भारत के साथ सीमा पर लगातार विवाद बढ़ाते आ रहे कम्युनिस्ट चीन ने इस बार अपने बजट की वृद्धि दर 5 फिसदी रखी है। लेकिन तो भी रक्षा बजट में कोई समझौता न करते हुए इस पिछले साल के मुकाबले बढ़ा दिया है। रक्षा मद में यह बढ़ोतरी लगातार 8वें साल की गई है। इसके साथ ही विस्तारवादी ड्रैगन का रक्षा बजट भारत के मुकाबले 3 गुना ज्यादा हो गया है।
चीन का 2023 का बजट कल पेश किया गया, इसमें रक्षा के लिए कुल 816 अरब अमेरिकी डॉलर निर्धारित किए गए हैं। यानी पिछले साल के मुकाबले रक्षा पर चीन ज्यादा पैसा खर्च करने वाला है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि अमेरिका के बाद यह चीन ही है जो अपने रक्षा मंत्र पर इतना पैसा खर्च करता आ रहा है।
पिछले साल चीन का रक्षा बजट 1.45 ट्रिलियन चीनी युआन था, लेकिन इस वर्ष यह बढ़ाकर 1.55 ट्रिलियन चीनी युआन कर दिया गया है। चीन के प्रसिद्ध दैनिक ‘चाइना डेली’ की रिपोर्ट बताती है कि ऐसा युआन के मुकाबले डॉलर की कीमत बढ़ने की वजह से हुआ है। अमेरिकी डॉलर में बात करें तो इस वर्ष का कम्युनिस्ट चीन रक्षा मद में करीब 225 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च करेगा।
एक और दिलचस्प बात। जैसा पहले बताया, इस बार यह बढ़ोतरी लगातार 8वें साल की गई है। चीन के निवर्तमान प्रधानमंत्री ली केकियांग ने नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के उद्घाटन सत्र में यह बजट प्रस्तुत किया। अपने भाषण में उन्होंने हालांकि पूर्वी लद्दाख तथा तवांग में भारत से संघर्ष का सीधा उल्लेख तो नहीं किया, लेकिन अपनी फौज की काफी तारीफ की। कहा कि सशस्त्र बलों ने बहुत ही मजबूती से संतुलित रहते हुए अपनी भूमिका निभाई है।
रक्षा बजट की दृष्टि से भारत से चीन का रक्षा बजट तीन गुना ज्यादा है। चीन भारत के साथ सीमाओं पर बेवजह उलझता रहा है और इसके पीछे सीमांकन का अस्पष्ट होना वजह बताती है। यहां गौर करने वाली बात है कि अब भारत चीन के हर आक्रामक पैंतरे का मुंहतोड़ जवाब दे रहा है।
रक्षा बजट की दृष्टि से भारत से चीन का रक्षा बजट तीन गुना ज्यादा है। चीन भारत के साथ सीमाओं पर बेवजह उलझता रहा है और इसके पीछे सीमांकन का अस्पष्ट होना वजह बताती है। यहां गौर करने वाली बात है कि अब भारत चीन के हर आक्रामक पैंतरे का मुंहतोड़ जवाब दे रहा है, जबकि साल 2014 से पहले एक ही वर्ष में चीन साढ़े तीन सौ बार तक सीमोल्लंघन करता पाया गया था। भारत की तरफ से इस पर बस ‘यह उचित नहीं है’ ही कहा जाता रहा। लेकिन अब भारत की सीमा में एक कदम रखते ही चीनी फौज को उसकी करनी का फल चखाया जाने लगा है। पहले तवांग में और 2020 में गलवान में दुनिया चीन की दुर्गति देख चुकी है।
बावजूद इसके, उन्मादी ड्रैगन सीमा पर भारत विरोधी हरकतें करना रहता है। ढांचों का निर्माण और उपकरणों की तैनाती जैसी अपुष्ट खबरें बीच बीच में मिलती रही हैं। लेकिन अब भारत के सैनिक सीमाओं पर मुस्तैदी से निगरानी कर रहे हैं।
2023—24 का भारत का रक्षा बजट 5.94 लाख करोड़ रुपए यानी 72.6 अरब अमेरिकी डॉलर। चीन इससे तीन गुना ज्यादा पैसा अपनी सेना पर खर्च कर रहा है। लेकिन तब भी ऐसा कोई मोर्चा नहीं है जहां वह भारत से आगे दिखता हो।
राष्ट्रपति शी जिनपिंग चीनी सेना के सर्वोच्च सेनापति हैं और इस सेना को विश्व की सबसे बड़ी सेना बताया जाता है। चीन सेना के लिए आधुनिकतम तकनीकी तैयार करता रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, चीन अमेरिका की सेना के मुकाबले में आने के लिए अपनी सैन्य तकनीकी पर बहुत पैसा खर्च कर रहा है। चीनी राष्ट्रपति शी सेना के कमांडरों की बैठकें लेते रहते हैं। सैनिकों को दिया उनका पिछला भाषण एक प्रकार से ‘युद्ध के लिए तैयार रहने’ का आह्वान करता था। अमेरिका से चीन के रिश्ते अनेक वजहों से कुछ समय से तनावपूर्ण बने हुए हैं। साथ ही, चीन पड़ोसी देशों पर अपनी धमक दिखाता ही रहता है। इसलिए रक्षा विशेषज्ञ उसके रक्षा बजट में बढ़ोतरी को इसी मकसद की पूर्ति का एक आयाम मान रहे हैं।
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