मध्य प्रदेश के डिंडौरी और मंडला जिलों की सीमा पर स्थित जुनवानी गांव अमरपुर विकासखंड में पड़ता है। समनापुर थानांतर्गत इसी गांव में जेडीईएस मिशनरी हायर सेकेंडरी स्कूल है, जिसका संचालन एक मिशनरी करती है। इस विद्यालय में 600 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं और ये सभी वनवासी हैं। छात्रावास भी विद्यालय परिसर में है। जिन छात्राओं ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं, वे छात्रावास में रहती थीं।
मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले में मिशनरी द्वारा संचालित एक विद्यालय में नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण किया जाता था। बच्चियों का यौन शोषण करने वाले कोई और नहीं, पादरी, विद्यालय के प्राचार्य और एक शिक्षक थे। हालांकि छात्रावास की वार्डन एक महिला थी, लेकिन वह भी आरोपियों के साथ मिली हुई थी। डर के कारण बच्चियां चुपचाप सब कुछ बर्दाश्त कर रही थीं।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) को विद्यालय में संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिली। इसके बाद आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के नेतृत्व में टीम ने जब मामले की जांच की, तब पादरी और आरोपी शिक्षकों की करतूतों पर से परदा हटा। इसके बावजूद पुलिस ने हीलाहवाली की और मामला तक दर्ज नहीं किया। बाद में आरोपी प्राचार्य को भी छोड़ दिया। लेकिन एनसीपीसीआर के दखल के बाद इस मामले के चारों आरोपियों में से एक नान सिंह यादव, जो कि प्राचार्य है, गिरफ्तार हो चुका है, जबकि पादरी सनी, अतिथि शिक्षक खेमचंद और वार्डन सविता फरार हैं। आरोपियों पर यौन शोषण, छेड़छाड़, पॉक्सो कानून और एससी-एसटी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा जांच में कई और गड़बड़ियां भी पकड़ी गई हैं।
यौन शोषण और मारपीट
मध्य प्रदेश के डिंडौरी और मंडला जिलों की सीमा पर स्थित जुनवानी गांव अमरपुर विकासखंड में पड़ता है। समनापुर थानांतर्गत इसी गांव में जेडीईएस मिशनरी हायर सेकेंडरी स्कूल है, जिसका संचालन एक मिशनरी करती है। इस विद्यालय में 600 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं और ये सभी वनवासी हैं। छात्रावास भी विद्यालय परिसर में है। जिन छात्राओं ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं, वे छात्रावास में रहती थीं। विद्यालय में संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिलने पर मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की टीम पुलिस के साथ 3 मार्च को जांच के लिए जेडीईएस मिशनरी हायर सेकेंडरी स्कूल पहुंची।
इस टीम के साथ जिला बाल कल्याण समिति, शिक्षा विभाग एवं महिला बाल विभाग के अधिकारी भी थे। पूछताछ के दौरान पीड़ित छात्राओं ने बताया कि आरोपी पादरी सहित अन्य न केवल उनका यौन शोषण करते थे, बल्कि उनके साथ मारपीट भी करते थे। यहां तक कि प्रार्थना के समय भी अश्लील हरकतें करते थे। डरी-सहमी छात्राएं चुपचाप यह सब झेलने के लिए विवश थीं। लेकिन जब आयोग की टीम छात्रावास पहुंची और सुरक्षा का भरोसा दिलाया तब एक-एक कर 8 बच्चियों ने आपबीती सुनाई। बच्चियों ने कहा कि उन्हें ठीक से खाना भी नहीं दिया जाता है। इसके बाद जांच टीम उसी दिन शाम को इन बच्चियों को जिला मुख्यालय स्थित सरकारी वन स्टॉप सेंटर ले गई। अगले दिन सुबह महिला थाने में सभी का बयान लेने के बाद आरोपियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई।
बच्चियों को छुड़ाने के प्रयास
