मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के वन प्रवास से जुड़े 290 स्थलों की खोज
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के वन प्रवास से जुड़े 290 स्थलों की खोज

by पूनम नेगी
Mar 29, 2023, 08:24 am IST
in भारत, संस्कृति
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारत के अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त इतिहासकार, पुरातत्वशास्त्री और अनुसंधानकर्ता डॉ. राम अवतार शर्मा ने अपने 48 सालों के अथक परिश्रम से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के वन प्रवास से जुड़े 290 स्थलों की खोज कर उन्हें भारत का इतिहास पुरुष साबित करने का स्तुत्य प्रयास किया है। रामायण सर्किट की राष्ट्रीय कमेटी के अध्यक्ष के रूप में डॉ. शर्मा ने श्रीराम के वन प्रवास के विभिन्न पौराणिक स्मारकों, भित्तिचित्रों, गुफाओं आदि स्थलों के समय-काल की जांच पुरातात्विक व वैज्ञानिक तरीकों से कर इन साक्ष्यों को त्रेतायुगीन स्मारक तीर्थ के रूप में संग्रहालय में स्थापित किया है। वे राम सर्किट (रामायण परिपथ) से जुड़े वृतचित्र के माध्यम से लोगों को जागरूक करने ने भी जुटे हैं। डॉक्टर शर्मा का कहना है कि आज श्रीराम से जुड़े स्थलों के संरक्षण की आवश्यकता है, ताकि हम अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सहेज सकें। उनकी संस्तुति पर भारत की केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों ने भी इन तीर्थों के विकास की योजनायें बनायी हैं। ज्ञात हो कि डॉ राम अवतार ने श्री राम के वनपथ स्थलों को दो वर्गों में चिह्नित किया है। पहले वर्ग में महामुनि विश्वामित्र के साथ राजकुमार श्रीराम-लक्ष्मण की अयोध्या से मिथिला तक की यात्रा के मध्य के 41 स्थल आते हैं जबकि दूसरे वर्ग में श्रीराम के 14 साल के वनवास काल के 249 स्थल चिह्नित हैं।

राजकुमार राम के अयोध्या से मिथिला तक
की यात्रापथ के प्रमुख स्थल

वन प्रान्त की आसुरी शक्तियों का विनाश करने के लिए राजकुमार के रूप में भाई लक्ष्मण व महामुनि विश्वामित्र के साथ अयोध्या के राजमहल से निकले भगवान राम ने अयोध्या से मिथिला तथा जनकपुर (नेपाल) तक की यात्रा में जिन स्थलों पर विश्राम किया था; उनमें से कुछ प्रमुख स्थल निम्नांकित हैं-

