गैरी लिनेकर को लेकर बीबीसी में उठा विवाद थमने की बजाय बढ़ा जा रहा है। चैनल में खेल के मामले में बहुत ही प्रसिद्ध होस्ट माने जाने वाले लिनेकर को बीबीसी द्वारा निलंबित किया जाना चैनल के महानिदेशक के लिए गले की फांस बनता जा रहा है। ब्रिटिश सरकार की आप्रवासन नीतियों के विरुद्ध ट्वीट करने से नाराज चैनल ने उन्हें काम से क्या हटाया, चैनल में उनके कई साथी एंकरों ने भी काम रोको हड़ताल कर दी। इस वजह से पिछले दो दिन से बीबीसी के प्रसारण में बाधाएं देखने में आई हैं।
स्पष्ट है कि ब्रिटेन में मुख्यालय वाले बीबीसी चैनल को अपने अंदर बगावती तेवरों का सामना करना पड़ा है। चैनल के जाने—माने एंकर गैरी लिनेकर कभी इंग्लैंड की फुटबाल टीम के कप्तान रहे थे। इस चैनल पर वे सबसे ज्यादा पगार पाने वाले खेल प्रस्तोता माने जाते हैं। चैनल पर उनका कार्यक्रम ‘मैच ऑफ द डे’ काफी चर्चित खेल कार्यक्रम है, जिसे वे एक लंबे समय से प्रस्तुत करते आ रहे हैं।
हुआ यूं था कि गैरी लिनेकर ने हाल ही में एक ट्वीट किया था। उसमें उन्होंने ब्रिटेन की सरकार की नई आप्रवासी नीति के विरुद्ध अपना मत व्यक्त किया था। 9 मार्च को किए अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा था—’कोई बहुत ज्यादा लोग नहीं आ रहे हैं। यूरोप के दूसरे बड़े देशों के मुकाबले हमारे यहां कहीं कम लोग आते हैं…..’। इतना ही नहीं, उन्होंने ब्रिटेन की आप्रवासन नीति की तुलना 1930 के नाजी जर्मनी के रवैए से कर दी। उनके इस ट्वीट के बाद चैनल भड़क गया और लिनेकर को निलंबित कर दिया। जैसे ही इसकी खबर चैनल में उनके साथियों को लगी, उन्होंने काम बंद कर दिया। खेल के कमेंटेटरों ने कमेंट्री रोक दी। कार्यक्रम प्रभावित होने लगे।
प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सरकार ने गत दिनों संसद में नई प्रवासी नीति लाने की घोषणा की थी। इस नीति के अंतर्गत ब्रिटिश सरकार छोटी नावों पर सवार होकर इंग्लिश चैनल पार करके आने वाले अवैध शरणार्थियों पर रोक लगाना चाहती है। हालांकि इस मुद्दे पर सरकार विरोध भी झेल रही है।
हालांकि बीबीसी ने स्पष्टीकरण में कहा है कि उनके इस कदम के पीछे सरकार की तरफ से कोई निर्देश नहीं था। यह उनका स्वत: लिया निर्णय लिया। लेकिन दुनियाभर के खेल विशेषज्ञ बीबीसी के इस कदम की आलोचना तो कर ही रहे हैं, वे कह रहे हैं कि लगता है, बीबीसी सरकार के आगे नतमस्तक हो गई है।
विवाद बढ़ता देख बीबीसी के महानिदेशक टिम डेवी ने उन अटकलों को खारिज कर दिया कि ‘वे इस्तीफा देने वाले हैं।’ उन्होंने बयान जारी किया कि इस्तीफा देने का उनका कोई विचार नहीं है। टिम ने कहा कि ‘बीबीसी में हम बिना पक्षपात के काम करते हैं, किसी विचारधारा अथवा पार्टी का समर्थन नहीं करते’।
उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सरकार ने गत दिनों संसद में नई प्रवासी नीति लाने की घोषणा की थी। इस नीति के अंतर्गत ब्रिटिश सरकार छोटी नावों पर सवार होकर इंग्लिश चैनल पार करके आने वाले अवैध शरणार्थियों पर रोक लगाना चाहती है। हालांकि इस मुद्दे पर सरकार विरोध भी झेल रही है। इसी विषय पर लिनेकर ने ट्वीट करके अपना विरोध प्रकट किया था।
लिनेकर मुद्दे पर सरकार और विपक्ष में भी तकरार चल निकली है। संसद में सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी वाले के बीबीसी के पाले में खड़े दिखते हैं, तो विपक्षी लेबर पार्टी वाले ‘बीबीसी पर सरकारी दबाव’ का आरोप उछाल रहे हैं और इसे ‘अभिव्यक्ति की आजादी पर लगाम कसना’ कह रहे हैं। दोनों तरफ से खिंची तलवारों पर बीबीसी के पूर्व महानिदेशक ग्रेग डायक का कहना ने कहा कि लिनेकर को काम से हटाकर बीबीसी ने गलत किया है।
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