उत्तराखंड की महान विभूतियां : प्रो. खड़क सिंह वल्दिया, धरती के रहस्यों को खोलने वाले महान भू-वैज्ञानिक
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

उत्तराखंड की महान विभूतियां : प्रो. खड़क सिंह वल्दिया, धरती के रहस्यों को खोलने वाले महान भू-वैज्ञानिक

प्रो. खड़क सिंह वल्दिया बहुत सादगी पसंद और जमीन से जुड़े व्यक्ति रहे हैं। कुमाऊं विश्वविद्यालय में दो बार कुलपति रहे, लेकिन कभी भी कुलपति की कुर्सी पर नहीं बैठे। उसके बगल में एक साधारण कुर्सी लगाकर बैठते थे।

by उत्तराखंड ब्यूरो
Mar 20, 2023, 12:18 pm IST
in भारत, उत्तराखंड
प्रो. खड़क सिंह वल्दिया (फाइल फोटो)

प्रो. खड़क सिंह वल्दिया (फाइल फोटो)

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

धरती के रहस्यों को खोलने के लिए कृत संकल्प मध्य हिमालयी क्षेत्र की भूवैज्ञानिक परिस्थिति, परिवेश से विश्व समुदाय को नवीनतम जानकारी देने वाले अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त भारतीय भूविज्ञानी, कुमाऊँ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.खडग सिंह वल्दिया, जिन्हें भूगतिकी के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है।

प्रो. खड़क सिंह वल्दिया का जन्म 20 मार्च सन 1937 को कलाव नगर, तत्कालिक बर्मा वर्तमान म्यांमार देश में देवसिंह वल्दिया और नंदा वल्दिया के घर हुआ था। खड़क सिंह का बचपन म्यांमार में बीता था। सन 1947 में उनका परिवार उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में अपने गृहनगर लौट आया। विश्व युद्ध के समय एक बम के धमाके से इनकी श्रवण शक्ति लगभग समाप्त हो गई थी। परिवार में घोर गरीबी थी और कान खराब होने पर लोग इनका मजाक बनाने से भी नहीं चूकते थे। उस समयकाल में हियरिंग ऐड मशीन की सुविधा नहीं थी। उस समय बालक खड़क सिंह सदैव हाथ में एक बड़ी बैटरी लिए चलते थे, जिससे जुड़े यंत्र से वह थोड़ा बहुत सुन पाते थे। प्रारंभिक शिक्षा पिथौरागढ़ में करने के बाद इण्टरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त करने लखनऊ गए, किन्तु स्थानीय इंटर कॉलेज में इंटरमीडिएट की कक्षाएं चलनी प्रारंभ हो गयी थी। उच्च शिक्षा के लिए घोर आर्थिक संकटों के कारण पिथौरागढ़ से टनकपुर तक आना-जाना पैदल ही करते थे। पिथौरागढ़ में पढ़ाई के आखिरी दिनों में जिज्ञासावश इन्होंने अध्यापक से पूछा “मुझे क्या पढ़ना चाहिए?” अध्यापक ने कहा “तुम्हारे लिए भू-विज्ञानी बनना श्रेयस्कर होगा, पहाड़ों और चट्टानों से बातें करते रहना, न तुम्हें बात करनी होगी न सुननी होगी।”

बालक के लिये भू-विज्ञान शब्द अनोखा और नवीन था। अपनी जिज्ञासा मिटाने के लिए बालक ने भू-विज्ञान से संबंधित कुछ पुस्तकों का पता लगाया और एक-दो पूरी तरह पढ़ डाली। इस तरह यह भू-वैज्ञानिक जो सेवा भाव के लिए तो डॉक्टरी की पढ़ाई करना चाहता था, लेकिन अंदर छिपी शक्ति ने इसे धरती का डॉक्टर, जो अपने कम सुनने वाले कानों से धरती की धड़कनों को सुनने का कार्य करने लगा था। विश्वविद्यालयी छात्र जीवन में ही खड़क सिंह को प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए राज्यपाल का कांस्य पदक प्राप्त करने का गौरव प्राप्त हुआ था। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय में भू विज्ञान में पीएच.डी. की शिक्षा प्राप्त की। लखनऊ विश्वविद्यालय से ही भू-विज्ञान में एमएससी एवं स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी। विपरीत हालात में शिक्षा ग्रहण करने के बावजूद वह कुमाऊं की उच्च शिक्षा संस्था कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति और वाडिया इंस्टीट्यूट, देहरादून जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के अध्यक्ष पद तक पहुंचने में सफल रहे थे। प्रो. खड़क सिंह वल्दिया जब पहली बार प्रवक्ता पद पर साक्षात्कार देने विश्वविद्यालय गए तो उनसे पूछा गया कि “वह तो ठीक से सुन नहीं पाते शिक्षण कार्य कैसे करेंगे तो उन्होंने कहा कि वैसे ही जैसे मैंने शिक्षा ग्रहण की है और वैसे भी मुझे सुनने से ज्यादा दुनिया को अपनी बात सुनानी है।”

