पड़ोसी इस्लामी देश पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में एक पूर्व पाकिस्तानी जनरल को सलाखों के पीछे भेज दिया गया है। बताया जा रहा है कि यह पूर्व फौजी अफसर पाकिस्तानी फौज पर कीचड़ उछालता आ रहा था। गिरफ्तार पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल अमजद शोएब की जो रिपोर्ट दर्ज की गई है, उसमें उसका दोष ‘विवादास्पद बयान’ देना और ‘देश में अशांति और अराजकता भड़काना’ बताया गया है।
पाकिस्तान में इन दिनों सत्ता, जनता और नेताओं की आपस में जमकर रस्साकशी चल रही है। कंगाल देश के लोग आपस में बुरी तरह उलझे हैं और फौज की जमकर फजीहत हो रही है। लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अमजद पर इस्लामाबाद पुलिस ने जनता को राष्ट्रीय संस्थानों के विरुद्ध उकसाने का भी आरोप लगाया है।
पड़ोसी देश के प्रसिद्ध समाचार चैनल जिओ न्यूज के अनुसार, पूर्व फौजी अफसर अमजद के विरुद्ध गत 25 तारीख को इस्लामाबाद के रमना पुलिसथाने में पाकिस्तान दंड संहिता (पीपीसी) की धारा 153ए और 505 (सार्वजनिक शरारती बयान देना) के अंतर्गत एफआईआर दर्ज हुई थी।
रिपोर्ट बताती है कि यह एफआईआर इस्लामाबाद के मजिस्ट्रेट ओवैस खान की शिकायत पर दर्ज की गई थी। जे. जनरल अमजद अपने बयानों से आम जनता को देश के संस्थानों के विरुद्ध बगावत करने को उकसाने का दोषी बताया गया। उसने एक टीवी कार्यक्रम में विवादास्पद बयान दिए थे जिससे पाकिस्तान में अशांति तथा अराजकता को उकसावा देने की कोशिश करके कानून व्यवस्था के लिए चुनौती पेश करने की कथित कोशिश की थी।
बताया जा रहा है कि यह पूर्व फौजी अफसर पाकिस्तानी फौज पर कीचड़ उछालता आ रहा था। गिरफ्तार पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल अमजद शोएब की जो रिपोर्ट दर्ज की गई है, उसमें उसका दोष ‘विवादास्पद बयान’ देना और ‘देश में अशांति और अराजकता भड़काना’ बताया गया है।
बताते हैं टीवी कार्यक्रम में अमजद शोएब ने जो कहा वह सरकारी कर्मचारियों को उकसावे जैसा माना गया। इसलिए ‘लोगों और विपक्षी पार्टी को उसकी यह सलाह विवादास्पद लगी’। उनके अनुसार, अमजद की बातें लोगों में आपसी रंजिश पैदा करने वाली थीं।
जिओ न्यूज की रिपोर्ट बताती है कि पूर्व फौजी अफसर का जो बयान था वह देश को कमजोर करने की एक ‘तय साजिश’ के तहत दिया माना गया। पाकिस्तान में हुए इस ताजा घटनाक्रम से दो बातें साफ हैं, एक, वहां फौज के विरुद्ध कुछ भी कहना अब भी एक बड़ा ‘जुर्म’ माना जाता है। और दो, वहां सत्ता, जनता, फौज और सरकारी तंत्र के बीच कोई तालमेल नहीं है। जनता गृहयुद्ध के कगार पर बताई जा रही है, कल—कारखाने बंद पड़े हैं, खाने के लाले हैं, महंगाई चरम पर है और किसी अंतरराष्ट्रीय बैंक से कर्जा मिलने की सूरत नजर नहीं आ रही है। अगर फिलहाल चीन एक खरब 80 करोड़ पाकिस्तानी रुपए का कर्जा नहीं देता तो लोगों का जीना मुहाल होने में ज्यादा वक्त नहीं बचा था।
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