उत्तर प्रदेश बदल रहा है। काशी में विश्वनाथ कॉरिडोर बन जाने के बाद बाबा विश्वनाथ के मंदिर में दर्शनार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अगले वर्ष अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण पूर्ण हो जाएगा। विंध्यवासिनी धाम में विकास योजनाओं पर तेजी से कार्य हो रहा है। कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा बनने के साथ ही बौद्ध धार्मिक स्थल का विकास किया गया है। कुशीनगर में श्रीलंका, तिब्बत और जापान आदि देशों के लोग सीधे पहुंच रहे हैं। उत्तर प्रदेश में धर्म और पर्यटन को एक साथ पिरोने का प्रयास अहर्निश जारी है। काशी की तरह मथुरा को भी भव्य स्वरूप दिया जाएगा। जापान के टोक्यो टावर की तर्ज पर प्रदेश में स्काई ट्री बनाया जाएगा। जापान में सात देवताओं की पूजा होती है जिनमें से चार सनातन धर्म के हैं, इस आधार पर जापान के लोग भारत के साथ तेजी से जुड़ रहे हैं। कोरोना के बाद अब कोई चीन नहीं जाना चाहता। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत पर्यटन का एक बड़ा केंद्र बनकर उभरा है। इन सभी विषयों पर उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने पाञ्चजन्य के ब्यूरो प्रभारी सुनील राय से विशेष बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के सम्पादित अंश –
धर्म और पर्यटन के क्षेत्र में क्या बदलाव आया है?
पहले एक दौर था, जब कुछ लोग मजार पर तो बड़े शौक से चादर चढ़ाते थे, बाहर निकल कर फोटो भी खिंचवाते थे। फिल्म प्रमोशन का मौका हो या फिर चुनावी मौसम, इस तरह की फोटो अक्सर अखबारों में छपती थीं। ये वे लोग थे जिन्हें मंदिर जाने से परहेज हुआ करता था। वे इस बात से डरते थे कि कहीं उन पर आरोप न लग जाए कि वे हिंदुत्व को बढ़ावा दे रहे हैं। आज वही लोग बड़े गर्व से मंदिर जाते हैं और फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं। राहुल गांधी मंदिर में जा रहे हैं, जनेऊ पहन कर पूजा कर रहे हैं। ये वे लोग हैं जिन्होंने राम सेतु की प्रामाणिकता पर सवाल उठाया, भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया, अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर निर्माण में जितनी बाधा पहुंचा सकते थे, वह सब किया और आज हालत ये हो गई है कि इन लोगों को मंदिर में ही शरण लेनी पड़ रही है। भारत की राजनीति में इस युगांतकारी बदलाव का श्रेय हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को जाता है।
प्राचीनकाल में पर्यटन धार्मिक यात्रा से जुड़ा हुआ था। तीर्थयात्रियों के कारण स्थानीय रोजगार के अच्छे अवसर उपलब्ध थे। मगर बाद में यह अर्थव्यवस्था कमजोर कर दी गई। मुगल काल में आक्रान्ताओं ने हमारे धार्मिक स्थलों को जान-बूझकर क्षति पहुंचाई। उसके बाद जब देश स्वतंत्र हुआ, तब जो सरकारें आर्इं, उन लोगों ने हमारे धार्मिक स्थलों को उपेक्षित रखा। हमारे धार्मिक स्थलों पर प्रहार तो बहुत हुए मगर उसके बाद भी उनका अस्तित्व विद्यमान रहा।
वही स्वर्णिम काल फिर से लौटे, इसके लिए आपकी क्या योजना है?
जब लोग धार्मिक यात्रा के लिए निकलें तो साथ में पर्यटन भी हो, इस दृष्टि से हमारी सरकार कार्य कर रही है। हम लोगों ने विभिन्न स्थलों को ऐसे विकसित किया है ताकि जब कोई भी अपने घर से निकले तो उसे मंदिर में दर्शन भी हों और पर्यटन का उद्देश्य भी पूरा हो जाए। प्राचीन काल में हमारे यहां चार धाम यात्रा या फिर कोई भी धार्मिक यात्रा हो, उन्हीं यात्राओं से पर्यटन जुड़ा हुआ था। उन्हीं धार्मिक यात्राओं से परिवहन और अन्य स्थानीय रोजगार भी जुड़ा हुआ था। कोई भी अपने घर से निकला तो सबसे पहले परिवहन वाले को रोजगार मिला। धार्मिक स्थल पर पहुंचा तो वहां पर होटल या धर्मशाला वाले को रोजगार प्राप्त हुआ। उसके बाद उसने जो कुछ भी जलपान या भोजन किया तो दुकानदार को रोजगार मिला। हमने एक गणना के आधार पर पाया है कि एक विदेशी पर्यटक जब हमारे यहां आता है तो 6 भारतीय लोगों को रोजगार मिलता है। धार्मिक केंद्रों से अर्थ एवं व्यापार भी चलायमान था। यह वह दौर था जब भारत विश्व गुरु था।
प्राचीन काल में हमारे यहां चार धाम यात्रा या फिर कोई भी धार्मिक यात्रा हो, उन्हीं यात्राओं से पर्यटन जुड़ा हुआ था। उन्हीं धार्मिक यात्राओं से परिवहन और अन्य स्थानीय रोजगार भी जुड़ा हुआ था। एक गणना के आधार पर हमने पाया है कि एक विदेशी पर्यटक जब हमारे यहां आता है तो 6 भारतीय लोगों को रोजगार मिलता है। धार्मिक केंद्रों से अर्थ एवं व्यापार भी चलायमान था।
अयोध्या, मथुरा और काशी को लेकर आपकी क्या योजना है?
