भारत की अध्यक्षता में जी-20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों (एफएमसीबीजी) की पहली बैठक में भारत की प्राथमिकताओं को बहुत से सदस्यों का समर्थन मिला है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बेंगलुरु में आयोजित दो दिवसीय बैठक के संपन्न होने पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में यह बात कही।
सीतारमण ने शनिवार को यहां आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को सबोंधित करते हुए कहा कि जी-20 की भारतीय अध्यक्षता में दो दिन चली एफएमसीबीजी की पहली बैठक में भारत की प्राथमिकताओं को बहुत से सदस्यों का समर्थन मिला है। वित्त मंत्री ने कहा कि विश्व स्तर पर वित्तीय चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए एक विशेषज्ञ समूह गठित करने के भारत के प्रस्ताव का सदस्यों ने स्वागत किया।
वित्त मंत्री ने इस बैठक की एक और सफलता के बारे में बताया कि कर्ज के बारे में एक साझा रूख तय किया गया है। उन्होंने कहा कि ऋण का दवाब झेल रहे देशों पर एक आम सहमति बनी है। संवाददाताओं को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि बैठक के अंत में सम्मेलन दस्तावेज को स्वीकार किया गया है, जिसमें वैश्विक ऋण संकट, बहु-स्तरीय विकास बैंक सुधार और अन्य मुद्दों पर आगे सहयोग बढाने का ब्यौरा दिया गया है।
सीतारमण ने आगे कहा कि यूक्रेन पर रूस के हमले को वर्णित करने के तरीके को लेकर मतभेद उभरने से संयुक्त विज्ञप्ति नहीं जारी की जा सकी। दरअसल दुनिया की 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का समूह जी-20 के वित्तीय प्रमुखों की बैठक एक संयुक्त विज्ञप्ति जारी किए बगैर ही हो गई। हालांकि जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर की बैठक खत्म होने के बाद सारांश और परिणाम दस्तावेज जारी किए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि इस दो-दिवसीय बैठक में व्यापक मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें गरीब देशों को कर्ज राहत, डिजिटल मुद्राओं और भुगतान, विश्व बैंक जैसे बहुपक्षीय ऋण संस्थान में सुधार, जलवायु परिवर्तन और वित्तीय समावेशन जैसे मुद्दे शामिल हैं। जी-20 देशों के एफएमसीबीजी की 24 और 25 फरवरी तक दो दिन चली बैठक के बाद ‘जी-20 अध्यक्ष का सारांश और परिणामी दस्तावेज’ जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि रूस और चीन को छोड़कर सभी सदस्य देशों ने जी-20 बाली में नेताओं की घोषणा पर बयान देने पर अपनी सहमति व्यक्त की।
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