गत 13 मार्च को देहरादून के पश्चिमी इलाके (इस क्षेत्र को स्थानीय भाषा में पछुवा कहते हैं) के वन क्षेत्र में बनी अवैध मजारों को प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया। पिछले दिनों प्रशासन ने ऐसे लगभग 1,400 मजार और अन्य स्थानों को चिह्नित किया था। इसके बाद वन विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन अवैध निर्माणों को हटाने के निर्देश दिए थे।
लाडपुर में छह और रायपुर वन क्षेत्र में पांच मजारों को ढहाया गया और उनके मलबे को भी ट्रैक्टर पर लाद कर कहीं दूर ले जाया गया। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से कुछ मजारें जंगलों के बीच ऐसी जगहों पर बनाई गईं, जहां किसी भी प्रकार की निर्माण सामग्री ले जाने पर सख्त पाबंदी है। जानकारी के अनुसार बरेलवी मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग उत्तराखंड की वन भूमि पर जमीन जिहाद के अंतर्गत मजारों का निर्माण कर रहे हैं।
रायपुर वन क्षेत्र में पांच मजारों को ढहाया गया और उनके मलबे को भी ट्रैक्टर पर लाद कर कहीं दूर ले जाया गया। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से कुछ मजारें जंगलों के बीच ऐसी जगहों पर बनाई गईं, जहां किसी भी प्रकार की निर्माण सामग्री ले जाने पर सख्त पाबंदी है।
ये लोग पहले सड़क किनारे झंडे और पत्थरों में चूना लगा कर मार्ग के निशान बनाते हैं और फिर जंगल में पत्थर का एक टीला बना कर उस पर सफेद नीली चादर चढ़ा कर आसपास के पेड़ों पर हरे झंडे लगा देते हैं। कुछ लोग वहां धूप बत्ती जलाने लगते हैं। इस तरह इनका धंधा शुरू हो जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि इन स्थानों पर मुसलमान कम और अंधविश्वासी गरीब तबके के हिंदू ज्यादा आते हैं। धीरे- धीरे ये मजार वृहद् रूप ले लेती हैं।
वन विभाग के यमुना क्षेत्र के मुख्य वन संरक्षक डॉ. विनय भार्गव कहते हैं कि जंगलों में हर तरह का मजहबी अतिक्रमण हटाया जाएगा। इससे लोगों में भरोसा हो रहा है कि अब राज्य के जंगल अतिक्रमण-मुक्त हो जाएंगे।
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