केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता अनुराग सिंह ठाकुर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनकी दादी तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत इंदिरा गांधी के वीर सावरकर के सम्मान में लिखे पत्र की याद दिलाते हुए कहा है कि उन्हें सावरकर से अपनी तुलना नहीं करनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने रविवार को ट्वीट कर कहा कि राहुल गांधी दूर-दूर तक भी वीर सावरकर नहीं हो सकते हैं। सावरकर ने ब्रिटेन की धरती पर जाकर महाभारती को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए शंखनाद किया था। वहीं राहुल गांधी साल के 6 महीने विदेशों में छुट्टियां मनाने जाते हैं और देश के खिलाफ विदेशियों से मदद मांगते हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्हें अपनी दादी का लिखा पत्र पढ़ना चाहिए। जिससे उन्हें उनके कुतर्क का जवाब मिल जाएगा। उन्हें खुद से सावरकर की तुलना नहीं करनी चाहिए।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा था कि वह सावरकर नहीं हैं बल्कि गांधी हैं और माफी नहीं मांगेंगे।
उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी ने 20 मई 1980 को स्वतंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के सचिव पंडित बाखले को संबोधित करते हुए लिखी चिट्ठी में सावरकर के सवतंत्रता आंदोलन में योगदान का जिक्र किया था। इंदिरा ने लिखा था कि वीर सावरकर का ब्रिटिश सरकार के खिलाफ मजबूत प्रतिरोध हमारे स्वतंत्रता आंदोलन में एक विशेष स्थान रखता है। वे देश के महान सपूत के शताब्दी समारोह के आयोजन के लिए बधाई देती हैं।
ठाकुर ने कहा कि राहुल उन स्वातंत्र्य वीर सावरकर का अपमान करते हैं, जिनकी किताब ‘भारत का प्रथम स्वातंत्र्य समर’ का पंजाबी में अनुवाद करवाकर बांटने के लिए खुद भगत सिंह वीर सावरकर से मिलने रत्नागिरी गए थे और छापी भी। फांसी से पहले भगत सिंह जिनकी दो-दो किताबों से अपनी डायरी में नोट्स बना रहे थे, उन सावरकर का अपमान कोई नासमझ ही कर सकता है।
उन्होंने कहा कि सावरकर जी ने यह इज्जत ऐसे ही नहीं कमाई, उस दौर के जितने भी बड़े नेता थे, सावरकर जी की देशभक्ति और साहस के आगे नतमस्तक थे। यहां तक की कांग्रेस ने भी 1923 के काकीनाडा अधिवेशन में सावरकर जी के लिए रिजोल्यूशन पास किया था। केंद्रीय मंत्री ठाकुर ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में सावरकर के योगदान को स्वीकार करने के लिए इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्वकाल में एक डाक टिकट भी जारी किया गया था।
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