  1. 1.ताल सलोना (अजमगढ़)– डॉ राम अवतार के अनुसार अयोध्या के राजमहल से निकल कर श्रीराम- लक्ष्मण व मुनि विश्वमित्र ने सरयू किनारे चलते-चलते आजमगढ़ से करीब 40 किलोमीटर दूर ताल सलोना से जल पीकर निकट की वाटिका में कुछ देर विश्राम किया था।
  2. बारदुअरिया मंदिर (मऊ)– आजमगढ़ से आगे भगवान राम भाई व गुरु के साथ सरयू के किनारे मऊ तक आये और यहां पुरानी सरयू तथा टोंस नदी के संगम पर स्नान किया था। यह स्थान आज बारदुअरिया के नाम से जाना जाता है। यहां एक प्राचीन मंदिर भी है। 3. लखनेश्वरडीह (बलिया)– यह जगह उत्तर प्रदेश के बलिया में है। मान्यता है कि सरयू जी किनारे विश्वामित्र मुनि के साथ जाते समय लक्ष्मण जी ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। इस कारण लक्ष्मण जी के नाम पर इस जगह को लखनेश्वर डीह तीर्थ के रूप में जाना जाता है। 4. भरोली (बलिया)- वाल्मीकि रामायण के अनुसार जनकपुर की ओर जाते समय विश्वामित्र जी श्रीराम व लक्ष्मण को उत्तर प्रदेश के बलिया में स्थित इसी स्थान पर भोर में उठाकर आगे बढ़े थे। इसीलिए इस गांव का नाम भरोली पड़ गया।
    5. परेव (पटना)- जनकपुर की ओर जाते समय भगवान राम व लक्ष्मण ने गुरु विश्वामित्र के साथ यहां पड़ाव डाला था। अब यहां मोहनेश्वर महादेव का मंदिर है।
    6. त्रिगना घाट (पटना)- कहा जाता है कि विश्वामित्र जी ने श्रीराम व लक्ष्मण के साथ यहीं से महानद सोनभद्र को पार किया था।
    7. रामचौरा मंदिर (वैशाली)- वर्तमान में बिहार के वैशाली में हाजीपुर नगर में स्थित रामचौरा मंदिर उसी स्थान पर माना जाता है जहां भगवान राम, लक्ष्मण जी और विश्वामित्र ने गंगा पार कर एक रात्रि विश्राम किया था।
    8. गौतम आश्रम (दरभंगा)- दरभंगा के इसी स्थान पर महर्षि गौतम का आश्रम था जहां श्रीराम ने अहिल्या का उद्धार किया था। यह स्थान अब अहियारी के नाम से प्रसिद्ध है।
    9. विश्वामित्र आश्रम (मधुबनी)- मधुमनी के बिशौल में एक विश्वामित्र आश्रम है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार मुनि विश्वामित्र ने राम और लक्ष्मण के साथ जनक जी के इसी उपवन में डेरा डाला था।
    10. गिरिजा मंदिर फुलहर (मधुबनी)- बिहार के मधुबनी जिले के फुलहर गांव के इस गिरिजा मंदिर में माँ सीता ने गिरिजा भवानी से मनोरथ पूरी करने की प्रार्थना की थी और इसी मंदिर की वाटिका से श्रीराम- लक्ष्मण ने गुरु विश्वामित्र जी की पूजा के लिए पुष्प चुने थे।
    11. जनकपुर (नेपाल)- इसी स्थान पर सीता स्वयंवर हुआ था और शिव जी का पिनाक धनुष तोड़कर श्रीराम ने सीता जी से विवाह की शर्त पूर्ण की थी। जनकपुर के धनुषा मंदिर में परशुराम और लक्ष्मण का संवाद भी हुआ था।12. मणिमंडप (जनकपुर)- जनकपुर में मणिमंडप नामक स्थान पर राम सहित चारों भाइयों का विवाह हुआ।
    13. सीताकुंड वेदीवन (पूर्वी चंपारण)- मोतिहारी के निकट इस स्थान पर विवाहोपरांत अयोध्या लौटते समय श्रीराम की बारात ने रात्रि विश्राम किया था। यहां एक जलकुण्ड में सीता मां का कंगन खुला था। मान्यता है कि इस कुण्ड में पानी पाताललोक से आता है, इस कारण यह कुंड कभी नहीं सूखता।
    14. डेरवां (गोरखपुर)- जनकपुर से वापसी के दौरान भगवान राम की बारात का तीसरा विश्राम स्थल डेरवां था।
    15. दोहरी घाट (मऊ)-इस स्थान पर श्रीराम और परशुराम जी की सरयू किनारे भेंट हुई थी।


प्रभु श्रीराम के 14 वर्ष के वनवास काल की
यात्रापथ के प्रमुख स्थल

अपने 14 वर्ष के वनवास काल में भगवान श्रीराम ने कई स्थानों पर रहकर तप साधना और कई महान ऋषि-मुनियों से विद्या ग्रहण की थी। वनवासी समाज को संगठित कर उनके सहयोग से उन्होंने तदयुग की सर्वाधिक शक्तिशाली आसुरी शक्ति रावण का अंत कर धरती पर धर्म का साम्राज्य स्थापित किया था। यह महान अरण्य संस्कृति का ही प्रभाव था जिसने राजकुमार राम को ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ व ‘संस्कृति पुरुष’ के रूप में रूपान्तरित कर दिया।

