भारत एक बार फिर जड़ों की ओर लौट रहा है खेती फिर उत्तम आजीविका बनती जा रही है। ऐसे ही नवाचार एवं अनूठे प्रयोगों और उनसे मिली सफलता की कहानियों को समेटे पाञ्चजन्य का यह विशेष आयोजन
भारत एक प्रधान कृषि देश रहा है। कभी खेती को सर्वश्रेष्ठ आजीविका माना जाता था। कहा भी गया है उत्तम खेती, मध्यम बान, नीच चाकरी, भीख निदान। परंतु शनै:-शनै: खेती लाभ का व्यवसाय नहीं रही। मौसम की मार, घटती जोत और कम आमदनी के कारण किसान किसानी छोड़ने लगे।
तब भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र में नवाचार और तकनीक के उपयोग को बढ़ाने और किसानों की आमदनी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया, इसके अनुकूल नीतियां बनाईं, पूंजी उपलब्ध कराई और जनता को जागरूक किया तो लोगों ने जुटकर स्वयं ही हालात बदल डाले।
न सिर्फ किसानों ने परंपरागत खेती छोड़ कर जैविक और प्राकृतिक खेती कर, नई फसलों को अपनाकर, उपज का प्रसंस्करण कर अपनी उपज का मूल्य बढ़ाया, बल्कि पढ़े-लिखे नौजवानों ने भी अपनी मेधा और विज्ञान का उपयोग कर कृषि स्टार्टअप प्रारंभ किए और किसानों की मुश्किलों को आसान करने में भूमिका निभाई। इससे कृषि से जुड़े क्षेत्रों में रोजगार भी बढ़ रहा है।
कई नौजवानों ने तो लाखों का कॉरपोरेट पैकेज छोड़ कर किसानी को आजीविका बनाया और कॉरपोरेट से ज्याद कमाई खेती से करके अन्य किसानों के प्रेरणास्रोत बने। भारत एक बार फिर जड़ों की ओर लौट रहा है खेती फिर उत्तम आजीविका बनती जा रही है। ऐसे ही नवाचार एवं अनूठे प्रयोगों और उनसे मिली सफलता की कहानियों को समेटे पाञ्चजन्य का यह विशेष आयोजन
यह खबर पढ़ें-
लहराने लगी कृषि स्टार्ट्प की फसल
टिप्पणियाँ