तमिलनाडु में एक पादरी को यौन शोषण के आरोप में हिरासत में लिया गया है। यौन शोषण की यह घटना इसलिए भी और चौंकाने वाली है क्योंकि रिपोर्ट के अनुसार पादरी बेनेडिक्ट एंटो के कई लड़कियों के साथ आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे।
वैसे भी यदि देखा जाए तो केरल और तमिलनाडु में चर्च के पादरियों द्वारा यौन कांड बहुत आम है। ऐसी एक नहीं कई घटनाएं देखने को मिलती हैं। सिस्टर अभया वाला मामला तो पाठकों की स्मृति में होगा ही जिसमें सिस्टर अभया की हत्या के जुर्म में फादर कोट्टूर और नन सेफी को दोषी ठहराया था।
इसमें भी यौन सम्बन्ध ही इस अपराध का आधार थे। सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार सिस्टर अभया ने सिस्टर सिफ़ी और दो आरोपी पादरियों को अंतरंग स्थिति में देख लिया था, जिससे सिस्टर सेफी डर गयी थीं और इसके चलते सिस्टर अभया की हत्या कर दी गयी थी।
सबसे हैरान करने वाली बात यही है कि अपने परिसर में हुई इस मृत्यु को पहले तो नकारने का प्रयास चर्च ने किया और फिर बाद में मामले को इधर उधर घुमाया गया। परन्तु वर्ष 2008 में केरल उच्च न्यायालय के आदेश के उपरांत सीबीआई को जांच का निर्देश दिया गया और उसके बाद ही फादर कोट्टूर एवं सिस्टर सेफी को गिरफ्तार किया जा सका था। वर्ष 1992 में यह हत्या हुई थी, और उसके लिए सजा पूरे 28 वर्ष के उपरान्त मिली थी। और यह सजा फादर कोट्टूर एवं सिस्टर सेफी को मिली थी।
ऐसे में यह प्रश्न उठता ही है कि आखिर ऐसा क्या कारण रहा जिसके चलते सिस्टर अभया की मृत्यु ही नहीं हुई बल्कि न्याय के लिए भी इतनी लम्बी प्रतीक्षा करनी पड़ी।
ऐसा नहीं कि मामले थम गए! हाल ही में सिस्टर लूसी की हड़ताल चर्चा में आई थी। सिस्टर लूसी ने उस कान्वेंट में हो रहे दुर्व्यवहार का विरोध किया था, जहां पर रहने की अनुमति उन्हें स्थानीय न्यायालय ने दी थी। दरअसल यह मामला भी यौन उत्पीडन के साथ जुड़ा हुआ है। एक पादरी फ्रैंको मुलक्कल पर एक नन ने आरोप लगाया था कि उसने उनके साथ वर्ष 2014 से 2016 के बीच कई बार बलात्कार किया था।
इस आरोप के बाद कई और नन सामने आई थीं। परन्तु सिस्टर लूसी ने लड़कियों का साथ दिया था। उन लड़कियों का साथ, जिनके साथ अन्याय हुआ था एवं वह अन्याय और किसी ने नहीं बल्कि बिशप फ्रैंको मुलक्कल ने किया था। इस मामले में तो मुख्य गवाह फादर कुरियाकोज़ कट्टुथारा भी अक्टूबर 2018 में पंजाब के होशियारपुर जिले में रहस्यमयी स्थितियों में मृत पाए गए थे और उनके परिवार वालों ने केरल में पोस्टमार्टम की बात की थी।
इतना ही नहीं जब फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ आवाज उठाने पर सिस्टर लूसी ने आवाज उठाई थी, तो उन्हें कान्वेंट खाली करने के लिए कह दिया गया था, और जब उन्होंने वेटिकन में अपनी पीड़ा की अर्जी भेजी थी, तो उन्हें यह कहते हुए गलत ठहरा दिया गया था कि उन्होंने कविता लिखने जैसा पाप किया था। और फ्रैंको मुलक्कल को सबूतों के अभाव में पिछले वर्ष रिहा किया जा चुका है।
यह कुछ चर्चित मामले रहे हैं। इन्हीं की श्रेणी में यह मामला आता है क्योंकि इसमें भी एक नहीं बल्कि कई लड़कियों का शोषण कथित रूप से सम्मिलित है और बेनेडिक्ट एंटो ने तो नाबालिग लड़कियों को भी नहीं बख्शा है। मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार तीस वर्ष का यह पादरी कन्याकुमारी जिले में नागरकोइल के पास मार्तंडम का रहने वाला है। उसकी फेसबुक प्रोफाइल से यह भी पता चलता है कि वह एनटीके नेता सीमन अर्थात सेबेस्टियन का भी समर्थक है, जो प्रतिबंधित लिट्टे का समर्थक है।
सोशल मीडिया में जो भी वीडियो आए हैं, वह उसके बाद आए हैं, जब कुछ लोग एक कार में आए और पादरी से कुछ बात की। यह भी कहा जा रहा है कि उन दोनों के बीच कुछ तीखी बहसें हुईं। और अंत में पादरी का आरोप है कि वह उसका लैपटॉप और मोबाइल आदि लेकर चले गए जिसके बाद ये सभी वीडियो सोशल मीडिया पर छा गए।
For those who are not from Tamil nadu, it's news from Tamil nadu.
