नई दिल्ली। दिल्ली के स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था की हालत खस्ता है। स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं। सोलह हजार से अधिक शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। दिल्ली के शिक्षा निदेशालय की ओर से उच्च न्यायालय को जानकारी दी गई है कि लाइब्रेरियन को मिलाकर दिल्ली सरकार के स्कूलों में शिक्षकों की कुल क्षमता 53933 है। इनमें से 16546 पद खाली पड़े हैं, जिसमें भी सबसे अधिक टीजीटी के 10956 पद खाली हैं। टीजीटी शिक्षक दसवीं तक के विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं। कोर्ट ने दिल्ली सरकार और एमसीडी से पूछा है कि वे बताएं कि शिक्षकों के पद भरने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। न्यायालय ने चार हफ्ते में जवाब मांगा है। अदालत सोशल ज्यूरिष्ट की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
दिल्ली सरकार शिक्षा व्यवस्था में सुधार का दावा करती है। इसको लेकर न्यूयार्क टाइम्स तक में लेख छपवाए गए। लेकिन हकीकत यह है कि स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों की काफी कमी है। दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया भी जेल में हैं।
वहीं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से कहा गया कि दिल्ली सरकार और एमसीडी के स्कूलों में शिक्षकों के खाली पड़े पदों को दिल्ली सरकार की बदहाल शिक्षा व्यव्स्था का परिचायक मानती है तथा जल्द से जल्द इन पदों को भरने का आग्रह करती है ।दिल्ली सरकार का अपनी शिक्षा व्यवस्था का झूठा गुणगान करना अपनी खस्ताहाल शिक्षा व्यवस्था को छुपाने के लिए है, जिसका अभाविप कड़े शब्दों में निंदा करती है। अभाविप दिल्ली के प्रदेश मंत्री हर्ष अत्री ने कहा कि हाल ही में शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी किए गए शिक्षकों के पदों की रिक्तियां दिल्ली सरकार की शिक्षा व्यवस्था का सच सामने लाती है। दिल्ली सरकार गत कई वर्षों से दिल्ली के जनता को ऐसे ही मूर्ख बनाती रही है। इनके विश्वविद्यालय तथा स्कूल कागज़ों पर तो दिखे परंतु वास्तविकता में नही हैं। अभाविप दिल्ली सरकार से आग्रह करती है कि दिल्ली सरकार अपनी झूठे कागजी हथकंडों पर से ध्यान हटाकर वास्तविक्ता पर काम करे एवं दिल्ली में रिक्त पड़े शिक्षकों के पदों को जल्दी से भरे।
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