कम्युनिस्ट चीन और अमेरिका के रिश्ते पिछले कुछ साल से बेहद खराब हालत में हैं। कूटनीति सहित कारोबारी मोर्चे पर भी दोनों पक्ष आएदिन एक दूसरे पर आरोप लगाते आ रहे हैं। कोविड महामारी, रूस—यूक्रेन युद्ध, ताइवान, सिंक्यांग आदि में चीन की भूमिका पर अमेरिका सवाल खड़े करता आ रहा है। इसी वजह से उसने ड्रैगन के कई वरिष्ठ अधिकारियों पर प्रतिबंध जड़े हुए हैं। ऐसे ही एक अधिकारी को कल चीन ने अपना नया रक्षा मंत्री घोषित करके अपनी मंशा और साफ कर दी है।
चीन ने उस सैन्य अधिकारी ली शांगफू को रक्षा मंत्री घोषित किया है जिस पर 2018 में अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया था। अमेरिका ने तब शांगफू की तमाम संपत्ति तथा वीसा को भी प्रतिबंधित किया था। विस्तारवादी चीन के इस कदम को लेकर अनेक रक्षा विशेषज्ञ मान रहे हैं कि भविष्य में चीन तथा अमेरिका के बीच रिश्ते और कड़वे ही हो सकते हैं। 65 साल के शांगफू जल्दी ही निवर्तमान रक्षा मंत्री वेई फेंग के स्थान पर यह दायित्व संभालने वाले हैं।
दिलचस्प बात है कि अब तक रक्षा मंत्री रहे फेंग ने गत अक्तूबर महीने में ही त्यागपत्र देने की घोषणा कर दी थी। बताया गया था कि वेंग को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में शामिल किया जाना है। कल बीजिंग में घोषित सूची में उनका नाम देखकर लोगों को खास आश्चर्य नहीं हुआ।
शांगफू नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी से स्नातक हैं। वे जिचांग उपग्रह प्रक्षेपण केन्द्र में भी काम कर चुके हैं। तब चीन ने अपनी पहली उपग्रह रोधी मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया था। ली शंगफू चीन में अंतरिक्ष, साइबर तकनीक, राजनीतिक तथा इलेक्ट्रॉनिक युद्ध रणनीति के जानकार माने जाते हैं।
चीन के रक्षा मंत्री बनने जा रहे ली शांगफू नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी से स्नातक हैं। वे जिचांग उपग्रह प्रक्षेपण केन्द्र में भी काम कर चुके हैं। तब चीन ने अपनी पहली उपग्रह रोधी मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया था। ली शंगफू चीन में अंतरिक्ष, साइबर तकनीक, राजनीतिक तथा इलेक्ट्रॉनिक युद्ध रणनीति के जानकार माने जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि 2018 में अमेरिका शांगफू की गतिविधियों से खासा नाराज हुआ था। वजह थी चीन के लिए एक रूसी हथियार कारोबारी सुखाई 35 लड़ाकू विमान और एस 400 मिसाइल सिस्टम की चीन के लिए खरीदी में शांगफू की भूमिका। उस दौरान ली शांगफू चीन के उपकरण विकास विभाग के निदेशक थे और चीन की रक्षा प्रौद्योगिकी की निगरानी के जिम्मेदार थे।
शांगफू की इन भूमिकाओं से चिढ़कर अमेरिकी विदेश विभाग ने शांगफू के विभाग तथा रूस की कुछ संस्थाओं को प्रतिबंधित किया था। शांगफू पर वित्तीय तंत्र में किसी भी तरह के लेन-देन के संदर्भ में पूर्ण प्रतिबंध लगाया था। इसके साथ ही, अमेरिका ने शांगफू, उनकी तमाम संपत्ति तथा वीसा पर भी पाबंदी लगा दी थी।
जिस व्यक्ति को अमेरिका अपनी आंखों की किरकिरी मानता है उसे ही रक्षा मंत्री बनाकर चीन ने भविष्य की अपनी मंशा और और स्पष्ट कर दिया है। सैन्य और प्रतिरक्षा के मामले में अब अमेरिका को और सतर्क रहने की जरूरत है। शांगफू अपने नेता राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ‘योजनाओं’ से अनभिज्ञ तो बिल्कुल नहीं होंगे। आने वाले वक्त में उनके नेतृत्व में पीएलए और रक्षा तंत्र की क्या दिशा रहेगी, इस पर रक्षा विशेषज्ञों की पैनी नजर रहने वाली है।
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