आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
May 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन

भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है

by नीरजा माधव
Mar 7, 2023, 02:30 pm IST
in भारत, संस्कृति
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

वैशाख को वसंत ऋतु माह माना गया है, परंतु इसके आने की आहट माघ पंचमी से शुरू हो जाती है और फाल्गुन पूर्णिमा तक आते-आते सब कुछ इतना भर जाता है कि छलकने लगता है। प्रकृति अपने सुंदरतम रूप में होती है और जब सौंदर्य चारों ओर पसरा हो तो शिव के माध्यम से सत्य को जानने की उत्कंठा बढ़ जाती है।

वसंत एकाएक वसंत नहीं होता, पतझड़ भी एकाएक नहीं होता। दोनों सहयात्री की भांति हैं। प्रकृति में सबका अपना अलग-अलग वसंत होता है। कुछ वृक्षों में लाल-लाल किसलय जल्दी आ जाते हैं तो कुछ बहुत दिनों तक निपात खड़े रहते हैं। पर एक बात सभी वृक्षों और फूलों के लिए सत्य है कि पतझड़ वसंत के आगमन की आहट है। खाली होने और भरने की यह प्रक्रिया पूरे वसंत चलती रहती है।

हमारे यहां चैत्र और वैशाख को वसंत ऋतु माह माना गया है, परंतु इसके आने की आहट माघ पंचमी से शुरू हो जाती है और फाल्गुन पूर्णिमा तक आते-आते सब कुछ इतना भर जाता है कि छलकने लगता है। प्रकृति अपने सुंदरतम रूप में होती है और जब सौंदर्य चारों ओर पसरा हो तो शिव के माध्यम से सत्य को जानने की उत्कंठा बढ़ जाती है।

यह उत्कंठा ही है जो सभी के मन को एक विशेष प्रकार के उल्लास के रंग में, रंग डालती है। मन किसी अबूझ रहस्य की ओर भागने लगता है। आकाश का मौन चुपके-चुपके मन में उतर किसी भेद की ओर इशारा करने लगता है। नक्षत्रों से एक विशेष आभा छलकने लगती है। कोयल की कूक और चिड़ियों के कलरव में दिशाएं मानो मंत्र पाठ करती हुई किसी दिव्य शक्ति का आह्वान करने लगती हैं। चारों ओर बरसने लगता है एक अनहद निनाद। मंजरियों का रस, फूलों का सौरभ, भ्रमरों का प्रेम तो मलय समीर का धैर्य छलकने लगता है। कोलाहल के बीच भी यमुना तट का एकांत निर्मित हो जाता है और मन की गोपियों के प्रेम की गागर छलक पड़ती है। बच्चों में उल्लास, युवाओं में प्रेम तो बूढ़ों में सुधियां छलकने लगती हैं।

सालभर होली खेलें

नवीन सी.चतुर्वेदी

कहां गईं वे मस्तियां, कहां गई वह मौज ।
वे केशर की क्यारियां, गोबर वाले हौज ॥
गोबर वाले हौज बीच डुबकी लगवाना ।
कुर्ते पर ‘पागल’ वाली तख़्ती लटकाना ।
याद आ रहा है हम जो करते थे अक्सर ।
बीच सड़क पर एक रुपैया कील ठोंक कर ॥

आओ दिखलाएं तुम्हें, सीन और इक यार ।
लल्ला जी के जिस्म पर, कुरती औ शलवार ॥
कुरती औ शलवार पहन जब निकलें बाबू ।
सांड़ और कुछ बछड़े हो जाएं बेकाबू ।
इस डर से हाथों को पीछे बांधे डोलें ।
गिर सकती हैं गेंद अगर हाथों को खोलें ॥

होता ही है हर बरस अपना तो ये हाल ।
जैसे ही फागुन लगे, दिल की बदले चाल ॥
दिल की बदले चाल, हाल कुछ यूं होता है ।
लगता है दुनिया मैना औ दिल तोता है ।
फागुन में तौ भैया ऐसौ रंग चढ़ै है ।
भंग पिए बिन हू दुनिया खुस-रंग लगै है ॥

