ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानी तत्व पाकिस्तान के कथित इशारे पर भारत विरोधी दुष्प्रचार में लगे रहते हैं। इस संदर्भ में वहां के प्रधानमंत्री अल्बनीसी ने हाल के भारत दौरे में भारत सरकार ने और स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनसे ऐसे तत्वों पर सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया था। वहां की सरकार ने इस संबंध में अभी कोई ठोस कार्रवाई की हो, इसका प्रत्यक्ष सबूत तो अभी सामने नहीं आया है। लेकिन वहां बसे भारतीयों में अब खालिस्तानियों का नफरती दुष्प्रचार नाकाम साबित हो रहा है, इसका प्रत्यक्ष सबूत कल मिल गया।
ब्रिस्बेन में कल खालिस्तानियों ने ‘जनमत’ का शगूफा छोड़ते हुए वोट डलवाने की नौटंकी आयोजित की थी। लेकिन ब्रिस्बेन के समझदार सिखों ने उसे नकार दिया। खालिस्तानियों के जबरदस्त दबाव के बावजूद बस गिनती के सौ—डेढ़ सौ अलगाववादी सोच के लोग पहुंचे, लेकिन ‘भीड़’ दिखाने की गरज से उनको वहां से घर जल्दी नहीं लौटने दिया गया। उन पर भी अपने रिश्तेदारों, जानने वालों को वहां बुलाने का दबाव डाला गया, लेकिन ज्यादातर ने ऐसी बातों को अनसुना कर दिया।
द आस्ट्रेलिया टुडे ने कल इस संबंध में मौके से विस्तृत रिपोर्टिंग की और दिखाया कि कैसे खालिस्तानी कैंप की हवाइयां उड़ रही थीं, कैसे गिनती के लोगों को घेरकर बैठाए रखा गया था। ब्रिस्बेन में खालिस्तान समर्थकों द्वारा कल आयोजित ‘जनमत’ संग्रह का ढकोसला बुरी तरफ असफल साबित हुआ। द ऑस्ट्रेलिया टुडे के संपादक जितार्थ भारद्वाज का कहना था, “इसे सिख जनमत संग्रह नहीं कहा जा सकता, यह एक खालिस्तानी जनमत संग्रह था, जो यहां बसे सिखों का समर्थन पाने में बुरी तरह असफल रहा है।
वे भीड़ जुटाने का प्रयास कर रहे थे, कई गुरुद्वारों को फोन करके बसों की व्यवस्था करके लोगों को उनमें बैठाकर भेजने को कह रहे थे। सैकड़ों फोन किए जा रहे थे। लेकिन भारतीय समुदाय ने एकता का प्रदर्शन करते हुए खालिस्तानी एजेंडा को नकार दिया।
भारद्वाज ने आगे कहा कि, ‘आप सोच सकते हैं कि करीब 100-150 लोग ही पहुंचे थे। उन्हें वोटिंग भी 4 बजे बंद करनी पड़ी, जबकि वे इसे 5 बजे चलाना चाहते थे। लेकिन जब वोट देने वाले ही नहीं थे तो वक्त को आगे बढ़ाकर भी क्या किया जा सकता था। इसलिए 4 बजे वोटिंग बंद कर देनी पड़ी। खालिस्तानियों के चेहरे उतरे हुए थे’। उन्होंने आगे बताया कि भारत विरोधी इस नफरती कार्यक्रम में शामिल गिनती के खालिस्तानी समर्थक फोन पर और लोगों को पहुंचने की गुहार लगाते नजर आए, लेकिन तो भी लोग नहीं पहुंचे।
आस्ट्रेलिया में खालिस्तानी करतूतों पर जितार्थ एक लंबे समय से नजर रखे हुए हैं। उनका कहना है कि अंदरूनी सूत्रों से पता चला कि वे भीड़ जुटाने का प्रयास कर रहे थे, कई गुरुद्वारों को फोन करके बसों की व्यवस्था करके लोगों को उनमें बैठाकर भेजने को कह रहे थे। सैकड़ों फोन किए जा रहे थे। लेकिन भारतीय समुदाय ने एकता का प्रदर्शन करते हुए खालिस्तानी एजेंडा को नकार दिया।
उन्होंने यह भी बताया कि आस्ट्रेलिया में खालिस्तानी तत्व और आईएसआई के कथित एजेंट अमृतपाल सिंह के बारे में किसी को रत्ती भर परवाह नहीं है। अमृतपाल को यहां कोई नहीं पूछता। ऑस्ट्रेलियाई में 200,000 सिखों की बात करें तो शायद एक प्रतिशत को भी नहीं पता होगा कि अमृतपाल है कौन।
द आस्ट्रेलिया टुडे के संपादक जितार्थ को चिंता है कि सिख समुदाय में जहर रोपने की कोशिश हो रही है, जो बंद होनी चाहिए। समुदाय को बांटने की कोशिश हो रही है। यहां बसा भारतीय समुदाय परिपक्व है और जानता है कि भारत विरोधी तत्वों को हवा कौन दे रहा है। आस्ट्रेलिया के सरकार को ऐसे तत्वों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी ही होगी।
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