संयुक्त राष्ट्र में विश्व में जलवायु परिवर्तन को लेकर ऐसी रिपोर्ट प्रस्तुत हुई है जो इंसान की लापरवाही की वजह से भविष्य के प्रति गहन चिंता पैदा करती है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतेरस ने खुद इस बारे में कहा है कि मानवता इस वक्त पतली बर्फ की ऐसी पतली चादर पर है जो तेजी से पिघल रही है। बचने का अब भी समय है, विश्व को सभी मोर्चों पर जलवायु परिवर्तन को लेकर गंभीर होना ही होगा।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि आज विश्व जलवायु परिवर्तन के बुरे नतीजों से जूझ रहा है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र प्रमुख गुतेरस की यह चेतावनी खुद को विकसित कहने वाले देशों को सुननी ही होगी। वैश्विक परिस्थितियां इस हद तक गंभीर हो चली हैं कि जोखिम भरे स्तर तक पहुंच चुकी ‘ग्लोबल वार्मिंग’ से बचने का समय हाथ से सरकता जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रस्तुत यह रिपोर्ट 2015 में हुए पेरिस जलवायु समझौते के बाद से वैश्विक ताप पर हुए अनुसंधान से मिले विस्तृत सार को समेटे है। रिपोर्ट बताती है कि इस वैश्विक समस्या से पार पाने के लिए फौरन कार्बन उत्सर्जन में कमी लानी बहुत ही जरूरी है।
यही वजह है कि गुतेरस ने कहा कि बच सको तो यही समय है, अन्यथा वह बर्फ की चादर बहुत तेजी से पिघल ही रही है जिस पर मानवता बैठी है। उनका इशारा कार्बन उत्सर्जन और जीवाश्म ईंधन के प्रयोग पर लगाम लगाने की ओर है। क्योंकि गुतेरस ने कहा भी कि इस समस्या से निपटना है तो अमीर देश 2040 तक नए जीवाश्म ईंधन की तलाश तथा कोयला, तेल तथा गैस का प्रयोग छोड़ दें।
हुआ यूं है कि संयुक्त राष्ट्र के वैज्ञानिक दल ने जलवायु परिवर्तन के खतरनाक नतीजे दर्शाने वाली एक रिपोर्ट सामने रखी है। संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रस्तुत यह रिपोर्ट 2015 में हुए पेरिस जलवायु समझौते के बाद से वैश्विक ताप पर हुए अनुसंधान से मिले विस्तृत सार को समेटे है। इतना ही नहीं, गत सप्ताह स्विट्जरलैंड में जलवायु परिवर्तन पर इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र की अंतरसरकारी कमेटी की बैठक में स्वीकार किया गया है। रिपोर्ट बताती है कि इस वैश्विक समस्या से पार पाने के लिए फौरन कार्बन उत्सर्जन में कमी लानी बहुत ही जरूरी है।
संयुक्त राष्ट्र के वैज्ञानिकों के एक शीर्ष पैनल ने सोमवार को कहा कि मानवता के पास जलवायु परिवर्तन के भविष्य के सबसे बुरे नुकसान को रोकने के लिए अभी भी एक मौका है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसा करने के लिए 2035 तक कार्बन प्रदूषण और जीवाश्म ईंधन के उपयोग को लगभग दो-तिहाई तक कम करने की आवश्यकता है।
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