डॉ राम अवतार शर्मा के मुताबिक प्रभु श्री राम का वन गमन मार्ग देश के नौ राज्यों से होकर गुजरता है। इन सभी राज्यों के लोग और आदिवासी आज भी श्रीराम से जुड़ी कई परंपराओं को निभाते हैं। जैसे छत्तीसगढ़ में जसतुर की आदिवासी महिलाओं को माता सीता ने बांस की टोकरी बनाना सिखाया था। इसलिए आज भी यहां कि आदिवासी महिलाएं जब बांस की टोकरी बनाना आरंभ करती हैं, तो सबसे पहली टोकरी माता सीता के नाम की बनाती हैं। वहीं नेपाल के जनकपुर जैसे क्षेत्रों के लोग रामचंद्र जी को आज ही अपना दामाद मानते हैं। भगवान राम ने अपनी वनवास यात्रा अयोध्या से प्रारंभ करते हुए रामेश्वरम और उसके बाद श्रीलंका में समाप्त की थी। आइए जानते हैं उनके वनवास काल के प्रमुख पुरायुगीन स्थलों के बारे में –
1. तमसा नदी- अयोध्या से 20 किमी दूर है तमसा नदी। यहां पर उन्होंने नाव से नदी पार की। इसी कारण यह नदी रामायण में सम्मान पा गयी।
2. श्रृंगवेरपुर तीर्थ- अयोध्या की सीमा पर निषादराज गुह के राज्य श्रृंगवेरपुर के निकट गंगा के तट पर केवट नामक मल्लाह ने श्रीराम, माँ सीता व लक्ष्मण को अपनी नाव से गंगा पार कराया था। श्रृंगवेरपुर वर्तमान में सिंगरौर नाम से जाना जाता है।
3. कुरई गांव- सिंगरौर में गंगा पार कर श्रीराम सबसे पहले कुरई पहुंचे थे, जहां उन्होंने सबसे पहले रात्रि विश्राम किया था।
4. प्रयागराज- कुरई से आगे चलकर श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सहित प्रयाग में संगम पर माँ गंगा की पूजा की थी और भारद्वाज ऋषि के आश्रम गये थे।
5. चित्रकूट- प्रयाग के संगम घाट से यमुना पार कर प्रभु श्रीराम चित्रकूट के प्राकृतिक सौंदर्य पर मुग्ध होकर पर्णकुटी बनाकर वहीं बस गये। इसी चित्रकूट में राम को मनाने के लिए भरत सेना के साथ आये थे और राम की चरण पादुका लेकर अयोध्या लौटे थे।
6. अत्रि आश्रम- चित्रकूट के पास ही सतना (मध्यप्रदेश) स्थित महान तपस्वी अत्रि ऋषि का आश्रम था। जिनकी पत्नी महासती अनुसूइया ने सीता जी को पतिव्रत धर्म की शिक्षा के साथ दिव्य वस्त्राभूषण भेंट किये थे।
7. दंडकारण्य- दंडकारण्य में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा व आंध्रप्रदेश राज्यों के घने वन्य प्रान्त आते हैं। चित्रकूट से निकलकर दक्षिण की ओर बढ़ते हुए श्रीराम ने अपने वनवास का कुछ समय यहां भी बिताया था। इस दंडकारण्य में रावण और जटायु का युद्ध हुआ था। दुनियाभर में सिर्फ यहीं पर जटायु का एकमात्र मंदिर है। इसी स्थल से रावण ने सीता को पुष्पक विमान में बिठाकर लंका ले गया था।
8. पंचवटी –दण्डकारण्य में मुनियों के आश्रमों में रहने के बाद श्रीराम अगस्त्य मुनि के आश्रम गए। यह आश्रम नासिक के पंचवटी क्षेत्र में है, जो गोदावरी नदी के किनारे बसा है। यहीं पर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी थी और राम-लक्ष्मण ने खर व दूषण के साथ युद्ध किया था।
