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जिनपिंग डाल रहे नेपाल पर डोरे! बधाई के बहाने बोले ‘बीआरआई’

राष्ट्रपति बनने पर 78 साल के रामचंद पौडेल को भेजे अपने बधाई संदेश की चाशनी में लपेटकर शी ने परोक्ष रूप से बीआरआई को लेकर अपना रौब डाला। कहा, वह 'बेल्ट एंड रोड' सहयोग के आगे बढ़ने की बाट जोह रहे हैं

by WEB DESK
Mar 15, 2023, 12:00 pm IST
in विश्व
राष्ट्रपति शी जिनपिंग और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल

राष्ट्रपति शी जिनपिंग और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल

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चीन नेपाल की परियोजनाओं और वित्तीय उपक्रमों में ही दखल नहीं देता आ रहा है, वह वहां की राजनीति को भी प्रभावित कर रहा है। इसका उदाहरण नेपाल में लंबे समय से बनी राजनीतिक ​अर्थव्यवस्था में देखा जा सकता है। चीन की कथित शह पर वहां के माओवादी कम्युनिस्ट दल सरकार में स्थिरता आने ही नहीं देते। इस बार प्रचंड के बिना कुछ खास सीटें जीते भी प्रधानमंत्री बनने के पीछे भी बीजिंग की दखल देखी जा रही है। और अब रामचंद्र पौडेल के राष्ट्रपति बनने के मौके पर भी चीन ने नेपाल पर अपना दबदबा कायम रखने की कोशिश की है।

चीन के तीसरी बार राष्ट्रपति बने शी जिनपिंग ने नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल को बधाई संदेश तो भेजा है, लेकिन साथ ही वे अपने मुनाफे की बेल्ट एंड रोड परियोजना का उल्लेख करना नहीं भूले।

नेपाल के नए राष्ट्रपति बनने पर 78 साल के रामचंद पौडेल को भेजे अपने बधाई संदेश की चाशनी में लपेटकर परोक्ष रूप से बीआरआई को लेकर अपना रौब डालने की कोशिश की। शी ने संदेश में कहा कि वह ‘दोनों देशों के मध्य पारंपरिक दोस्ती को आगे ले जाने, आपस के राजनीतिक भरोसे को गहरा करने तथा उच्च गुणवत्ता वाले बेल्ट एंड रोड सहयोग को आगे बढ़ाने’ के लिए पौडेल के साथ काम करने की बाट जोह रहे हैं।

‘रिश्तों को गहराने’ की बात करने वाले अपने इस ‘बधाई’ संदेश में राष्ट्रपति जिनपिंग ने नेपाल के कई सीमावर्ती क्षेत्रों को डकार जाने का जिक्र नहीं किया। उन्होंने नेपाल और भारत के बीच रहे रोटी—बेटी के संबंधों में सेंध लगाने की बीजिंग की कोशिशों का जिक्र नहीं किया।

हिमालयी देश नेपाल के नए राष्ट्रपति पौडेल को भेजे अपने ‘बधाई’ संदेश में जिनपिंग आगे लिखते हैं, ‘हमारे बीच 1955 में राजनयिक संबंध कायम हुए, उसके बाद से ही उनके संबंधों ने विकास को स्वस्थ तथा स्थिर बनाए रखा है, बड़े और छोटे देशों के बीच शांति से रहने, दोस्ती तथा पारस्परिक सहयोग का एक शानदार उदाहरण कायम किया है।’

2017 में काठमांडु में बीआरआई करार पर दस्तखत करते हुए चीन और नेपाल के तत्कालीन प्रभारी अधिकारी

पांच साल के लिए फिर से चीन के राष्ट्रपति बने जिनपिंग का कहना है कि वह चीन-नेपाल रिश्तों को कहरा करने को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं। वे दोनों देशों के बीच पारंपरिक दोस्ती को और मजबूत करने के लिए पौडेल के साथ काम करने को तैयार हैं।

उल्लेखनीय है कि बेल्ट एंड रोड परियोजना जिनपिंग ने 2013 में तब शुरू की थी जब वे सत्ता में पहली बार आए थे। अरबों डॉलर की इस परियोजना का घोषित मकसद दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी, अफ्रीका तथा यूरोप को समुद्र के रास्ते आपस में जोड़ना है।

बीआरआई ही नहीं, चीन बुनियादी ढांचे की अन्य अनेक परियोजनाओं के जरिए नेपाल में अपनी दखल बढ़ाता आ रहा है। चीन ने नेपाल के साथ बीआरआई पर करार किया हुआ है। इसमें ट्रांस-हिमालयन विद्युत पारेषण लाइन बिछाने का काम होगा। नेपाल में चीन एक रेलवे नेटवर्क भी बनाने पर बात कर चुका है।

‘रिश्तों को गहराने’ की बात करने वाले अपने इस ‘बधाई’ संदेश में राष्ट्रपति जिनपिंग ने नेपाल के कई सीमावर्ती क्षेत्रों को डकार जाने का जिक्र नहीं किया। उन्होंने नेपाल और भारत के बीच रहे रोटी—बेटी के संबंधों में सेंध लगाने की बीजिंग की कोशिशों का जिक्र नहीं किया। शी ने यह नहीं लिखा कि ड्रैगन के कथित इशारे पर कैसे कभी हिन्दू राष्ट्र रहे नेपाल के भोले—भाले नागरिकों में भारतविरोधी भावनाएं पनपाई जा रही हैं।

नेपाल के राजनयिकों को समझना होगा कि चीन छोटे देशों को अपने पैसे के रौब में फंसाकर उन्हें कंगाल बनाने के लिए कुख्यात है। श्रीलंका और पाकिस्तान सहित दक्षिण अफ्रीका के कुछ छोटे देश चीन के इसी ‘बड़े दिल’ की ‘दरियादिली’ का दंश झेल रहे हैं।

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