ताइवान को अपने शिकंजे में जकड़ने को उतावले विस्तारवादी कम्युनिस्ट चीन की कल उस समय त्यौरियां चढ़ गईं जब एक अमेरिकी लड़ाकू विमान ने ताइवान के एक हवाई अड्डे से उड़ान भरी। चीन ने आस्तीने चढ़ाते हुए अमेरिका को अपनी पुरानी धमकी याद दिलाई कि ‘क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश का सख्त जवाब दिया जाएगा’।
चीन पिछले लंबे समय से ताइवान के आसपास अपनी फौजी गतिविधियां चलाता आ रहा है। उसके तेवर युद्ध में उतरने जैसे रहे हैं। ताइवान के समंदर में लड़ाकू जहाजों की कसरत, सीमा के आसपास लड़ाकू विमानों की आएदिन हो रहीं उड़ानें ताइवान को घुड़काने की उसकी एक चाल है। कम्युनिस्ट ड्रैगन चाहता है कि ताइवान बीजिंग के सामने घुटने टेककर उसकी शरण में आ जाए। लेकिन स्वाभिमानी ताइवान उसकी धमकियों के आगे झुकने को तैयार नहीं है।
चीन यह बात अच्छी तरह से समझ रहा है कि आज ताइवान एक अकेला टापू देश नहीं है। विश्व राजनीति में आज उसका महत्वपूर्ण स्थान है। चीन जानता है कि ताइवान कोई छोटी—मोटी ताकत नहीं रही है। उसे किसी धमकी से दबाना संभव नहीं है। इसलिए वह रह-रहकर टापू के आसपास आक्रामक तेवर दिखाता है।
कल तो चीन की हेकड़ी को धता बताते हुए जब अमेरिकी लड़ाकू विमान ने ताइवान के हवाईअड्डे से उड़ान भरी तो चीन की सेना उसकी निगरानी में जुट गई, उसके पूरे रास्ते पर नजर रखी गई। बीजिंग ने फौरन बयान जारी किया कि अमेरिका उसे उकसाने की कोशिश न करे।
चीन यह बात अच्छी तरह से समझ रहा है कि आज ताइवान एक अकेला टापू देश नहीं है। विश्व राजनीति में आज उसका महत्वपूर्ण स्थान है। अमेरिका ही नहीं, आस्ट्रेलिया, जापान और ब्रिटेन उसके साथ खड़े हैं। इन देशों की ताइवान के साथ कूटनीतिक वार्ता चलती रहती है। बड़े नेताओं के दौरे भी होते रहते हैं। खुद ताइवान के नेता चीन की घुड़कियों का सख्त जवाब देते रहे हैं। आज चीन जानता है कि ताइवान कोई छोटी—मोटी ताकत नहीं रही है। उसे किसी धमकी से दबाना संभव नहीं है। इसलिए वह रह—रहकर टापू के आसपास आक्रामक तेवर दिखाता है।
स्वाभाविक है कि कल जब ताइवान के हवाई अड्डे से अमेरिकी लड़ाकू विमान ने उड़ान भरी तो ड्रैगन हैरान रह गया। बौखलाहट में उसने अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह ताइवान जलडमरूमध्य में शांति तथा स्थिरता पर खतरा पैदा कर रहा है।
चीन के इस बयान के बाद अमेरिकी नौसेना की ओर से प्रतिक्रिया आई है कि अमेरिकी विमान अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र से गुजरा है। लेकिन चीन का कहना है कि अमेरिका के इस फौजी मिशन ने उसे उकसाया है। उसने आगे कहा कि अमेरिका युद्धपोतों अथवा युद्धक विमानों के माध्यम से ऐसी हरकतें करता आ रहा है जिनसे विवाद बढ़ता है। दरअसल कम्युनिस्ट चीन इस जलमार्ग को अपना अधिकार क्षेत्र मानता है।
इधर चीन की सेना पीएलए के पूर्वी थिएटर कमांड का कहना है कि उसके दस्तों ने अमेरिका के समुद्री गश्ती तथा टोही विमान पर बारीक नजर रखी है। इन दोनों को पनडुब्बी रोधी अभियानों में प्रयोग करते हैं। चीन और ताइवान के बीच यह जलडमरूमध्य ही है। पूर्वी थिएटर कमांड के अनुसार, वह इस हरकत का सख्ती से विरोध करती है। उसने कहा कि उनके सुरक्षा दस्ते हर वक्त चौकन्ने रहते हुए देश की संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करते हैं।
जैसा पहले बताया, चीन पिछले तीन साल से ताइवान के आसपास आक्रामक तेवर दिखाता आ रहा है। वह चाहता है कि ताइवान उसकी धमक में आ जाए और बीजिंग को अपना सर्वेसर्वा मान ले। जबकि ताइवान की दमादर सत्ता हमेशा से यही कहती आ रही है कि ताइवान का भविष्य टापू के लोग ही तय करेंगे।
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