दिल्ली हाई कोर्ट में वक्फ एक्ट के कुछ प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि वक्फ एक्ट के प्रावधानों को चुनौती देते हुए देश के अलग-अलग हाई कोर्ट में कुल 120 याचिकाएं लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट में भी ट्रांसफर करने की मांग करने वाली याचिका लंबित है। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई आठ हफ्ते बाद करने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि केंद्र सरकार सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कराने के लिए कदम उठाए। 12 मई 2022 को कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया था। वक्फ एक्ट को लेकर एक याचिका देवेंद्रनाथ त्रिपाठी ने दायर की है। याचिका में वक्फ एक्ट की धारा 4,5,6,7,8,9,14 और 16(ए) को चुनौती दी गई है। याचिका में इन धाराओं को गैरकानूनी घोषित करने की मांग की गई है।
इसके पहले एक दूसरी याचिका भाजपा नेता एवं अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। उपाध्याय की याचिका पर हाई कोर्ट नोटिस कर चुका है। उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि वक्फ बोर्ड को ट्रस्टों, मठों, अखाड़ों एवं सोसायटीज से ज्यादा और निर्बाध अधिकार मिले हुए हैं जो उसे एक विशेष दर्जा देते हैं। याचिका में मांग की गई है कि सभी ट्रस्टों, चैरिटेबल संस्थाओं, धार्मिक संस्थाओं के लिए एक समान कानून बनाए जाएं। याचिका में वक्फ कानून की धारा 4, 5, 6, 7,8 और 9 को मनमाना और गैरकानूनी बताया गया है। याचिका में कहा गया है कि वक्फ कानून के ये प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 15 का उल्लंघन करती हैं।
याचिका में कहा गया है कि वक्फ एक्ट वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करने की आड़ में बनाया गया है, लेकिन वक्फ एक्ट के तहत हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, बहाई या ईसाई धर्मावलंबियों के लिए कोई कानून नहीं है। ऐसा देश की एकता, अखंडता एवं धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। यहां तक कि संविधान में भी वक्फ का जिक्र नहीं है। उल्लेखनीय है कि अश्विनी उपाध्याय की ऐसी ही याचिका सुप्रीम कोर्ट विगत 13 अप्रैल को खारिज कर चुका है।
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