दिल्ली हाई कोर्ट ने 2019 के जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम समेत 11 आरोपितों को आरोप मुक्त करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
13 फरवरी को कोर्ट ने इस मामले के 11 आरोपितों को नोटिस जारी किया था। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि सभी आरोपितों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। फिर भी केवल एक ही आरोपित मोहम्मद इलियास के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने आरोपितों को आरोप मुक्त करते समय दिल्ली पुलिस पर साकेत कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों को हटाने से इनकार करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट की टिप्पणियों का ना तो जांच पर और ना ही ट्रायल पर कोई असर होगा।
साकेत कोर्ट ने 4 फरवरी को शरजील इमाम समेत 11 आरोपितों को आरोप मुक्त करते हुए दिल्ली पुलिस के खिलाफ कड़ी टिप्पणी भी की थी। साकेत कोर्ट ने शरजील इमाम के अलावा जिन आरोपितों को आरोप मुक्त किया था, उनमें आसिफ इक़बाल कान्हा, सफूरा जरगर, मोहम्मद अबू जार, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, मोहम्मद अनवर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शहजाद रजा खान और चंदा यादव हैं।
शरजील इमाम को 25 अगस्त, 2020 को बिहार से गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली पुलिस ने शरजील इमाम के खिलाफ यूएपीए के तहत दाखिल चार्जशीट में कहा है कि शरजील इमाम ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को अखिल भारतीय स्तर पर ले जाने के लिए बेताब था और ऐसा करने की जी तोड़ कोशिश कर रहा था।
शरजील इमाम के खिलाफ दाखिल चार्जशीट में कहा गया कि शरजील इमाम ने केंद्र सरकार के खिलाफ घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के लिए भाषण दिया, जिसकी वजह से दिसंबर 2019 में हिंसा हुई। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में गहरी साजिश रची गई थी। इस कानून के खिलाफ मुस्लिम बहुल इलाकों में प्रचार किया गया। यह प्रचार किया गया कि मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी और उन्हें डिटेंशन कैंप में रखा जाएगा।
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