9. सर्वतीर्थ- नासिक क्षेत्र में शूर्पणखा, मारीच और खर व दूषण के वध के बाद ही रावण ने सीता का हरण कर जटायु का भी वध किया था जिसकी स्मृति नासिक से 56 किमी दूर ताकेड गांव में ‘सर्वतीर्थ’ नामक स्थान पर आज भी संरक्षित है। जटायु की मृत्यु सर्वतीर्थ नाम के स्थान पर हुई, जो नासिक जिले के इगतपुरी तहसील के ताकेड गांव में मौजूद है। इस स्थान को सर्वतीर्थ इसलिए कहा गया, क्योंकि यहीं पर मरणासन्न जटायु ने श्रीराम को सीता माता के हरण के बारे में बताया था । रामजी ने यहीं जटायु का अंतिम संस्कार करके पिता और जटायु का श्राद्ध-तर्पण किया था।
10 . तुंगभद्रा- सर्वतीर्थ और पर्णशाला के बाद श्रीराम-लक्ष्मण सीता की खोज में तुंगभद्रा तथा कावेरी नदियों के क्षेत्र में पहुंच गए। तुंगभद्रा एवं कावेरी नदी क्षेत्रों के अनेक स्थलों पर वे सीता की खोज में गये थे।
11. शबरी का आश्रम- जटायु और कबंध से मिलने के पश्चात श्रीराम ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे। रास्ते में वे पम्पा नदी के पास केरल में स्थित शबरी आश्रम भी गये। इसी नदी के किनारे पर हम्पी नगर बसा है। ‘रामायण’ में हम्पी का उल्लेख वानर राज्य किष्किंधा की राजधानी के तौर पर किया गया है।
12. ऋष्यमूक पर्वत- ऋष्यमूक पर्वत वाल्मीकि रामायण में वर्णित वानरों की राजधानी किष्किंधा के निकट स्थित था। ऋष्यमूक पर्वत तथा किष्किंधा नगर कर्नाटक के हम्पी, जिला बेल्लारी में स्थित है। पास की पहाड़ी पर हनुमानजी के गुरु मतंग ऋषि का आश्रम था।
13. कोडीकरई- तमिलनाडु की लगभग 1,000 किमी तक विस्तारित तटरेखा कोडीकरई समुद्र तट वेलांकनी के दक्षिण में स्थित है। यहां श्रीराम की सेना ने पहला पड़ाव डाला था लेकिन राम ने उस स्थान के सर्वेक्षण के बाद जाना कि यह स्थान पुल बनाने के लिए उचित भी नहीं है, तब श्रीराम की सेना ने रामेश्वरम की ओर कूच किया।
14 . रामेश्वरम- रामेश्वरम समुद्र तट एक शांत समुद्र तट होने के साथ हिन्दू धर्म का सुप्रसिद्ध तीर्थ भी है। महाकाव्य रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने के पहले यहां शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की पूजा कर रामसेतु बनाया था।
15. धनुषकोडी- धनुषकोडी भारत के तमिलनाडु राज्य के पूर्वी तट पर रामेश्वरम द्वीप के दक्षिणी किनारे पर स्थित एक गांव का नाम धनुषकोडी इसलिए है कि यहां से श्रीलंका तक वानर सेना के माध्यम से नल और नील ने जो पुल (रामसेतु) बनाया था उसका आकार मार्ग धनुष के समान ही है। धनुषकोडी भारत और श्रीलंका के बीच एकमात्र स्थलीय सीमा है।
16 . ‘नुवारा एलिया’ पर्वत श्रृंखला- वाल्मीकि-रामायण के अनुसार श्रीलंका के मध्य में रावण का महल था। ‘नुवारा एलिया’ पहाड़ियों से लगभग 90 किलोमीटर दूर बांद्रवेला की तरफ मध्य लंका की ऊंची पहाड़ियों के बीचोबीच सुरंगों तथा गुफाओं के भंवरजाल मिलते हैं। यहां ऐसे कई पुरातात्विक अवशेष मिलते हैं जिनकी कार्बन डेटिंग से इनका काल निकाला गया है। श्रीलंका में नुआरा एलिया पहाड़ियों के आसपास स्थित रावण फॉल, रावण गुफाएं, अशोक वाटिका, खंडहर हो चुके विभीषण के महल आदि की पुरातात्विक जांच से इनके रामायण काल के होने की पुष्टि होती है।

