चीन के दबाव को नजरअंदाज करते हुए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत को चटगांव और सिलहट बंदरगाह का इस्तेमाल करने की पेशकश कर दी है। पीएम हसीना ने कहा कि इससे लोगों के बीच संपर्क बढ़ेगा। चटगांव बंदरगाह बांग्लादेश में एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है, जो भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों से निकटता के कारण रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। दरअसल, चीन बांग्लादेश में खुद को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है और उसका मुख्य लक्ष्य चटगांव बंदरगाह पर अपना प्रभाव स्थापित करना है।
ढाका के एक प्रमुख अखबार ने प्रधानमंत्री हसीना के हवाले से कहा, भारत चाहे तो हमारे चटगांव और सिलहट बंदरगाहों का इस्तेमाल कर सकता है। प्रधानमंत्री हसीना ने कहा कि इस कदम से क्षेत्रीय संपर्क बढ़ेगा और लोगों के बीच संपर्क बढ़ेगा। खबर में कहा गया है कि इंडिया फाउंडेशन के राम माधव के साथ बातचीत के दौरान हसीना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी शुभकामनाएं दीं।
बता दें कि ‘इंडिया फाउंडेशन’ के राम माधव ने रविवार को हसीना के आधिकारिक आवास गणभवन में उनसे मुलाकात की थी जिस दौरान प्रधानमंत्री ने यह पेशकश की। प्रधानमंत्री हसीना ने कहा कि इस कदम से क्षेत्रीय कनेक्टिविटी तथा लोगों के बीच परस्पर संपर्क बढ़ेगा।
वहीं राममाधव ने हसीना की अगुआई में बांग्लादेश की सामाजिक-आर्थिक विकास की तारीफ की। खबर में उनके हवाले से कहा गया, ”पड़ोसी देश होने के नाते बांग्लादेश और भारत में शानदार दोस्ती है और उम्मीद है कि भविष्य में भी यह रिश्ता बरकरार रहेगा।
क्यों महत्वपूर्ण है चीन के लिए बांग्लादेश
चीन बांग्लादेश में खुद को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, उसका लक्ष्य चटगांव बंदरगाह पर अपना प्रभाव स्थापित करना है। वहीं, चटगांव बंदरगाह के जरिए बांग्लादेश पश्चिमी देशों से आयात-निर्यात करता है। पश्चिमी देशों का विरोधी चीन चटगांव बंदरगाह पर अपना प्रभाव बढ़ाकर पश्चिम से बांग्लादेश को होने वाले आयात-निर्यात को नियंत्रित करना चाहता है।
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