देहरादून। उत्तराखंड में सरकारी जमीनों पर राज्य के बाहर के लोग अवैध कब्जा कर रहे हैं। इनमें नब्बे फीसदी मुस्लिम और दस फीसदी हिंदू हैं। इस खबर को पाञ्चजन्य ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था, जिसके बाद गुरुवार को धामी कैबिनेट की बैठक में इस गंभीर विषय पर चर्चा हुई। सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों के बारे में निर्णय लेने के लिए एक उपसमिति बनाई गई है, जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं हैं।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के वन भूमि, लोक निर्माण, राजस्व और अन्य विभागों की अरबों रुपये की जमीन पर अवैध कब्जा हो गया है। इनमें से ज्यादातर लोग उत्तराखंड में यूपी क्षेत्र के कस्बों और देहात से आकर बस गए हैं। हालत यहां तक हो गए हैं कि चार मैदानी जिलों में जनसंख्या असंतुलन का खतरा सामने आ खड़ा हुआ है।
जानकारी के अनुसार इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने संबंधित विभागों को सचेत भी किया है। पिछले महीने उन्होंने आईएफएस सम्मेलन में वन विभाग के अधिकारियों को अवैध मजारों को हटाने का निर्देश दिया था। अन्य विभागों से कहा था कि वे अपने-अपने क्षेत्र में बाहरी लोगों के अवैध रूप से बसने पर बराबर नजर रखें।
उल्लेखनीय है कि हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर कथित अवैध रूप से बसे लोगों का मुद्दा भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। देवभूमि में देहरादून के पछुवा क्षेत्र में उत्तराखंड जल विद्युत निगम की जमीन पर 900 से ज्यादा लोग अवैध रूप से काबिज हैं, जिन्हें हटाने के लिए विभाग ने नोटिस जारी किया है। ऐसे सैकड़ों स्थान हैं, जहां यूपी और बिहार से आए हजारों लोग अवैध रूप से बसे हुए हैं। बताया जा रहा है कि इन्हें कांग्रेस का राजनीतिक संरक्षण भी मिला हुआ है।
गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में राज्य की नई सौर ऊर्जा नीति, गैरसैंण में बजट सत्र, राज्यपाल के अभिभाषण, पर्यटन नीति में सुधार, दूर संचार, श्रम विभाग आदि विषयों पर भी निर्णय लिए गए हैं।
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