पछुवा देहरादून में सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाए गए सैकड़ों मकानों को धामी सरकार के बुलडोजर ने ध्वस्त कर दिया है। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान ऐसे भी मामले सामने आए कि किस तरह से सोची समझी साजिश के तहत मुस्लिम समुदाय के लोग पश्चिम यूपी से यहां आकर अवैध रूप से बसते चले गए।
धामी सरकार के बुलडोजर डाक पत्थर से ढकरानी, शक्ति नहर, आसन बैराज के पास बनी अवैध बस्तियों पर गरजते रहे। सैकड़ों की संख्या बने पक्के मकानों को मिट्टी में मिला दिया गया है। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई में मस्जिदों और मदरसों की इमारत को छोड़ दिया गया। जानकारी के मुताबिक ये वो भवन हैं, जो अवैध बस्ती की बसावट के समय झोपड़ियां थीं, धीरे-धीरे ये कांग्रेस के राजनीतिक संरक्षण की बदौलत पक्के निर्माण में तब्दील होते चले गए। इसी की आड़ में अन्य मकान बने और इनमें रहने वाले वोटर भी बनते गए। ये सब नारायण दत्त तिवारी के शासन काल में हुआ, जब स्थानीय विधायक नव प्रभात, तिवारी सरकार में वजनदार कैबिनेट मंत्री बने।
जिस सरकारी जमीन पर धामी सरकार के बुलडोजर गरज रहे हैं, वो उत्तराखंड जल विद्युत निगम की है, जिसके द्वारा शक्ति नहर का निर्माण किया गया। ये नहर हिमाचल सीमा पर श्री पांवटा साहिब तक जाती है और नहर के दोनों तरफ अवैध कब्जे हुए हैं। अतिक्रमित भूमि पर कुछ लोगों के इंद्रा आवास, प्रधानमंत्री आवास के तहत भी घर बने हुए हैं, जिन्हें फिलहाल नहीं हटाया जा रहा है। मौके पर मौजूद एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के आगे सवाल ये उठा कि इन्हें यहां कैसे आवास दे दिया गया। इस बारे में जांच पड़ताल शुरू हो गई है। उधर यहां से हटाए गए मुस्लिम सेवा संगठन ने देहरादून डीएम कार्यालय में जाकर धरना देने का भी प्रयास किया, जिसे पुलिस-प्रशासन ने नाकाम कर दिया।
पछुवा देहरादून में जिस तरह से धामी सरकार ने सख्त कार्रवाई की है। उसे देख देहरादून जिले में अवैध रूप से नदियों में काबिज बस्तियों को भी हटाने की मांग उठने लगी है। जानकारी के मुताबिक टोंस, कालसी, यमुना, रिसपाना आदि नदियों के किनारे भी राजनीतिक संरक्षण प्राप्त अवैध बस्तियों को हटाने की मांग करते हुए वैदिक मिशन पछुवा देहरादून के प्रमुख जगवीर सिंह पुंडीर कहते हैं कि धामी सरकार ने पहली बार हिम्मत वाला काम किया है। अब ये अन्य नदियों किनारे भी होना जरूरी है, अन्यथा यहां जनसंख्या असंतुलन की समस्या खड़ी हो जाएगी।
बहरहाल धामी सरकार के बुलडोजरों ने अभियान के दूसरे दिन करीब 200 पक्के अतिक्रमणों को मिट्टी में मिला दिया। मुस्लिम सेवा संगठन के लोगों का कहना था कि हमें घर खाली करने का मौका तक नहीं दिया गया और रमजान सिर पर है। इस पर जल विद्युत निगम के डीजीएम हेमंत श्रीवास्तव का कहना है कि कब्जेदारों को पूर्व में नोटिस दिए गए, उनके घरों पर मार्क लगाए गए, मुनादी करवाई गई और नोटिस की मियाद खत्म होने के बाद भी 10 दिनों तक कार्रवाई रोकी रखी थी कि कब्जेदार खुद अपना कब्जा हटा लें, जब इनके द्वारा ऐसा नहीं किया गया तो शासन को कार्रवाई करनी पड़ी।
जानकारी के मुताबिक अवैध कब्जेदारों पर इस कार्रवाई के लिए सीधे सीएम कार्यालय से निर्देश आए। सीएम पुष्कर धामी ने कुछ दिन पहले हर जिले में सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने के निर्देश अपने अपर मुख्य सचिव के माध्यम से सभी डीएम को दिए थे, जिसके बाद से देहरादून, उधम सिंह नगर, हरिद्वार में अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू हुआ है।
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