रक्षा मंत्रालय ने एक बार फिर ‘नॉन लैप्सेबल’ डिफेंस मॉडर्नाइजेशन फंड (डीएमएफ) बनाने पर गंभीरता से विचार करना शुरू किया है। डीएमएफ में केंद्रीय बजट के आवंटित धन को खर्च न होने की स्थिति में रखा जा सकेगा, जिसे वित्तीय वर्ष खत्म होने के बाद भी विभिन्न क्षमता विकास और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में खर्च किया जा सकेगा। हालांकि, रक्षा मंत्रालय के इस प्रस्ताव को पांच साल पहले वित्त मंत्रालय ठुकरा चुका है लेकिन इस बार डीएमएफ के लिए दोनों मंत्रालय साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
दरअसल, केंद्रीय बजट के आवंटित धन को ‘नॉन लैप्सेबल’ बनाने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्वकाल में तत्कालीन वित्त मंत्री जसवंत सिंह ने अंतरिम बजट पेश करते हुए 3 फरवरी, 2004 को डिफेंस मॉडर्नाइजेशन फंड (डीएमएफ) बनाने की घोषणा की थी। इसका मुख्य मकसद बचे हुए बजट को लैप्स होने से बचाकर अगले वित्तीय वर्ष में खर्च करना था। केंद्रीय बजट का यह प्रस्ताव जब वित्त मंत्रालय को भेजा गया तो सिरे से ख़ारिज हो गया। वित्त मंत्रालय ने उस समय डीएमएफ का प्रस्ताव ठुकराने के पीछे कई कारण भी बताए थे।
अंतरिम बजट पेश करने के तीन महीने बाद एनडीए सत्ता से बाहर हो गया। अगले 10 वर्षों तक सत्ता में रहने के दौरान संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने भी डीएमएफ की आवश्यकता को खारिज कर दिया। 2014 में फिर सत्ता में आने पर नरेन्द्र मोदी सरकार भी 2016 तक इस पर चुप्पी साधे रखी लेकिन दिसंबर, 2016 में रक्षा मंत्रालय ने संसद की रक्षा संबंधी स्थायी समिति के सामने इस प्रस्ताव को रखा। रक्षा मंत्रालय का कहना था कि खर्च न होने वाले बजट के धन को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता है। इससे विभिन्न रक्षा क्षमता विकास और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए पर्याप्त फंड उपलब्ध कराने में मौजूदा अनिश्चितता को दूर करने में मदद मिलेगी।
रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने आज लोकसभा में मछलीपट्टनम (आंध्र प्रदेश) के सांसद बालाशोवरी वल्लभानेनी के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि मंत्रालय ने अब तक के फंड की समीक्षा करके वित्त मंत्रालय के सामने नए सिरे से डिफेंस मॉडर्नाइजेशन फंड (डीएमएफ) बनाने का प्रस्ताव किया है। इस बार वित्त मंत्रालय के परामर्श से निधि के संचालन के लिए एक उपयुक्त तंत्र बनाने पर काम किया जा रहा है। डीएमएफ बनने के बाद प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में बचने वाला धन लैप्स नहीं होगा और अगले वित्तीय वर्ष में खर्च के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है।
दरअसल, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आवंटित रक्षा बजट में पूंजीगत व्यय का आधा हिस्सा अभी तक खर्च नहीं हो पाया है। पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में रक्षा मंत्रालय को 5.25 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था। इसमें सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित पूंजी आवंटन 1.52 लाख करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आवंटित कुल 1.52 हजार करोड़ के बजट में से 01 फरवरी तक केवल 52% यानी 80,500 करोड़ खर्च किए गए हैं। पूंजीगत व्यय का भी 48 फीसदी हिस्सा खर्च न हो पाने से सशस्त्र बलों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सेना का 28 फीसदी, नौसेना का 44 फीसदी और वायु सेना का 48 फीसदी बजट खर्च नहीं हुआ है।
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