होली के त्योहार की, बड़ी अनोखी रीत ।
मुंह काला करते हुये जतलाते हैं प्रीत ॥
जतलाते हैं प्रीत, रंगदारी करते हैं ।
सात पुश्त की ऐसी की तैसी करते हैं ।
करते हैं सत्कार गालियों को गा-गा कर ।
लेकिन सुनने वाले को भी हंसा-हंसा कर ॥

जीजा- साली संग या, देवर-भाभी संग ।
होली के त्योहार में, खिलते ही हैं रंग ॥
खिलते ही हैं रंग, अंग-प्रत्यंग भिगो कर ।
ताई जी हंसती हैं फूफाजी को धो कर ।
लेकिन तब से अब में कुछ अन्तर दिखते हैं ।
पहले मन रंगते थे-अब काया रंगते हैं ॥

 

सब के ह्द्रय उदास हैं, बेकल सब सन्सार ।
संभव हो तो इस बरस, कुछ ऐसा हो यार ॥
कुछ ऐसा हो यार, प्यार की बगिया महकें।
जिन की डाली-डाली पर दिलवाले चहकें ।
खुशियों को दुलराएं, गमों को पीछे ठेलें ।
ऐसी अब के साल, साल भर होली खेलें ॥

परमानंद की अवस्था
वसंत की आनंदाभिव्यक्ति में यह सब होता है फाल्गुन में। परम विरक्ति से पूर्व परमानंद की अवस्था। तभी तो धूनी रमाये, भस्म लगाए परम योगी शिव को भी गौरी के प्रेम बंधन में बंधना पड़ा इसी ऋतु में। उनकी प्रेम में लीलाओं का प्रतीक यह फाल्गुन। चंद्र की एक-एक कला के साथ आनंद से भरती जाती सृष्टि। अपने उल्लास में राधा कृष्ण को नारी रूप में सजाती हैं। ‘रसिया को नार बनाओ री’ आह्वान कर सखियों को सहायता के लिए बुलाती है। दूसरी ओर अड़भंगी शिव स्वयं ही नारी रूप सजा लेते हैं। अर्धनारीश्वर बन गौरी के साथ अभेद प्रमाणित करते हैं। प्रकृति पुरुष का द्वैत समाप्त कर देते हैं। मनुष्य के लिए परमब्रह्म के सत्य का निरावरण कर देते हैं। अवगुंठन समाप्त होता है। परम आनंद स्पष्ट परिलक्षित होता है। अनुभूति के लिए बस आत्मद्वार खोलने की देर होती है।

वराह पुराण में होलिका पूर्णिमा को पटवास विलासिनी कहा गया है। एक प्राचीन उत्सव जो अनेक परिवर्तनों को देखते हुए भी अबाध गति से प्रतिवर्ष आता है। इसका उल्लेख वात्स्यायन के कामसूत्र से लेकर लिंग पुराण आदि में भी आता है जिसमें इस पर्व को आनंद और उल्लास के पर्व के रूप में मनाए जाने की बात लिखी है। सुगंधित चूर्ण बिखेरना, रंग से एक-दूसरे को भिंगोना तथा बाल क्रीड़ाओं से पूर्ण इस पर्व को स्त्रियों के सौभाग्य से भी जोड़ा गया। जैमिनी आदि विद्वानों के द्वारा भी इस पर्व का उल्लेख किए जाने से यह सिद्ध होता है कि ईसा पूर्व कई शताब्दियों से इस उत्सव का प्रचलन था।

होली (नेता जी की)

उनकी छलांग से मेंढक भी शर्मा गये
देखते ही देखते उछलकर
कभी इस दल में
तो कभी उस दल में आ गये

