प्रयागराज जनपद के धूमनगंज थाना अंतर्गत उमेश पाल को घर के सामने गोली मारी गई. घायल होने के बाद उमेश पाल घर के अंदर भागे. हमलावरों ने घर मे घुस कर हमला किया. उमेश पाल, बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड का मुख्य गवाह है. घालय अवस्था में उमेश पाल को स्वरुप रानी नेहरू चिकित्सालय ले जाया गया. अस्पताल में उमेश पाल को मृत घोषित कर दिया गया. एक गनर के भी मृत्यु की सूचना है . एक अन्य गनर गम्भीर रूप से घायल है.
बता दें कि राजू पाल की हत्या के मुकदमे की सुनवाई काफी तीव्र गति से चल रही है. इसी दौरान उमेश पाल पर आज हमला हो गया. वर्ष 2005 में जब विधायक राजू पाल की हत्या के मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई तो सभी गवाह पक्षद्रोही हो गए थे. जिस समय मुकदमे की सुनवाई हो रही थी. उस समय सपा का शासनकाल था. उसके बाद राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी कि सपा के शासनकाल में अभियुक्तगण अत्यंत प्रभावी हैं इसलिए ट्रायल पर रोक लगा दी जाय.
उच्च न्यायालय ने ट्रायल पर रोक लगा दी थी. जैसे ही बसपा की सरकार वर्ष 2007 में बनी. अतीक अहमद और उसके भाई के खिलाफ मुक़दमे दर्ज किये गए. राजू पाल हत्याकांड के गवाह जो कोर्ट में मुकर गए थे, उन सब ने थाने में एफआईआर लिखवाया कि उनका अपहरण कर लिया गया था और यह कहा गया था कि कोर्ट में अगर नहीं मुकरोगे तो जान से मार दिए जाओगे, इसलिए जान के डर से कोर्ट में बयान से मुकरना पड़ा था, राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल समेत कई लोगों ने अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया. एक साल फरार रहने के बाद वर्ष 2008 में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार होकर अतीक अहमद को प्रयागराज लाया गया .
अतीक अहमद और राजू पाल की कोई पुरानी दुश्मनी नहीं थी. राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई इतनी आगे बढ़ गई जहां से पीछे लौटना मुश्किल हो गया था. साल 2004 लोकसभा के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने फूलपुर लोकसभा सीट से अतीक अहमद को चुनाव लड़ाया था. अतीक चुनाव जीत गए. सांसद चुने जाने के बाद अतीक ने शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया. शहर पश्चिमी विधानसभा सीट खाली हो गई. अतीक अहमद के भाई खालिद अज़ीम उर्फ़ अशरफ ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा. बसपा ने राजू पाल को चुनाव लड़ाया. राजू पाल को जब बसपा ने टिकट दिया तो राजू पाल की अच्छी-खासी हिस्ट्रीशीट थी. शहर पश्चिमी सीट पर अतीक अहमद ने लगातार 5 बार चुनाव जीता था मगर वर्ष 2004 के मई माह में अशरफ उप चुनाव हार गए. वर्ष 2004 के दिसंबर माह में राजू पाल पर दो हमले हुए. 25 जनवरी 2005 को हुए हमले राजू पाल की हत्या हो गई.
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