मुजफ्फरनगर में फास्ट ट्रैक अदालत ने रामपुर तिराहा कांड मामले में एक अभियुक्त को जेल भेज दिया है, जबकि एक अन्य की संपत्ति को कुर्क करने का आदेश जारी किया गया है। उसे कोर्ट में बुलाया गया था, लेकिन वह नहीं आया था।
उत्तराखंड राज्य बनाए जाने की मांग को लेकर आंदोलनकारी दिल्ली जा रहे थे। उस दौरान मुलायम सिंह सरकार के इशारे पर पुलिसकर्मियों द्वारा आंदोलनकारियों पर लाठी चार्ज किया गया था, गोलियां भी चलाई गई थीं। महिलाओं के साथ दुष्कर्म किए जाने के आरोप में सीबीआई जांच के बाद फास्ट ट्रैक अदालत में सुनवाई चल रही है। इस मामले में करीब 40 पुलिसकर्मी आरोपी हैं, इनमें से ज्यादातर सेवा निवृत्ति हो चुके हैं और कोर्ट में आत्मसमर्पण कर चुके हैं। उन्हें जमानत भी मिल चुकी है।
इसी क्रम में राकेश मिश्रा को भी समन जारी हुआ था, लेकिन वो पहुंचे नहीं। पुलिस की सख्ती के बाद जब वो कोर्ट पहुंचे तो उनका वारंट रिकॉल नहीं होने की वजह से कोर्ट ने उन्हें जेल भेज दिया। वहीं, एक अन्य आरोपी विक्रम सिंह के फरार रहने पर कोर्ट ने सीबीआई को 24 मार्च तक आख्या देने को कहा है। आरोपी की संपत्ति कुर्क करने के आदेश भी जारी कर दिए हैं।
बता दें कि रामपुर तिराहा कांड 1 और 2 अक्टूबर 1994 को हुआ था, जिसमें 6 उत्तराखंड वासियों की मौत हुई थी। महिलाओं के साथ पुलिसकर्मियों द्वारा दुष्कर्म किए जाने के आरोप भी लगे थे। इस मामले को केंद्र की एनडीए और राज्य की बीजेपी सरकार ने सीबीआई जांच के बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट को सुपुर्द किया था।
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