अयोध्या जनपद की सीमा 6 जनपदों से लगी हुई है। उन सभी 6 जनपदों पर हम लोग स्वागत द्वार बना रहे हैं। इन स्वागत द्वारों के निर्माण के लिए जमीन खरीद ली गई है, पैसा हस्तांतरित कर दिया गया है। इसको पीपीपी मॉडल पर संचालित किया जाएगा। उन सभी स्वागत द्वार के पास हम लोग पार्किंग, ठहरने एवं खाने-पीने की उत्तम व्यवस्था कर रहे हैं। इस व्यवस्था में तीन श्रेणियां बनाई गई है। इसे आर्थिक आधार पर तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। साधारण रूप से हमने तय किया है कि अगर कोई श्रद्धालु आता है तो उसे 365 रुपये में खाने-पीने और ठहरने की सुविधा मिल जाए। उसके बाद मध्यम श्रेणी और और उच्च श्रेणी की दर निर्धारित की जाएगी। धन के अभाव में किसी की धार्मिक यात्रा नहीं रुकने पाएगी। वहीं पर पेट्रोल पंप, सीएनजी, इलेक्ट्रिक वाहन के चार्जिंग स्टेशन भी बनाए जाएंगे। अयोध्या में हम अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा बना रहे हैं।
काशी में व्यापार बढ़ा है। आज वहां होटल व्यवसाय में उछाल आया है। सप्ताह के आखिरी दो दिनों में जबर्दस्त भीड़ हो रही है। काशी में स्थानीय व्यापार में जिस तरह का उछाल आया है, वह आज सभी के सामने है। अयोध्या में मंदिर अगले वर्ष बनकर तैयार हो जाएगा। मथुरा, नैमिषारण्य, गोरखपुर, चित्रकूट, बटेश्वर, आगरा – इन सभी स्थानों पर भव्य पर्यटन स्थलों का निर्माण किया जाएगा।
कई धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल-जैसे चित्रकूट आदि डकैतों के क्षेत्र होने के कारण कुख्यात हैं। यहां पर्यटन तो दूर की बात, लोगों को वहां जाने तक में डर लगता था?
पर्यटक कहीं पर जाएं और उनके साथ कोई घटना हो जाए, छीनाझपटी हो जाए, ऐसे में बहुत गलत संदेश चला जाएगा। हमारी सरकार ने कानून-व्यवस्था में आमूल-चूल सुधार किया है। यह उसीका परिणाम है कि पर्यटन के क्षेत्र में पर्यटक की संख्या में वृद्धि हुई है। प्रमाण सामने है, डकैतों के लिए कुख्यात स्थान पर आज पर्यटक पहुंच रहे हैं। आगरा में बटेश्वर तीन दृष्टियों से बहुत महत्वपूर्ण है, यहां पर सौरीपुर-जैन तीर्थ स्थल है। शिव मंदिर है जिसमें 101 शिवलिंग स्थापित हैं, ऐसी मान्यता है कि यमुना जी शिवमंदिर को स्पर्श करने के लिए पूर्व वाहिनी होती हैं और फिर आगे से मुड़कर पश्चिम वाहिनी हो जाती हैं। बटेश्वर अटल जी का जन्म स्थान है। यह सब कुछ एक किलोमीटर की परिधि में है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि नारायण दत्त तिवारी जब मुख्यमंत्री थे, तब इसी स्थान पर डकैतों ने आत्मसमर्पण किया था। जो स्थान कभी डकैतों के लिए कुख्यात था, उस स्थान को हमने पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने में सफलता पाई है। इसी तरह चित्रकूट, जहां डकैतों का आतंक था, में हमारी सरकार ने ऐसा विकास कार्य किया है कि आज वहां पर पर्यटक पहुंच रहे हैं।
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पर्यटन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश एक बेहतर गंतव्य बनकर उभरे, अंतरराष्ट्रीय पर्यटक उत्तर प्रदेश आएं, इसके लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
कोरोना के बाद लोग अब चीन जाना नहीं चाहते हैं। अब जापान के लोग भी चीन नहीं जाना चाहते हैं। दुनिया का सबसे बड़ा गंतव्य आज की तारीख में भारत है। हम लोग हाल ही में जापान गए थे। तब हम लोगों ने बौद्ध सर्किट के बारे में वहां के लोगों को बताया। जापान के लोगों को यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि उत्तर प्रदेश में बौद्ध धर्म स्थलों को इतना विकसित कर दिया गया है। जापान में सात देवताओं की पूजा होती है जिसमें से चार सनातन धर्म के हैं। इस कारण जापान के लोग तेजी से भारत से जुड़ रहे हैं। जापान में टोक्यो टावर, पर्यटन का बहुत बड़ा केंद्र है। उसी की तर्ज पर देश का पहला स्काई ट्री उत्तर प्रदेश में बनाया जाएगा। इस योजना पर कार्य शुरू हो चुका है। रामायण सर्किट, बौद्ध सर्किट- इस तरह के सभी सर्किट पर कार्य प्रगति पर है। जितने भी तीर्थ स्थल हैं, वहां हम लोगों ने ‘रोड कनेक्टिविटी’ मुहैया कराई है।
विश्व में 67 देश ऐसे हैं जहां बौद्ध अनुयायी हैं। विदेशी पर्यटकों के आने से रोजगार के अवसर तो बढ़ते ही हैं, साथ ही व्यापार भी बढ़ता है। हमने कुशीनगर के आस-पास बुनियादी ढांचे को विकसित किया है।
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