He is a church father in kanyakumari district,TN and he has had illegal relationships with the women who came to his church. Around 200 videos with 80 women, in the age group of 16 to 50, were caught by pic.twitter.com/bzcPRyM1GU— RajeIyer (@RajeswariAiyer) March 20, 2023
एक दो भी नहीं बल्कि एंटो द्वारा 16-50 वर्ष की उम्र की लगभग 80 महिलाओं के साथ 200 ऐसे वीडियो सामने आए हैं, जो एंटो के कुकृत्यों की कहानी कह रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार पादरी की छवि महिलाओं के बीच बिलकुल भी अच्छी नहीं है और उसके खिलाफ पहले भी कई शिकायतें दर्ज होती रही हैं। उन्हीं में से एक पीड़िता ने उस पर हमला करके उसके कंप्यूटर आदि को छीनकर उसके व्यक्तिगत वीडियो को सार्वजनिक कर दिया होगा।
दरअसल पादरी और एक छात्रा ऑस्टिन जिनो के बीच कुछ समस्या थी, और पादरी बेनेडिक्ट की शिकायत के आधार पर ही पुलिस ने उसे हिरासत में लिया था। मगर उसकी माँ मिनी अजिथा ने पुलिस सुपरिटेंडेट से भेंट करके उन्हें पादरी के खिलाफ कई सबूत दिए। जिनमें ऑडियो क्लिप, वीडियो तस्वीरें आदि सम्मिलित थीं। उन्होंने पुलिस से अनुरोध किया कि वह उनके बेटे के साथ न्याय करें, क्योंकि दोषी पादरी है।
यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी भी रिलीजियस संस्थान के प्रमुख के रूप में जब पादरी ऐसी स्त्री विरोधी हरकतें करते हैं तो वह कथित सुधारक वर्ग मौन धारण करके बैठ जाता है, जो हिन्दू धर्म में निरंतर सुधार लाने के लिए संघर्षरत रहता है।
न ही उस पूरे वर्ग की आवाज सिस्टर अभया के लिए उठी थी, और सिस्टर लूसी और उनके आंसुओं ने तो उस पूरे वर्ग को छुआ तक नहीं है। ऐसे ही इन तमाम लड़कियों तथा महिलाओं की पीड़ा से भी वह सुधारक वर्ग दूर ही रहेगा, जो लगातार स्वयं को स्त्री पीड़ा का ठेकेदार बताता रहता है।
सिस्टर अभया एवं सिस्टर लूसी तो तब भी पुराने मामले हैं। पिछले ही वर्ष जुलाई में तमिलनाडु के कोयम्बतूर जिले में मालूमिचम्पत्ति तालुक में एक ईसाई प्रचारक स्टीफन राज को पेरुर पुलिस ने पॉस्को अधिनियम में एक 17 वर्षीय लड़की का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
ऐसे असंख्य मामले हैं, जो इंटरनेट पर तो हैं, परन्तु वह मामले व्यापक विमर्श का हिस्सा नहीं बन पाते हैं। और ऐसा भी नहीं है कि मात्र भारत में ही पादरियों द्वारा यौन शोषण के मामले सामने आते हैं, बल्कि पूरी दुनिया में ऐसे मामले लगातार सामने आते रहे हैं। वर्ष 2018 में पोप फ्रांसिस ने दुनिया भर के कैथोलिकों को पत्र जारी करके पादरियों द्वारा किए गए यौन उत्पीड़नों के मामलों पर पर्दा डालने को लेकर निंदा की थी।
असंख्य रिपोर्ट्स पादरियों द्वारा किए गए तमाम यौन शोषणों का कच्चा चिट्ठा खोलती हैं, परन्तु भारत में यह तमाम मामले विमर्श का हिस्सा नहीं बन पाते हैं, जैसा कि यह तमिलनाडु वाला मामला नहीं बन पा रहा है।
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