सतत निवेश का समर्थन करने के लिए मंगलवार को राजस्थान के उदयपुर में जी-20 सस्टेनेबल फाइनेंस वर्किंग ग्रुप के सदस्यों ने गैर-मूल्य नीति लीवर पर आयोजित कार्यशाला में अपने विचार रखे। वित्त मंत्रालय की सलाहकार गीतू जोशी ने बताया कि कार्यशाला में प्रमुख रूप से तीन प्रमुख प्राथमिकताओं वाले विषयों पर मंथन हुआ। इन विषयों पर जी-20 सदस्य देशों ने अपने-अपने अनुभव साझा किए और सुझाव दिए। उनके अनुभव और सुझावों की एक अंतिम रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसकी पालना को सभी देश निर्णयक रूप से सहमति प्रदान करेंगे। कार्यशाला के दौरान नॉन प्राइज पॉलिसी पर भी जी समूह देशों के प्रतिनिधियों की चर्चा हुई।
प्रारंभिक प्रस्तुति ने नेट जीरो के ट्रैक पर होने के लिए और अधिक करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए सत्र का स्वर निर्धारित किया। विकासशील देशों में विनियामक उपायों पर क्षमता निर्माण की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए विशिष्ट उपायों और देश के अनुभवों की समीक्षा प्रस्तुत की गई। यह उल्लेख किया गया था कि गैर-मूल्य आधारित पॉलिसी लीवर ने अपेक्षाओं से बेहतर प्रदर्शन किया।
कार्यशाला में विशेष रूप से वित्तीय क्षेत्र के हरित वित्त विकास पर केंद्रित देश के प्रतिनिधियों ने अनुभव साझा किए। इसमें हरित वित्त के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र के विकास की आवश्यकता जताई। साथ ही वित्तीय प्रकटीकरण की आवश्यकता और वित्तीय मजबूती की भूमिका पर बल दिया। मॉडलिंग चुनौतियों और जलवायु वित्त को जुटाने में उनकी भूमिका पर ध्यान देने पर बातचीत हुई। सभी देशों के वित्त मंत्रियों द्वारा उनके मुख्य कार्यों और क्षमताओं में जलवायु को एकीकृत करने पर उनके हस्तक्षेप की संभावनाओं के व्यापक स्पेक्ट्रम सहित दूरदर्शी नेतृत्व पर प्रकाश डाला गया। साथ ही, क्या किया जाना चाहिए, पर भी चर्चा साझा की गई।
सतत विकास लक्ष्यों के लिए वित्त व्यवस्था पर बुधवार को कार्यशाला आयोजित होगी, जिससे जी 20 सदस्यों के बीच बेहतर समझ का निर्माण किया जा सके। साथ ही अधिकाधिक वित्त पोषण की दिशा में नीति और अन्य सिफारिशों को सुदृढ़ किया जा सके। यह पहली बार है जब एसएफडब्ल्यूजी जलवायु संबंधी मुद्दों से परे जाकर प्रकृति से संबंधित डेटा, रिपोर्टिंग ओर सामाजिक प्रभाव निवेश के माध्यम से चुनिंदा सतत विकास लक्ष्यों के लिए अधिकाधिक वित्त पोषण को संभव बनाने के लिए बातचीत कर रहा है।
टिप्पणियाँ