झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। कुछ महीने पहले हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को 1000 करोड़ के अवैध खनन और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था और पंकज अभी भी जेल में ही हैं।
जिस वक्त पंकज मिश्रा की गिरफ्तारी हुई थी उस दौरान उनके इलाज के लिए उन्हें रिम्स में भर्ती कराया गया था। इस दौरान प्रवर्तन निदेशालय को पता चला कि रिम्स में भर्ती रहने के दौरान पंकज मिश्रा ने 300 से अधिक फोन कॉल किए हैं। इस दौरान कई लोग उनसे मिलने भी आया करते थे। मिलने वालों में साहिबगंज के डीएसपी प्रमोद मिश्रा भी शामिल थे। इसके बाद ईडी ने बरहरवा टोल विवाद मामले में डीएसपी प्रमोद मिश्रा को समन भेजकर 6 मार्च को बुलाया था। प्रमोद मिश्रा ने पंकज से 5 बार मिलने की बात स्वीकार कर ली है।
प्रमोद मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने बरहरवा टोल विवाद पर पंकज मिश्रा और ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को 24 घंटे में क्लीन चिट दे दी थी। ईडी का मानना है कि अवैध खनन की जांच के दौरान बरहरवा टोल विवाद का मुख्य कारण वैध और अवैध खनिजों की ढुलाई था। ऐसा इसलिए माना जा रहा है क्योंकि खनन क्षेत्र से खनिजों को निकालकर मुख्य मार्ग तक पहुंचाने के लिए बरहरवा पंचायत के टोल से गुजरना पड़ता था। इसी के मद्देनजर बरहरवा टोल पर कब्जा करने को लेकर विवाद हुआ था। इस मामले में थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी लेकिन पुलिस ने इस मामले में 24 घंटे के अंदर पंकज मिश्रा और आलमगीर आलम को क्लीन चिट दे दी थी। इसी मामले में ईडी ने बरहरवा कांड के जांच अधिकारी सरफुद्दीन खान को समन भेजा था। सफरुद्दीन ने भी स्वीकार किया था कि डीएसपी प्रमोद मिश्रा ने प्राथमिकी दर्ज होने के 24 घंटे के अंदर सुपरविजन नोट जारी कर पंकज मिश्रा और मंत्री आलमगीर आलम को निर्दोष बताया था।
इसके बाद प्रमोद मिश्रा को ईडी ने तीन बार समन जारी किया था। पहली बार प्रवर्तन निदेशालय के समन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज करते हुए उच्च न्यायालय जाने की बात कही थी। दूसरी बार ईडी की ओर से समन भेजे जाने के बाद प्रमोद ने झारखंड के उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। यहां भी उच्च न्यायालय ने ईडी की कार्रवाई पर रोक नहीं लगाई। इसके बाद ईडी ने तीसरा समन भेजकर प्रमोद मिश्रा को 6 मार्च को पेश होने के लिए कहा था। इस बार प्रमोद के पास उपस्थित होने के अलावा कोई चारा नहीं बचा और उन्हें पेश होना पड़ा।
प्रमोद मिश्रा की इस स्वीकारोक्ति ने किसी ने किसी रूप में हेमंत सोरेन की छवि पर एक और दाग लगा दिया है। लोग कह रहे हैं कि अब पंकज मिश्रा भी अब हेमंत सोरेन के लिए सरदर्द बनते जा रहे हैं।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
टिप्पणियाँ