यहां शिक्षा विभाग की ओर से उपलब्ध डबरा ब्लॉक के शिक्षा अधिकारी बीआरसी विवेक चौखुटिया का कहना था कि स्कूल प्रबंधन के पास मान्यता नहीं है, यह बात बिल्कुाल सच है। इस संबंध में हमारी ओर से अनेक पत्र समय-समय पर लिखे जाते रहे हैं, लेकिन आज तक कोई भी मान्यता लेने का प्रयास स्कूल प्रबंधन ने नहीं किया है। इस विद्यालय का प्रबंधक हर बार आईसीएससी बोर्ड मान्यता का हवाला देकर मौखिक तौर पर अपनी जिम्मेदारी से भागता रहा है, लेकिन हम भी लगातार देख रहे थे कि आखिर कब तक ये अपनी मान्यता रिन्यू नहीं कराते। आज आयोग के अचानक हुए इस निरीक्षण से अनियमितताएं भी विद्यालय की उजागर हुई हैं। फिलहाल एसडीएम महोदय के निर्देशानुसार सेंट पीटर स्कूल को सील कर दिया गया है।
विश्व हिन्दू परिषद और हिन्दू जागरण मंच सक्रिय
जैसे ही इन अनियमितताओं की खबर विश्व हिंदू परिषद और हिन्दू जागरण मंच को मिली वे डबरा एसडीएम कार्यालय पर धरना प्रदर्शन करने पहुंच गए। डबरा एसडीएम ने जब विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनी तो विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा तहसील प्रांगण में ढोल नगाड़े बजाए गए और साथ ही एसडीएम कार्यालय के सामने बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ भी किया गया। मामला बढ़ता देख डबरा एसडीएम कार्यालय से बाहर निकले और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं से आवेदन लेकर उनकी मांगें सुनी।
विहिप ने सौंपा ज्ञापन
इस संबंध में विश्व हिंदू परिषद डबरा के जिला अध्यक्ष दीपक भार्गव ने कहा कि यदि प्रशासन इस तरह स्कूलों में चल रहे मतांतरण के प्रचार-प्रसार को लेकर पहले से गंभीर रहता और कार्रवाई करता तो आज यह नौबत नहीं आती। आज विश्व हिंदू परिषद द्वारा प्रशासन के समक्ष ज्ञापन सौंपते हुए मांग रखी गई है कि ऐसे स्कूलों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए क्योंकि यहां बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
स्कूल की अधिकांश जमीन कृषि भूमि
उल्ले़खनीय है कि इस कार्रवाई के दौरान जब स्कूल का डायवर्सन एसडीएम व नायब तहसीलदार ने चेक किया तब पाया गया कि यहां कि अधिकांश भूमि कृषि भूमि है। जोकि कई बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है। इस स्कूल में करीब 1300 विद्यार्थी पढ़ते हैं। इससे पहले शनिवार को बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा मुरैना के सेंट मैरी स्कूल अचानक निरिक्षण करने पहुंची थीं, जहां पादरी के कमरे से शराब की बोतलें समेत बेहद आपत्तिजनक वस्तुमएं पाई गईं थीं। जिसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने कार्रवाई करते हुए इस स्कूल को सील कर दिया था।
धर्म स्वातंत्र्य कानून का नहीं है भय
मध्य प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता कानून “जबरदस्ती, बल, गलत बयानी, अनुचित प्रभाव और प्रलोभन” के साथ-ही धोखाधड़ी, या विवाह के माध्यम से कन्वर्जन पर रोक लगाता है। इसके साथ ही यह किसी व्यक्ति को ऐसे कन्वर्जन के लिए “उकसाने और साजिश रचने” से रोकता है। इसमें ऐसे रूपांतरणों को “अशक्त और शून्य” घोषित करने का प्रावधान है। लेकिन कन्वर्जन में लगे लोगों को इस कानून से कोई भय नहीं दिख रहा है।
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