वह बहुत सादगी पसंद और जमीन से जुड़े व्यक्ति रहे हैं। अध्ययन के सिलसिले में ग्रामीण क्षेत्रों में लंबी यात्राओं के दौरान वह किसी भी ग्रामीण के घर में सहजता से ठहरते और भोजन करते थे। कुमाऊं विश्वविद्यालय में सन 1981 और पुन: सन 1992 में कुलपति रहे पर कभी भी कुलपति की कुर्सी पर नहीं बैठे, बल्कि इसके बगल में एक साधारण कुर्सी लगाकर बैठते थे। जब किसी मीटिंग में विषय से हटकर बात होने लगती थी तो वह अपनी सुनने की मशीन उतारकर मेज पर रख देते थे, जो वक्ताओं के लिए संकेत होता था कि वे फालतू बातों में अपना समय नष्ट नहीं करना चाहते हैं।

उत्तराखंड की महान विभूतियां : पद्मश्री से सम्मानित देवभूमि की गायिका डॉ. माधुरी बड़थ्वाल

डॉ. खड़क सिंह वल्दिया ने अपने कर्मक्षेत्र का शुभारम्भ सन 1957 में लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रवक्ता के रूप में किया था। राजस्थान विश्वविद्यालय, उदयपुर में सन 1969-70 में रीडर और सन 1970-73 में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी में वह वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी रहे। सन 1973-76 की अवधि में उप-निदेशक और सन 1980 में अतिरिक्त निदेशक के रूप में कार्यरत रहे। वह सन 1981 में कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति थे। कुमाऊँ विश्वविद्यालय में डॉ. खड़क सिंह वल्दिया विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता सन 1977-80, कुलपति सन 1981 और कार्यवाहक कुलपति सन 1984 व सन 1992 में रहे थे। खड़क सिंह वल्दिया श्रेष्ठ भूवैज्ञानिक संस्थानों की स्थापना में शामिल रहे, जिनमें वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, सेंट्रल हिमालयन एनवायरनमेंटल एसोसिएशन नैनीताल, जीबी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरनमेंट एंड डेवलपमेंट अल्मोड़ा और कुमाऊं विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग आदि सम्मिलित हैं। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के सदस्य के रूप में कार्य किया था। सन 1964 के इंटरनेशनल सम्मेलन में उन्होंने तीन आलेख प्रस्तुत किये थे। हिमालय की संरचना उसका इतिहास और उदभव, त्रिपदगाथा, विज्ञान जगत, धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान और नवनीत जैसी राष्ट्रीय पत्रिकाओं में उनके लेख छपे थे। शोधकार्य में उनका क्षेत्र बेहद विस्तृत था। उन्होंने 110 से अधिक शोध पत्र लिखे, 22 पुस्तकें लिखीं, 9 पुस्तकों का संपादन किया और विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए हिंदी में 40 से अधिक लेख लिखे थे। उन्होंने कुमाऊँ हिमालय के एक सतत और व्यापक अध्ययन के माध्यम से हिमालयी भूविज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। गोविन्द बल्लभ पर्यावरण संस्थान कोसी, कटारमल की स्थापना में इनका सहयोग अभूतपूर्व रहा था।