Topics: रामचौरा मंदिरMaryada Purushottam Lord ShriramमऊMahasati Anusuiyaसीताकुंड वेदीवनMahamuni VishwamitranepalEstablishment of ShivlingमणिमंडपShriram-LaxmanMauShringverpurदोहरी घाटMithilaरामायण कालPanchavatiश्रीराम-परशुरामJanakpurRamayana periodAgastya MuniसरयूRamchaura Templeमर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीरामmanasमहासती अनुसूइयाSitakund Vedivanमहामुनि विश्वामित्रमानसशिवलिंग की स्थापनाManimandapश्रीराम-लक्ष्मणश्रृंगवेरपुरAyodhyaDwar GhatमिथिलापंचवटीनेपालShriram-Parashuramजनकपुरअगस्त्य मुनिअयोध्याSaryu
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Pahalgam terror attack

परिवार समेत इस्लाम त्यागने की दी चेतावनी, पहलगाम हमले से दुखी बबलू खान, सनातन धर्म में आस्था

पोखरा हवाईअड्डा परियोजना न केवल नेपाल की आर्थिक स्थिति पर खराब असर डाल रही है, बल्कि चीन की कर्ज जाल की रणनीति को भी उजागर कर रही है

चीन के चक्कर में अपना खजाना लुटा रहा गरीब नेपाल, करोड़ों के पोखरा हवाईअड्डा प्रोजेक्ट में बीजिंग की धांधली

कब्र से निकाली गई लाश

कब्र से 135 दिनों बाद निकाली गई लाश, अयूब पर लगाया दुष्कर्म और बहन की हत्या का आरोप

हनुमान जी की शोभायात्रा पर किया गया पथराव

नेपाल: मुस्लिम बहुल इलाके में पहले मस्जिद और फिर घरों से हनुमान जी की शोभा यात्रा पर पथराव, स्थिति तनावपूर्ण

अयोध्या में आस्था से सराबोर भक्त

रामलला का छठी उत्सव, हनुमान जन्मोत्सव और चैत्र पूर्णिमा: अद्भुत संयोग पर अयोध्या में आस्था का सैलाब

वन भूमि को राैंदते बुलडोजर

वन भूमि को राैंदते बुलडोजर

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

यह युद्ध नहीं, राष्ट्र का आत्मसम्मान है! : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ऑपरेशन सिंदूर को सराहा, देशवासियों से की बड़ी अपील

शाहिद खट्टर ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

मोदी का नाम लेने से कांपते हैं, पाक सांसद ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

ऑपरेशन सिंदूर पर बोले शशि थरूर– भारत दे रहा सही जवाब, पाकिस्तान बन चुका है आतंकी पनाहगार

ड्रोन हमले

पाकिस्तान ने किया सेना के आयुध भण्डार पर हमले का प्रयास, सेना ने किया नाकाम

रोहिंग्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब कुछ शेष नहीं: भारत इन्‍हें जल्‍द बाहर निकाले

Pahalgam terror attack

सांबा में पाकिस्तानी घुसपैठ की कोशिश नाकाम, बीएसएफ ने 7 आतंकियों को मार गिराया

S-400 Sudarshan Chakra

S-400: दुश्मनों से निपटने के लिए भारत का सुदर्शन चक्र ही काफी! एक बार में छोड़ता है 72 मिसाइल, पाक हुआ दंग

भारत में सिर्फ भारतीयों को रहने का अधिकार, रोहिंग्या मुसलमान वापस जाएं- सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

शहबाज शरीफ

भारत से तनाव के बीच बुरी तरह फंसा पाकिस्तान, दो दिन में ही दुनिया के सामने फैलाया भीख का कटोरा

जनरल मुनीर को कथित तौर पर किसी अज्ञात स्थान पर रखा गया है

जिन्ना के देश का फौजी कमांडर ‘लापता’, उसे हिरासत में लेने की खबर ने मचाई अफरातफरी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies