भाजपा सरकार ने राज्य के मंदिरों और मठों के जीणोद्धार करने का बीड़ा उठाया है। साथ ही, भाजपा सरकार ने रामदेवरा बेट्टा (भगवान राम की पहाड़ी) में अयोध्या की तर्ज पर श्रीराम मंदिर बनाने की बात कही है।
कर्नाटक में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की अगुआई वाली भाजपा सरकार ने राज्य के मंदिरों और मठों के जीणोद्धार करने का बीड़ा उठाया है। साथ ही, भाजपा सरकार ने रामदेवरा बेट्टा (भगवान राम की पहाड़ी) में अयोध्या की तर्ज पर श्रीराम मंदिर बनाने की बात कही है। राज्य ने ये घोषणाएं बजट सत्र में की। मंदिरों और मठों के जीर्णोद्धार के लिए राज्य सरकार ने बजट में 1,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इससे पहले भी जब राज्य में येदियुरप्पा की सरकार थी, तब भी यहां के प्राचीन मंदिरों को संवारने, उनके जीर्णोद्धार और विकास के लिए बजटीय प्रावधान किए गए थे। लेकिन इस बार इस उद्देश्य को और बेहतर तरीके से पूरा करने के लिए पिछले साल की तुलना में इस बार बजट में 425 करोड़ रु. की वृद्धि की गई है।
सरकार ने कई मंदिर परिसरों का सर्वांगीण विकास करने की भी घोषणा की है, जिनमें सन्नति-चंद्रलांबा मंदिर, गंगापुर दत्तात्रेय मंदिर, बनवासी मधुकेश्वर मंदिर शामिल हैं। इसके अलावा, एक पर्यटन सर्किट विकसित करने की योजना है। इसके तहत रामदेवरा बेट्टा को बेंगलुरु के संस्थापक वास्तुकार नादप्रभु केम्पेगौड़ा की प्रतिमा स्थल से जोड़ा जाएगा।
सरकार ने कई मंदिर परिसरों का सर्वांगीण विकास करने की भी घोषणा की है, जिनमें सन्नति-चंद्रलांबा मंदिर, गंगापुर दत्तात्रेय मंदिर, बनवासी मधुकेश्वर मंदिर शामिल हैं। इसके अलावा, एक पर्यटन सर्किट विकसित करने की योजना है। इसके तहत रामदेवरा बेट्टा को बेंगलुरु के संस्थापक वास्तुकार नादप्रभु केम्पेगौड़ा की प्रतिमा स्थल से जोड़ा जाएगा।
वित्त मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास ही है। बजट से पहले इस बात की उम्मीद की जा रही थी कि सरकार मंदिरों-मठों के जीर्णोद्धार के लिए बजट रखेगी, लेकिन यह राशि इतनी बड़ी होगी, इसका अंदाजा नहीं था। इससे पहले राज्य की पूर्ववर्ती सरकारों ने हिंदुओं की आस्था से जुड़े धार्मिक स्थलों में न तो दिलचस्पी दिखाई और न ही इनके पुनरुद्धार के लिए कभी धन उपलब्ध कराया। बाद में राज्य में जनता दल (एस) के साथ पहली बार भाजपा ने गठबंधन सरकार बनाई। 20-20 महीने की इस समझौता सरकार में येदियुरप्पा उपमुख्यमंत्री बने। अपने उसी कार्यकाल में 2008 में येदियुरप्पा ने मंदिरों के जीर्णोद्धार की दिशा में पहल की। इसके बाद येदियुरप्पा जब मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने वित्त मंत्रालय अपने पास ही रखा।
मार्च 2011 में उन्होंने जब बजट पेश किया तो उसमें मठों को अनुदान देने का कोई उल्लेख नहीं किया। लेकिन विधानसभा में बजट पर चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2011-12 में उन्होंने धार्मिक संस्थाओं के लिए 20 करोड़ रुपये का प्रावधान करने का जिक्र किया था। वित्त वर्ष 2012-13 में उन्होंने इस मद में राशि बढ़ा कर 110 करोड़ रुपये कर दी। विधानसभा में विपक्ष के तत्कालीन नेता सिद्धारमैया ने निजी धार्मिक संस्थानों को सार्वजनिक धन आवंटित करने के उनके फैसले की आलोचना की थी। विपक्ष के प्रतिरोध के अलावा यह विषय लंबे समय तक मीडिया और सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म पर भी विमर्श का विषय बना रहा। लेकिन इस फैसले को लोगों का भारी समर्थन मिला, पर विरोध करने वालों की संख्या भी कम नहीं थी, जिन्होंने सरकार, खासतौर से येदियुरप्पा पर व्यक्तिगत हमले किए।
इस तरह, येदियुरप्पा ने अपने चार अलग-अलग कार्यकाल के दौरान हिंदू धार्मिक स्थलों के पुनरुद्धार का काम जारी रखा। हालांकि इसे लेकर कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष दलों ने हो-हल्ला मचाने की कोशिश की, लेकिन येदियुरप्पा अपने फैसले पर अडिग रहे। इन सब उठापटक के बीच उन्होंने मंदिर-मठों के पुनरुद्धार का काम नहीं रुकने दिया। लिहाजा, प्राचीन हिंदू धार्मिक स्थलों की स्थिति में सुधार आया। उनके बाद जब डी.वी. सदानंद गौड़ा और जगदीश शेट्टार की सरकार ने भी मठों को वित्तीय सहायता देने की परंपरा जारी रखी।
जगदीश शेट्टार ने 2013-14 के बजट में धार्मिक संस्थानों द्वारा संचालित प्रतिष्ठानों को 250 करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि विभिन्न मठों द्वारा संचालित छात्रावास, शैक्षणिक संस्थानों और सामुदायिक संस्थानों के लिए 125 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे। उसके पहले बी.एस येदियुरप्पा ने अपने 34 महीने के कार्यकाल में 300 करोड़ रुपये जारी किए थे। बसवराज बोम्मई ने उसी परंपरा को जारी रखते हुए राज्य के मंदिरों की मरम्मत, रख-रखाव और जीर्णोद्धार के लिए बजट में 1,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बजट में ऐतिहासिक स्थलों से जुड़ी अन्य परियोजनाओं की भी घोषणा की है। इनमें हम्पी स्मारक और मैसूर प्रदर्शनी प्राधिकरण के लिए स्थायी सुविधा विकास की योजना भी शामिल है। हम्पी विजया विट्ठल मंदिर, विजयपुर गोल गुंबज मंदिर, चिक्काबल्लापुर जिले में नंदी पहाड़ियों की तलहटी में भोग नन्दीश्वर मंदिर, बागलकोट जिले में बादामी गुफाओं, बेलगावी जिले में कित्तूर किले और बीदर में बीदर किले के विकास के लिए 60 करोड़ रुपये की राशि का प्रस्ताव है। नंदी पहाड़ियों पर पीपीपी मॉडल के तहत रोपवे सुविधा विकसित की जाएगी
भव्य बनेगा राम मंदिर
17 फरवरी को बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री बोम्मई ने रामनगर जिले में स्थित रामदेवरा बेट्टा में एक भव्य राम मंदिर बनाने की घोषणा की है। रामनगर पहाड़ी शृंखला के एक हिस्से को रामदेवरा बेट्टा कहा जाता है। हालांकि मंदिर का प्रारूप कैसा होगा और इस पर कितना खर्च आएगा, इसका ब्योरा नहीं मिल सका। रामनगर जिले के प्रभारी और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. सी.एन. अश्वथ नारायण लंबे समय से इसके लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने दिसंबर 2022 में मुख्यमंत्री बोम्मई को एक पत्र लिखा था। इसमें मुख्यमंत्री बोम्मई से उन्होंने कहा था कि अयोध्या के श्रीराम मंदिर की तर्ज पर रामदेवरा बेट्टा को ‘दक्षिण भारत कीअयोध्या’ के तौर पर विकसित किया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने एक विकास समिति गठित करने की भी मांग की थी।