मैंने जब उनसे पूछा- भाई
ये बन्दर जैसी उछल-कूद मचाकर
संवैधानिक संकट क्यों उपजाया है

वे बोले- बुरा ना माने
हमने प्रजातंत्र की होली जलाकर
बे-वक्त ही सही
होली का त्योहार मनाया है

होली (जीजा-साली की)

राते जीजा गये ससुराल, कि ‘सारिन’ के संग खेलेंगे होली
‘साली’ धरी थी शैतान की अम्मा, सो दूध में नींद की गोली घोली
दूध गटक जीजा जू गिरे, घुरकें ज्यों श्वान घुर्राए सखी री
काट के मूंछ, बना दई पूंछ, सो दुर्गति नाना भांती करे री
बन्दर सो लख सब मुस्काएं, कि सारी नैन नचाय के बोली
जब-जब इच्छा जीजा जू होए, सो फिर-फिर अइयो खेलन होरी

होली (मजनू रंगीले की)

एक मोहल्ले में आये लला, पिचकारी दई गोरियन पे छोरी
लपक- झपक के परे पीछे, घबराय घुसी घर में दोई गोरी
लड़की के बाप ने देख लियो, सो बांह गही दोई ‘रापट’ फोरी
लातन-घूंसन मार लगाय के, लंगड़ो कियो, एक टांग भी तोरी
जान बचाय के भागे लला, लंगड़ात घरे पंहुचे बरजोरी
इतने पे चैन पड़ी ना होय, सो फिर-फिर अइयो खेलन होरी

होली (राधा-श्याम की)

राधिका रंगीली आज, बृज की छबीली आज
छुपी कहां जाय ढूंढ रहे घनश्याम रे
जैसे बादलों के संग, लुका छुपी खेले धूप
रूप ये अनूप खोजें ललित ललाम रे
पाय लियो कुंजन में, मलें रंग आनन में
अंग-अंग रंगे खुद हुए राधे नाम रे
सिंदूरी आभा किशोरी जू की देख
सूरज गयो जब लजाय
सो उतर आयी शाम रे

— गोकुल सोनी

लोक में फैला चटक रंग
लोक से लेकर शिष्ट साहित्य तक इस उत्सव की मिठास फैली हुई है। ‘कन्हैया घर चलो गुंइया, आज खेले होरी’, गुनगुनाते हुए सखियां माखन चोर के घर धावा बोलती हैं और कृष्ण स्वयं को उनके हवाले कर देते हैं, समर्पण कर देते हैं। सखियां उन्हें जीभर अपने रंग में रंगती हैं। ऐसा रंग कि परम सत्य कृष्ण गोपियों के छछिया भर छाछ पर नाचने के लिए विवश हो हो जाते हैं। लीला करते हैं, रास रचाते हैं, माखन चुराते हैंै, वंशी बजाते हैं, और कुंज-निकुंज में नानाविध क्रीड़ा करते हैं। यह रंग भक्ति का रंग है, यह प्रेम का रंग है, जिसे गोपियां वसंत से उधार लेती हैं अपने कान्हा को रंगने के लिए। कृष्ण भी प्रेम के सामने अपनी हार स्वीकार कर लेते हैं। आखिर दोनों हाथ उठाए सर्वस्व समर्पण कर देना ही जीत है।