कुमाऊँ के इस पुत्र को पुरस्कार, सम्मान और प्रशस्तियाँ खूब मिलीं थीं। मध्य हिमालय के भूवैज्ञानिक अध्ययन, अन्वेषण और प्रस्तुति में इन्होंने जो मील के पत्थर स्थापित किये वे राष्ट्र की धरोहर हैं। डॉ. खड़क सिंह वल्दिया को प्रदत्त शीर्ष सम्मान – लखनऊ विश्वविद्यालय का चांसलर मैडल सन 1954, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक गवेषणा परिषद द्वारा शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार – सन 1976, जिओलोजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा रामाराव गोल्ड मैडल, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा राष्ट्रीय प्रवक्ता सम्मान – सन 1977-78, पर्यावरण विभाग भारत सरकार द्वारा पं. पन्त राष्ट्रीय फैलोशिप सन 1982-84, राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी द्वारा एस.के.मित्रा अवार्ड – सन 1991, खान मंत्रालय भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय खनन अवार्ड- सन 1993, राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी द्वारा डी.एन. वाडिया मैडल – सन 1995, इस्पात एवं खान मंत्रालय भारत सरकार द्वारा नेशनल मिनरल अवार्ड एक्सीलेन्स सन 1997, प्रिंस मुकर्रम गोल्ड मैडल सन 2000, हिंदी सेवी सम्मान आत्माराम अवार्ड सन 2007, सर्वोच्च नागरिक अलंकरण पद्मश्री सन 2007, एल.एन.कैलासम गोल्ड मैडल सन 2009, जी.एम.मोदी पुरस्कार विज्ञान और पर्यावरण सन 2012, भारत के सर्वोच्च नागरिक अलंकरण पद्मविभूषण सन 2015 के साथ देश की शीर्ष विज्ञान संस्थाओं – इण्डियन नेशनल साइंस अकादमी, इण्डियन अकादमी आफ साइंसेज, नेशनल साइंस अकादमी और जियोलोजिकल सोसायटी आफ इण्डिया, तृतीय विश्व अकादमी ऑफ साइंस की डॉ. खड़क सिंह वल्दिया को फेलोशिप प्राप्त है। उन्हें दो दर्जन से अधिक विशेषज्ञों की राष्ट्रीय समितियों, परिषदों, प्रशासकीय कमेटियों की इन्हें सदस्यता प्राप्त है। सन 1983-85 में वह प्रधानमंत्री की मंत्रिमण्डलीय वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्य और योजना आयोग की अनेक उपसमितियों के सदस्य रहे हैं।

Topics: प्रो. खड़क सिंहभू वैज्ञानिक खड़क सिंहभू वैज्ञानिक खड़क सिंह का योगदानखड़क सिंह वल्दिया का जीवनKharak Singh WaldiaProf. Kharak SinghGeologist Kharak SinghContribution of Geologist Kharak SinghLife of Kharak Singh Valdiyaखड़क सिंह वल्दिया
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

No Content Available

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

रिहायशी इलाकों में पाकिस्तान की ओर से की जा रही गालीबारी में क्षतिग्रस्त घर

संभल जाए ‘आतंकिस्तान’!

Operation sindoor

ऑपरेशन सिंदूर’ अभी भी जारी, वायुसेना ने दिया बड़ा अपडेट

Operation Sindoor Rajnath SIngh Pakistan

Operation Sindoor: भारत की सेना की धमक रावलपिंडी तक सुनी गई: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

Uttarakhand RSS

उत्तराखंड: संघ शताब्दी वर्ष की तैयारियां शुरू, 6000+ स्वयंसेवकों का एकत्रीकरण

Bhagwan Narsingh Jayanti

भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु बने नृसिंह

बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन: उत्पत्ति, सिद्धांत, विस्तार और विभाजन की कहानी

Free baloch movement

बलूचों ने भारत के प्रति दिखाई एकजुटता, कहा- आपके साथ 60 मिलियन बलूच लोगों का समर्थन

समाधान की राह दिखाती तथागत की विचार संजीवनी

प्रतीकात्मक तस्वीर

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारतीय सेना पर टिप्पणी करना पड़ा भारी: चेन्नई की प्रोफेसर एस. लोरा सस्पेंड

British MP Adnan Hussain Blashphemy

यूके में मुस्लिम सांसद अदनान हुसैन को लेकर मचा है बवाल: बेअदबी के एकतरफा इस्तेमाल पर घिरे

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies