पिछले साल अगस्त में न्यूयार्क में एक कार्यक्रम के दौरान नोबल पुरस्कार विजेता भारतवंशी लेखक, उपन्यासकार सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमला किया गया था। हमलावर ने बीच कार्यक्रम में मंच पर चढ़कर चाकू से रुश्दी पर कई वार किए थे। रुश्दी को गंभीर जख्म आए थे और लंबे इलाज के बाद किसी तरह जान तो बच गई पर बताते हैं उनकी एक आंख की रोशनी जाती रही। शिया देश ईरान ने 33 साल पहले रुश्दी को जान से मारने का फतवा दिया ही था। मुस्लिम उनकी नोबल विजेता कृति द सैटेनिक वर्सेस से चिढ़ते हैं। अब उसी ईरान की एक फाउंडेशन ने रुश्दी पर हमला बोलने वाले को ईनाम देने की घोषणा की है।
इस फाउंडेशन ने भारतवंशी लेखक पर हमला बोलने वाले को ईनाम देने की घोषणा करते हुए उसकी जमकर तारीफें कीं, जैसे उसने बहुत बड़े काम को अंजाम दिया हो। हमलावर 24 साल का शिया मुस्लिम युवा है जिसे पुलिस ने हमले के बाद फौरन धर—दबोचा था। उस उन्मादी शिया मुस्लिम ने रुश्दी पर एकाएक चाकू से ताबड़तोड़ वार किए थे।
फाउंडेशन ने भारतवंशी लेखक पर हमला बोलने वाले को ईनाम देने की घोषणा करते हुए उसकी जमकर तारीफें कीं, जैसे उसने बहुत बड़े काम को अंजाम दिया हो। हमलावर 24 साल का शिया मुस्लिम युवा है जिसे पुलिस ने हमले के बाद फौरन धर-दबोचा था।
मीडिया में आए समाचारों के अनुसार, ईरान के सरकारी टीवी चैनल ने अपने टेलीग्राम हैंडल पर कल यह जानकारी प्रसारित की कि ईरान की एक फाउंडेशन सलमान रुश्दी पर हमला करने वाले को एक हजार वर्ग मीटर कृषि भूमि भेंट करेगा। ईरान के सुप्रीम मजहबी नेता रहे अयातुल्ला खुमैनी द्वारा जारी किए फतवों को अमल में लाने के काम में जुटी उक्त फाउंडेशन के सचिव मोहम्मद स्माइल ज़रेई ने कहा कि वे ”हमलावर युवा अमेरिकी की जांबाजी का दिल से शुक्रिया अदा करते हैं। वह युवा जिसने रुश्दी की एक आंख की रोशनी छीन ली और एक हाथ को काम करने लायक नहीं रहने दिया। उसने ऐसा करके मुस्लिमों को खुश कर दिया”। जरेई ने यह भी कहा कि ‘रुश्दी अब बस जिंदा लाश जैसे रह गए हैं।’
ईरान ने 33 साल पहले यह फतवा तब दिया था जब लेखक, उपन्यासकार सलमान रुश्दी ने ‘द सैटेनिक वर्सेस’ उपन्यास लिखा था। उस वक्त खुमैनी ईरान के सुप्रीम मजहबी नेता थे। उन्होंने तब रुश्दी की हत्या का फतवा जारी किया था। वजह यही थी कि रुश्दी के उक्त उपन्यास को मुसलमानों ने ईशनिंदा माना था। उल्लेखनीय है कि सलमान रुश्दी एक कश्मीरी मुस्लिम परिवार में जन्मे थे। फिलहाल वे ब्रिटेन की पुलिस के सुरक्षा दस्ते से घिरे रहते हैं।
टिप्पणियाँ