दुनिया भर में पर्यावरण बचाने को लेकर तमाम शोध कार्य चल रहे हैं। पर्यावरण को घर से निकलने वाले कबाड़ से भी काफी नुकसान पहुंचता है। सरकार भी इस मुद्दे को लेकर काफी प्रयास कर रही है कि समस्या से कैसे निपटा जाए। ऐसे में काशी के कलाकारों ने ट्रिपल आर फार्मूले को अपना कर नई दिशा दिखाई है। दिलचस्प यह है कि यह फार्मूला सफल भी हो रहा है। ट्रिपल आर फार्मूला यानी रिड्यूस, रिसाइकल और रीयूज है। इस पर सरकार के साथ-साथ स्वयंसेवी संगठन और स्थानीय लोग भी लगातार प्रयासरत रहे हैं। इस फार्मूला पर राम छाटपार शिल्प न्यास काम कर रहा है। न्यास के सिद्धहस्त कलाकार बेकार और कबाड़ पड़ी वस्तुओं को फिर से सजा-संवारकर उसे एक आकर्षक लुक दे रहे हैं। इतना ही नहीं, रिसाइकल के साथ ही उसे रीयूज लायक बना रहे हैं।
प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और निर्भरता कम करने के लिए ट्रिपल आर फार्मूले को आजमाया जा रहा है। फॉर्मूले पर बनाई गई वस्तुओं की प्रदर्शनी भी लगाई गयी, ताकि लोग उसे देखकर प्रेरित हों और अपने घर में बेकार पड़े सामानों को तराश कर उसका दोबारा अन्य रूप में इस्तेमाल कर सके।
जिन कलाकारों ने अपने हुनर के दम पर कबाड़ को एक बार फिर संवार दिया है उनमें अजय उपासनी, अमरेश कुमार, बृजेश सिंह, मदन लाल, दीपक, किसन लाल, मनीष अरोड़ा, निहारिका सिंह, शिवांगी गुप्ता, विनीता, शारदा सिंह, पदमिनी मेहता आदि नाम हैं। इसके प्रेरक पुरुष प्रख्यात कलाविद मदन लाल गुप्ता हैं। मदन लाल गुप्ता ने बताया कि अक्सर लोग कबाड़ के सामान को कचरे में फेंक देते हैं। जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है। छोटा सा प्रयास लोगों को जागरूक करने के लिए किया जा रहा है।
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