बलिदानी पिता-पुत्र शंकर शाह और रघुनाथ शाह

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जनजातीय समाज में अनेकों बलिदानी योद्धा हुए जो अपनी मातृभूमि के लिए बलिदान देने में कभी पीछे नहीं हटे। उनकी वीरता की गाथाएं आज भी सबके लिए प्रेरणा हैं। ऐसे योद्धाओं का जब नाम लिया जाता है तो मध्य प्रदेश के गोंडवाना राजा शंकर शाह और उनके बेटे कुंवर रघुनाथ शाह दोनों को कैसे भुलाया जा सकता है। दोनों पिता-पुत्र को अंग्रेजों ने तोप से बांधकर उड़ा दिया था। राजा शंकर शाह, उनके पुत्र रघुनाथ शाह ने मातृभूमि के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था।

राजा शंकर शाह और पुत्र रघुनाथ शाह बेहद अच्छे कवि थे। वे कविताओं के माध्यम से प्रजा में देशभक्ति की भावना जागृत कर देते थे। जनजातीय समाज से आने वाले राजा शंकर शाह का राज्य गोंडवाना (वर्तमान जबलपुर) से लेकर मंडला समेत आसपास के जिलों तक फैला था। बात 1857 की है। उस दौरान गोंडवाना में तैनात अंग्रेजों की 52वीं रेजीमेंट का कमांडर क्लार्क बेहद ही क्रूर था। वह इलाके के छोटे राजाओं, जमीदारों और जनता को परेशान किया करता था और उनसे मनमाना कर वसूलता था। इस पर तत्कालीन गोंडवाना राज्य के राजा शंकर शाह और उनके बेटे कुंवर रघुनाथ शाह ने अंग्रेज कमांडर क्लार्क के सामने झुकने से इनकार करते हुए उनसे लोहा लेने की ठानी। दोनों ने अपने आसपास के राजाओं को अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट करना शुरू दिया। उनकी कविताओं ने जनता में विद्रोह की अग्नि सुलगा दी। हालांकि, इन सबके बीच एक गद्दार और भ्रष्ट कर्मचारी गिरधारी लाल भी था, जो अंग्रेजों की मदद करता था। राजा ने उसे निष्कासित कर दिया था, क्योंकि गिरधारी लाल अंग्रेजों के लिए राजा की कविताओं का हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद करता था। इससे क्लार्क ने चारों ओर अपने गुप्तचर तैनात कर दिए थे।

इनमें से कुछ ऐसे भी गुप्तचर थे, जो साधु के भेष में महल में गए और सारा भेद लाकर क्लार्क को बता दिया कि दो दिन बाद छावनी पर हमला होने वाला है। इसकी वजह से हमले से पहले ही (14 सितंबर) राजा शंकर शाह और उनके 32 वर्षीय बेटे को क्लार्क ने बंदी बना लिया। इन दोनों को अंग्रेजों ने जहां बंदी बनाकर रखा था वर्तमान में वह जबलपुर डीएफओ कार्यालय है। इसके चार दिन बाद 18 सितंबर 1857 को दोनों को अलग-अलग तोप के मुंह पर बांधकर उड़ा दिया गया था। दोनों ने हंसते-हंसते मौत को गले लगा लिया था, लेकिन तब तक जनता में अंग्रेजों के प्रति गुस्सा उबल चुका था, जो आजादी मिलने तक जारी रहा।

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