इसी बीच, जिस सरकारी केंद्र में पीड़ित बच्चियों को रखा गया था, वहां से उन्हें छीनने की कोशिश की गई। इस बाबत वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक नीतू तिलगामी ने डिंडोरी थाने में शिकायत कराई है। इसमें उन्होंने कहा है कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अध्यक्ष राधेश्याम कोकडिया, अमान सिंह पोर्ते और पार्टी के 8-10 कार्यकर्ता 5 मार्च को रात 8-9 बजे आए और बच्चियों को जबरन अपने साथ ले जाने की कोशिश की। बकौल नीतू, जब उन्हें समझाने की कोशिश की तो उन्होंने बदसलूकी की। उन्हें शासकीय कार्य नहीं करने दिया और उनके साथ सेंटर के अन्य कर्मचारियों को गेट पर ही रोके रखा। जान से मारने की धमकी भी दी।
जिस समय यह सब हुआ, उस समय वन स्टॉप सेंटर में बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष धन्यकुमारी वैश्य तथा समिति की सदस्य ज्योत्सना श्रीवास्तव, सहायक संचालक श्याम सिंगौर, विधि सह परिवीक्षा अधिकारी प्रकाश नारायण यादव एवं बच्चियों की सुरक्षा के लिए तैनात महिला पुलिसबल के अलावा अन्य लोग भी मौजूद थे। इस मामले में साक्ष्य के तौर पर पुलिस को वीडियो रिकॉर्डिंग भी दी गई है। खबर लिखे जाने तक गोंडवाना पार्टी और चर्च से जुड़े लोग धन्यकुमारी, जो कि बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष हैं, तथा उनके पति को झूठे मुकदमे में फंसाने के प्रयासों में जुटे हुए बताए गए थे।
पुलिस की लीपापोती
इससे पहले, 5 मार्च को जब डिंडोरी के एडीएम, प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी और टीआई जब विद्यालय आरोपी प्राचार्य को गिरफ्तार करने पहुंचे, तो दिल्ली जैसा नाटक किया गया। कुछ बच्चों को भड़काया गया। उन्हें यह बताया गया कि उनके प्राचार्य को फर्जी धाराओं में गिरफ्तार किया गया है। बच्चे आरोपी को छोड़ने की मांग करने लगे। यही नहीं, जब आरोपी प्राचार्य को थाने ले जाया गया, तब थाने का भी घेराव किया। इसके बाद थाना प्रभारी ने सामान्य धाराओं का मामला बता कर आरोपी प्राचार्य को छोड़ दिया। पुलिस अधीक्षक संजय सिंह ने थाना प्रभारी की कार्रवाई को न केवल जायज ठहराया, बल्कि यह भी कहा कि पूरे प्रकरण में कानून का पालन किया जा रहा है। इस तरह, शुरू से ही पुलिस मामले की लीपापोती में जुटी रही।
आरोपी प्राचार्य की रिहाई के बाद गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राधेश्याम कोकडिया ने विद्यालय का पक्ष लेते हुए बयान दिया और 11वीं कक्षा की एक बच्ची के चरित्र पर सवाल उठाते हुए उसका नाम उजागर कर दिया। इसके बाद एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने ट्वीट कर राधेश्याम कोकडिया पर डिंडोरी बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष को धमकी देने और बच्चों का यौन शोषण करने वालों की मदद करने का आरोप लगाते हुए पुलिस से एफआईआर दर्ज करने की मांग की। 7 मार्च को एक पीड़िता के परिवार को चर्च के लोगों ने घर जाकर धमकाया। थाने का घेराव कर आरोपी को छुड़ाने और नाबालिग बच्ची की पहचान उजागर करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है।
पुलिस और बीईओ पर गाज गिरी
4 मार्च तक पुलिस ने पूरे में मामले में जब कोई कार्रवाई नहीं की तो एनसीपीसीआर के अध्यक्ष ने ट्वीट किया कि डिंडोरी के जुनवानी में मिनशनरी द्वारा अवैध रूप से संचालित बाल आश्रय गृह में 8 बच्चियों द्वारा शिक्षक और पादरी पर यौन शोषण के आरोप लगाने और मध्य प्रदेश राज्य बाल आयोग की जांच के बावजूद पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की। इसके बाद एसपी संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा कि चारों आरोपियों के विरुद्ध महिला थाने में पॉक्सो एक्ट, किशोर न्याय अधिनियम सहित विभिन्न धाराओं के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। एक आरोपी गिरफ्तार है। तीन की तलाश की जा रही है। इसके बाद प्रियंक खुद डिंडोरी पहुंचे तथा पीड़ित छात्राओं और उनके परिवारों से मिले। इस दौरान सहमी बच्चियों ने कहा कि वे उस विद्यालय में नहीं पढ़ना चाहती हैं। इसके बाद एनसीपीसीआर के अध्यक्ष ने छात्राओं और उनके परिजनों की सुरक्षा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
