हाल ही में चीन में कोरियाई लड़कियों को लेकर एक हैरान करने वाली रिपोर्ट सामने आई है। मानवाधिकार आयोग की इस रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया है कि चीन में लाखों कोरियाई लड़कियों और महिलाओं को देहव्यापार में झोंका गया है। इन्हें मानव तस्करी के रास्ते चीन में लाकर वहां के ‘‘रेडलाइट’’ ठिकानों में जबरन रखा जा रहा है। ये लड़कियां यहां ‘वेश्यावृत्ति’ में लगाई गई हैं।
इतना ही नहीं, यह रिपोर्ट बताती है कि उनसे जबरन गर्भधारण कराया जाता है। वेश्यावृत्ति के साथ ही इनसे जबरन मजदूरी कराई जाती है और हर तरह के गलत कामों में इस्तेमाल किया जाता है। चीन में जिन प्रांतों में कोरियाई लड़कियों के इस तरह फंसे होने की जानकारी दी गई है, वे हैं ल्याओनिंग, हीलोंगजियांग तथा जिलिन। इन्हें ‘रेडजोन’ बताया गया हैा
जिन लड़कियों को इस तरह का अपमानजनक जीवन जीने को मजबूर होना पड़ रहा है उनमें से ज्यादातर उत्तर कोरिया में भुखमरी के हालात से तंग आकर देश से भाग निकली थीं। इन्हें चीन के मानव तस्कर वहां से लाकर अलग अलग इलाकों में वेश्यावृत्ति में झोंकते रहे हैं। एक आकलन के अनुसार, उत्तर कोरिया की करीब 5 लाख लड़कियां और महिलाएं इस तरह जकड़ी जा चुकी हैं। मजबूरी की मारी हजारों लड़कियों की आयु करीब 12 साल ही है।
चीन के बदनाम ‘रेडलाइट’ इलाकों में मानव तस्करों का अंतरराश्ट्रीय गुट सक्रिय रहता है। इन गुटों ने वेश्यावृत्ति का यह कारोबार बहुत हिसाब से चलाया हुआ है। मानव तस्करी करने वाले गुट हालात की मारी इन लड़कियों तथा महिलाओं को उत्तर कोरिया में बदहाली से मुक्त कराने के सपने दिखाते हैं, उन्हें लालच देते हैं। एक बेहतर जिंदगी जीने का सपना पाले ये लड़कियां उनके चक्कर में फंसकर वेश्यावृत्ति के जाल में फंस जाती हैं। उन्हें नहीं पता होता कि यहां उनकी जिंदगी पहले से भी ज्यादा नारकीय बन जाएगी। इसके बाद उनके यहां से निकलने के सारे रास्ते हमेशा के लिए बंद हो जाते हैं।
रिपोर्ट आगे बताती है कि वेश्यावृत्ति के कुचक्र में फंसाने के अलावा इन लड़कियों से जबरन शादी की जाती है, इन्हें साइबर यौन तस्करी से जोड़ दिया जाता है। मानवाधिकार रिपोर्ट ने उत्तर कोरिया की प्रमुख कानूनी सलाहकार सोफिया इवेंजेलो को उद्धृत किया है। सोफिया के अनुसार, कई मामलों में तो उत्तर कोरिया की लड़कियां ये जानते हुए भी तानाशाह सत्ता से दूर जाने को तैयार हो जाती हैं कि उनका यौन शोषण होगा। लेकिन उन्हें तब भी उत्तर कोरिया में बदहाल जिंदगी से वह बेहतर दिखाई देता है।
एक बेहतर जिंदगी जीने का सपना पाले ये लड़कियों को नहीं पता होता कि यहां उनकी जिंदगी पहले से भी ज्यादा नारकीय बन जाएगी। इसके बाद उनके यहां से निकलने के सारे रास्ते हमेशा के लिए बंद हो जाते हैं।
मानवाधिकार आयोग की इसी रिपोर्ट में है कि उत्तरी कोरिया में पुरुषों को सरकारी नौकरी किसी तरह मिल भी जाती है, लेकिन लड़कियों के मामले में ऐसा कम ही होता है। सरकारी नौकरी में लगे लोगों पर भी कई तरह के अत्याचार होते हैं। पता चला है ऐसे ज्यादातर पुरुष खुद चाहते हैं कि उनके घर की लड़कियां तो कम से कम इस नरक को न भोगें।
इतना ही नहीं, समाचार पत्र ‘द सन’ में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार, मानव तस्कर चीन के वेश्यावृत्ति वाले इलाकों में इन लड़कियों पर जबरदस्त अत्याचार करते हैं। इन्हें निर्वस्त्र करके सार्वजनिक रूप् से पीटा जाता है। इनकी बोली लगाई जाती है और वेश्यालयों को बेच दिया जाता है। एक लड़की या महिला के लिए कुछ सौ डॉलर की कीमत लगाई जाती है। एक पीड़िता ने खुद बताया कि एक दलाल ने उसे 3000 डॉलर में दूसरे आदमी को बेच दिया।
एक अन्य रिपोर्ट का कहना है कि उत्तर कोरिया से शरणार्थी बनकर चीन आने वालीं 70- 80 प्रतिशत लड़कियां तस्करी के जरिए यौन शोषण के कारोबार में झोंकी गई हैं। और यह कारोबार 105 अरब डॉलर सालाना का बताया गया है। चीन में एक बच्चे के कानून की वजह से लिंगानुपात बिगड़ गया है। अब चीन में पुरुषों को शादी के लिए लड़कियां नहीं मिल रही हैं। ऐसे में वहां हर साल अरबों रुपए का ‘सैक्स स्लेव’ कारोबार हो रहा है। इसलिए उत्तर कोरियाई लड़कियों की ऐसे पुरुषों की जबरन शादियां कराई जाती हैं।
ग्लोबल राइट्स कंप्लायंस की रिपोर्ट के अनुसार, इस कारोबार में उत्तर कोरिया तथा चीन के दलाल मिलकर काम करते हैं। चीन की सुरक्षा एजेंसियों को भी इस काले कारोबार से रिश्वत में मोटा पैसा मिलता है इसलिए वे उस तरफ से आंखें मूंदे रहती हैं।
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