इसी तरह, कोप्पल जिले में किष्किंधा के अंजनाद्री पर्वत को अंतरराष्ट्रीय तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए बजट में 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। अंजनाद्री पर्वत को आंजनेय (हनुमान जी) की जन्मस्थली माना जाता है। यहां का हनुमान मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। 21 अप्रैल, 2021 को रामनवमी के अवसर पर तिरुमला तिरुपति देवस्थानम् ने पौराणिक, पुरातात्विक और भौगोलिक साक्ष्य का उल्लेख करते हुए दावा किया था कि तिरुमला भगवान हनुमान का जन्म स्थान है। इसके लिए देवस्थानम् ने दिसंबर 2020 में आठ सदस्यीय समिति गठित की थी, जिसमें संस्कृत और वैदिक विद्वानों के साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वैज्ञानिक को भी शामिल किया गया था। समिति को हनुमान जन्मभूमि के संबंध में अकाट्य प्रमाण प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हालांकि महाराष्ट्र और झारखंड में भी भगवान हनुमान का जन्म स्थान होने की मान्यता प्रचलित है।
बहरहाल, रामदेवरा बेट्टा पर राम मंदिर का निर्माण और अंजनाद्री पहाड़ी के विकास को पूरक परियोजनाओं के रूप में माना जा रहा है। अंजनाद्री को प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में विकसित करने की व्यापक योजना पर राज्य सरकार ने पिछले साल ही काम शुरू कर दिया था। मुख्यमंत्री बोम्मई इसके लिए कई दौर की बैठकें भी कर चुके हैं। पहाड़ी के चारों ओर लगभग साठ एकड़ जमीन इस प्रयोजन के लिए अधिग्रहीत की जाएगी, जबकि 58 एकड़ जमीन स्थानीय ग्रामीणों से खरीदी जाएगी।
पहले चरण में अंजनाद्री को जोड़ने वाली सड़कों और वैकल्पिक मार्गों को विकसित किया जाएगा। इसके लिए नजदीकी वाणिज्यिक शहर गंगावती तक सड़क चौड़ीकरण के लिए दिशानिर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। यहां पार्किंग स्थल और विश्राम गृह जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है। इसके अलावा, 430 मीटर लंबे रोपवे की भी योजना है। इसके लिए दो महीने के भीतर निविदा प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश जारी किए गए हैं। रोपवे की परिकल्पना वरिष्ठ नागरिकों की मांगों के मद्देनजर की गई है।
ऐतिहासिक स्थलों का सौंदर्यीकरण
अंजनाद्री बेट्टा, चामुंडी बेट्टा के अलावा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बजट में ऐतिहासिक स्थलों से जुड़ी अन्य परियोजनाओं की भी घोषणा की है। इनमें हम्पी स्मारक और मैसूर प्रदर्शनी प्राधिकरण के लिए स्थायी सुविधा विकास की योजना भी शामिल है। हम्पी विजया विट्ठल मंदिर, विजयपुर गोल गुंबज मंदिर, चिक्काबल्लापुर जिले में नंदी पहाड़ियों की तलहटी में भोग नन्दीश्वर मंदिर, बागलकोट जिले में बादामी गुफाओं, बेलगावी जिले में कित्तूर किले और बीदर में बीदर किले के विकास के लिए 60 करोड़ रुपये की राशि का प्रस्ताव है। नंदी पहाड़ियों पर पीपीपी मॉडल के तहत रोपवे सुविधा विकसित की जाएगी। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए आधुनिक रोशनी की व्यवस्था 3डी प्रोजेक्शन मैपिंग आदि काम भी होंगे। ऐतिहासिक मलखेड किले के विकास और सुरक्षा के लिए अलग से 20 करोड़ रुपये रखे गए हैं।
इसके अलावा, राज्य के होडिगेरे में शाहजी महाराज की समाधि के विकास के लिए भी पांच करोड़ रुपये प्रस्तावित हैं। शाहजी महाराज छत्रपति शिवाजी महाराज के पिता थे। मुख्यमंत्री ने सुरगोंदानकोप्पा में संत सेवालाल की समाधि के विकास के लिए भी पांच करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। राज्य के वनवासी लंबानी (बंजारा) समुदाय में संत सेवालाल पूजनीय हैं। उन्होंने पश्चिमी तट पर होनावर में चेन्नाभैरा देवी स्मारक उद्यान की स्थापना की योजना भी तैयार की है।
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