। दीपावली के समय रामलीलाओं के आयोजन तो पूरे देश में होते हैं मगर राधेश्याम रामायण रचियता पंडित राधेश्याम कथावाचक के शहर बरेली में होली पर इकलौती रामलीला होती है। इसकी शुरूआत ब्रिटिश काल में हुई थी और 162 साल से बरेली में लगातार होली पर अनूठे अंदाज में राम की लीला का मंचन होता आ रहा है। 2008 में इसको यूनेस्को ने वर्ल्ड हैरिटेज की लिस्ट में शामिल किया था और वर्ष 2015 से बरेली की रामलीला को विश्व धरोहर घोषित है। होली के अवसर पर फाल्गुन पूर्णिमा को बरेली में रामबारात की धूम रहती है और पूरा शहर रंगों से सराबोर हो जाता है।
देश-दुनिया में इस वक्त होली के रंग बरस रहे हैं, तो बरेली शहर के मोहल्ला वमनपुरी में अनूठी रामलीला का 163वां आयोजन जारी है। यह देश-दुनिया की अकेली रामलीला है, जो दशहरा के मौके पर नहीं बल्कि होली पर होती है। होली से एक सप्ताह पहले इसकी शुरूआत होती है और रंगों की फुहार के साथ इसकी रंगत बढ़ती जाती है। बरेली की रामलीला ब्रिटिश काल के दौरान वर्ष 1861 में शुरू हुई थी। उस दौर में अंग्रेजों के खिलाफ बरेली में बगावत चल रही थी। धार्मिक एकता के साथ जनता के मनोरंजन के लिए शहर के प्रमुख लोगों ने होली वाली रामलीला शुरू कराई थी। उसके बाद सिलसिला चल पड़ा जो अभी तक जारी है।
इसी वजह से बरेली में होली वाली रामलीला को वैश्विक धरोहर की सूची में रखा गया है। उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग इसके हर साल रामलीला के आयोजन को बजट देता है। रामलीला के साथ ही बरेली में होली वाले दिन हर साल भव्य रामबारात निकाली जाती है। यह भी अपनी तरह का अनूठा आयोजन है। रामबारात में शामिल होने के लिए रुहेलखंड के कोने-कोने से लोग बरेली पहुंचते हैं और रंगों में सराबोर होकर लौटते हैं। कई दशक से होली वाली रामलीला और रामबारात का आयोजन कमेटी करा रही है। बरेली में अभी होली वाली रामलीला जारी है और रामबारात के आयोजन की जोरशोर से तैयारियां चल रही हैं।
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