फाल्गुन की इस हार का चटक रंग भारी पड़ता है सब रंगों पर। कुछ शेष नहीं रहता जिसे अलग से अपना कहा जा सके। भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना ही चरम परिणति है और उसी चरम की याद दिलाने प्रतिवर्ष आ धमकता है धरती का यह प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए बसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है लेकिन जब हम उसे अपनी संकीर्ण अंजुरी में भरकर देखने का प्रयास करते हैं तो उंगलियों की फांक से बूंद-बूंद रिस कर वह पुन: नदी बन जाती है। एक ऐसी नदी जिसमें आकर मिलने वाले सभी ताल, सरोवर उसी का रूप हो जाते हैं। नाम हो जाते हैं। एक तत्व कृष्ण प्रेम, एक भाव राधा भाव। वैसे ही जैसे गंगा में गिरने वाली तमाम छोटी-बड़ी नदियां गंगा बन जाती हैं। पार्थक्य समाप्त हो जाता है। अस्तित्व का द्वैत मिट जाता है।
संयोग का प्रस्थान बिंदु है फाल्गुन, जहां मीरा गिरधर के रंग में आपाद् मस्तक रंगी होकर भी अपने को वहां तक पहुंचा हुआ पाने में असमर्थ पाती हैं- ‘सूली ऊपर सेज पिया की, किस विधि मिलना होय,’ तो दूसरी ओर सूरदास बाहरी रंग से असंपृक्त मन को श्याम रंग में ऐसे डुबो लेते हैं कि कोई काली कांबली पर दूसरे रंग को चढ़ाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाता। लाली वाले की बात ही क्या। जित देखूं तित लाल। राधा पर रीझने वाले को मनाने की क्या आवश्यकता है। उसी से अपनी बात ना कह दी जाए- जा तन की झांई परत श्याम हरित दुति होय।’ प्रत्यक्ष निवेदन करने पर तो हो सकता है कि माधव स्वीकार करें या ना करें, लेकिन राधा के माध्यम से अपनी प्रार्थना उन तक पहुंचाने पर कार्य के सिद्ध होने में कोई संशय नहीं। इसीलिए आता है वसंत और इसीलिए होता है वसंत में आनंद का उत्कर्ष। दहन के बाद की शीतलता का संदेश। भस्मीभूत अहंकार में शिव तत्व का पाथेय।
(लेखिका साहित्यकार हैं)

Topics: वसंतपतझड़होलिका पूर्णिमाUtkarsh of AnandFalgunHolika Purnimaमंजरियों का रसफूलों का सौरभभ्रमरों का प्रेम
Share19TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

No Content Available

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Pakistan Zindabad Slongan Bhopal police

मध्य प्रदेश: असामाजिक तत्वों ने लगाए पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे, भोपाल पुलिस ने की खातिरदारी और निकाली परेड

मोतिहारी से इनामी खलिस्तानी आतंकी कश्मीर सिंह ग्लावड्डी उर्फ बलबीर सिंह को गिरफ्तार किया गया

10 लाख का इनामी खलिस्तानी आतंकी गिरफ्तार, नाभा जेल ब्रेक में था शामिल

गिरफ्तार बांग्लादेशी जासूस अशरफुल आलम

बांग्लादेशी जासूस की गिरफ्तारी से हुए कई खुलासे

Pakistani Army join funeral of terrorist in Muridke

ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तानी सेना के अधिकारी आतंकियों के जनाजे में शामिल, देखें लिस्ट

Bhagalpur Love Jihad with a hindu women

हिन्दू महिला से इमरान ने 9 साल तक झांसा देकर बनाया संबंध, अब बोला-‘धर्म बदलो, गोमांस खाओ, इस्लाम कबूलो तो शादी करूंगा’

Siddhivinayak Temple Mumbai stop Offering Prasad

भारत-पाकिस्तान तनाव: मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर ने सुरक्षा कारणों से नारियल, प्रसाद चढ़ाने पर लगाई रोक

ऑपरेशन सिंदूर : ‘सिंदूर’ की शक्ति और हमले की रणनीति

India And Pakistan economic growth

भारत-पाकिस्तान DGMO वार्ता आज: जानें, कैसे पड़ोसी देश ने टेके घुटने?

Lord Buddha jayanti

बुद्ध जयंती विशेष: धर्मचक्रप्रवर्तन में भगवान बुद्ध ने कहा – एस धम्मो सनंतनो

असम: अब तक 53 पाकिस्तान समर्थक गिरफ्तार, देशद्रोहियों की पहचान जारी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies