देहरादून। उत्तराखंड राज्य की वन भूमि पर कब्जा कर बनाई गई मजारों को वन विभाग के बुलडोजरों ने मिट्टी में मिला दिया है। लेकिन, पीडब्ल्यूडी की सड़कों के किनारे बनाई गई अवैध मजारों और निर्माणाधीन मस्जिदों पर कारवाई कौन करेगा? ये सवाल उत्तराखंड में पूछा जा रहा है। राज्य के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के पास पीडब्ल्यूडी और पर्यटन धर्मस्य संस्कृति विभाग की जिम्मेदारी है।
उत्तराखंड से हिमाचल सीमा की तरफ जाती शिमला बाई पास रोड, विकास नगर, डाक पत्थर की पीडब्ल्यूडी सड़कों के किनारे मजार जिहाद का षड्यंत्र, लोक निर्माण विभाग के सामने रचा जा रहा है। फिर भी विभाग आंखें मूंदे हुए है? सड़क किनारे पावर हाउस के ठीक बाहर पीडब्ल्यूडी की हद पर मजार बना दी गई। इसी मार्ग पर पीडब्ल्यूडी की जमीन पर मस्जिद का निर्माण हो रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट का ये निर्देश है कि 2004 के बाद किसी भी धार्मिक स्थल का निर्माण नहीं किया जाएगा और यदि कोई करता है तो उसे डीएम से अनुमति लेनी होगी। इसके बावजूद पीडब्ल्यूडी और देहरादून प्रशासन सोया रहा और सड़कों पर सरकारी जमीनों पर मस्जिदें और मजारें बनती जा रही हैं।
शिमला बाई पास रोड पर ही करीब साठ मस्जिदें पिछले पंद्रह साल में यानि 2004 के बाद बनी हैं, प्रशासन चाहता तो इन्हें रोक सकता था। यहां मस्जिद-मजारें बनाने वाले कौन हैं? जानकारी के मुताबिक देहरादून से लगे सहारनपुर और मेरठ जिले के कुछ मुस्लिमों ने यहां सरकार की जमीनों पर कब्जा किया है। जमीयत उलेमा हिंद, मुस्लिम सेवा संगठन के लोग देवबंद के मदरसे के इशारे पर यहां मुस्लिम आबादी के विस्तार में लगे हुए हैं। हाल ही में उत्तराखंड की धामी सरकार का बुल्डोजर ढकरानी में चला और यहां सरकार की जमीन पर अवैध रूप से काबिज सात सौ मुस्लिम परिवारों को हटाया गया।
ऐसे ही हालात शिमला बाईपास रोड और सहारनपुर रोड पर हो चुके हैं। हर किलोमीटर पर कोई मस्जिद, कोई मदरसा, कोई मजार बनी हुई या बनती हुई दिख जाती है। आखिरकार कैसे देवभूमि में ये सब चल रहा है? उत्तराखंड में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे हटाने के लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हर जिले में टास्क फोर्स बनाई है। अवैध मजारों को हटाने के लिए वन विभाग ने मुस्तैदी दिखाई है, लेकिन पीडब्ल्यूडी विभाग इस भयावह समस्या पर अनदेखी कर रहा है। इस बारे में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई। बहरहाल पछुवा देहरादून ही नहीं, उत्तराखंड में सड़कों के किनारे बनती अवैध मजारें और मस्जिदें किसी षड्यंत्र का संकेत देती हैं। यदि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भी सरकार अडिग रहे तो इस षड्यंत्र को नाकाम किया जा सकता है।
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