उन्होंने आरोपी प्राचार्य को थाने से ही छोड़ देने पर कड़ी नाराजगी जताई। साथ ही, पुलिस-प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए इस मामले में सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए। इस मामले को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गंभीरता से लिया है। सरकार ने एसपी संजय सिंह को तत्काल प्रभाव से स्थानांतरित कर उनकी जगह संजीव कुमार सिन्हा को डिंडोली का नया एसपी तैनात किया है। आरोपी प्राचार्य को छोड़ने वाले थाना प्रभारी को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। पूरे प्रकरण में नए सिरे से 7 मामले दर्ज किए गए हैं। आरोपी प्राचार्य को भी गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 10 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। इसके अलावा, जिला प्रशासन ने दो बीईओ भी निलंबित किया गया है। इन्होंने कभी मिशनरी स्कूल जेडीईएस का दौरा ही नहीं किया। यही नहीं, पीड़ित छात्राओं को 10-10 हजार रुपये अंतरिम मुआवजे सहित उनका नामांकन किसी दूसरे विद्यालय में कराने, उनके कोचिंग की व्यवस्था करने तथा उनके परिवारों को सरकारी कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने की भी सिफारिश की गई है।
घोटाले की जांच होगी
इस मिशनरी स्कूल में हिंदू बच्चों को तिलक लगाने या कलावा बांधने की अनुमति नहीं थी। महत्वपूर्ण बात यह है कि जेडीईएस 4 अलग-अगल छात्रावासों के नाम पर सरकार (आदिम जाति कल्याण विभाग) से आर्थिक सहायता हासिल कर रहा था, लेकिन बच्चों को सरकारी सुविधाओं से वंचित रखकर उनसे शुल्क भी वसूल रहा था। इसे वनवासी छात्र-छात्राओं के अधिकारों का हनन करार देते हुए डिंडोरी जनजातीय कार्य विभाग ने मिशनरी सोसायटी के अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है। जांच में पता चला है कि स्कूल का संचालन अवैध तरीके से किया जा रहा था। इसके पास न तो पर्याप्त भवन हैं और न ही मान्यता। इसलिए अगले सत्र से विद्यालय और छात्रावास को सरकारी अनुदान बंद करने के साथ चारों मामलों में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज करने और मान्यता भी जांच के बाद देने की सिफारिश की गई है।
यह भी कहा गया है कि विद्यालय और छात्रावास बंद होने की सूरत में यहां के विद्यार्थियों का नामांकन दूसरे विद्यालयों में करने की व्यवस्था की जाए। यही नहीं, राजस्व विभाग ने यह जांच करने को भी कहा है कि जब से यह संस्था संचालित हो रही है, उस समय से इसने भवन कर जमा किया है या नहीं। यदि नहीं जमा किया है तो उससे ब्याज सहित पूरी राशि वसूल की जाए। एक जर्जर भवन को भी ध्वस्त करने की सिफारिश की गई है, जिसे मिशनरी संस्था के छात्रावास बताती है। इसका उपयोग बच्चों के लिए बहुत खतरनाक बताते हुए इसे ढहाने की सिफारिश की गई है।
मिशनरी संस्था ने क्या-क्या घपले किए हैं? इसने संपत्ति कर चुकाया है कि नहीं? कितने भवन की अनुमति दी गई है? आरटीई कानून के अनुरुप इसके पास अधोसंरचना, कर्मचारी हैं? सारी जांच की जाएगी। जांच के बाद ही मान्यता दी जाएगी। मिशनरी द्वारा संचालित संस्थानों में जबरन कन्वर्जन के भी साक्ष्य मिले हैं। 1986 से अब तक जेडीईएस संस्था ने कन्वर्जन के लिए कितनी बैठकें कीं, इसका ब्यौरा भी मांगा गया है। एनसीपीसीआर के अनुसार, इस समय जिले में एनजीओ द्वारा 11 छात्रावासों का संचालन किया जा रहा है, जिन्हें आदिमजाति विभाग से अनुदान मिलता है। इनमें 8 चर्च के पास हैं। एनसीपीसीआर प्रदेश भर में एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे छात्रावासों की पड़ताल भी करेगा।
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