राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का शनिवार को नई दिल्ली स्थित कार्यालय में 19वां स्थापना दिवस मनाया गया। इस अवसर पर आयोग के अध्यक्ष हर्ष चौहान ने कहा कि अनुसूचित जनजाति समाज के हितों की रक्षा व उनको न्याय दिलाने के लिए आयोग का गठन किया गया था। आयोग इस कार्य में पूरे मनोयोग से जुटा भी है, लेकिन यदि हम अनुसूचित जनजति समाज को न्याय दिलाने की बात करते हैं तो हमें यह देखना होगा कि हमारी जो न्याय व्यवस्था है क्या वह उन तक पहुंच पा रही है? जनजाति समाज के लोग क्या न्यायालय तक पहुंच पा रहे हैं? ऐसे में उनके पास न्याय पाने के लिए विकल्प राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग है।
हर्ष चौहान ने कहा कि जनजाति समाज को न्याय मिले व उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा हो, इसके लिए आयोग सहज एवं सुलभ संवैधानिक व्यवस्था सुनिश्चित करता है। हमें आने वाले समय में ज्यादा से ज्यादा प्रयास करके जनजाति समाज को उनके संवैधानिक अधिकार दिलाने और उनके साथ होने वाले अन्याय को रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रयास करने चाहिए। इसके लिए तकनीक का इस्तेमाल कर जनजाति समाज की तरफ से आने वाली शिकायतों को ध्यान में रखते हुए जो सुनवाई की जाती है उनको बढ़ाए जाने की जरूरत है।
आयोग की नई भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 19 वर्षों से आयोग ने अपने कर्तव्यों का समुचित पालन किया है। आज के नए दौर में आयोग ने परंपरागत दायित्वों को निभाते हुए अपने संवैधानिक दायित्वों और शक्तियों के अंतर्गत नए आयामों पर भी कार्य करना प्रारंभ किया है। आयोग ने शिकायतों की सुनवाई करने के अलावा जनजाति समाज की अस्मिता, अस्तित्व तथा विकास के मुद्दों पर शोध और नीतिनिर्माण की प्रक्रिया में भी सहभागिता प्रारंभ की है। विकास प्रक्रिया में जनजाति समाज की सहभागिता को बढ़ाने के लिए संवाद कार्यशालाओं का आयोजन किया गया है। देश के 104 विश्वविद्यालयों में कार्यक्रमों के आयोजन द्वारा जनजाति समाज तक आयोग ने अद्भुत पहुंच बनाई।
समारोह में आयोग की शक्तियों तथा संकल्पों एवं दायित्वों की चर्चा करते हुए आयोग की सचिव अलका तिवारी ने कहा कि आयोग एक संवैधानिक निकाय होने तथा उसके पास दीवानी अदालतों की शक्तियां होने के कारण देश के अनुसूचित जनजाति समाज के लिए काफी कुछ करने में सक्षम है। जनजाति समाज के विकास को सुनिश्चित करने तथा उसके लिए बनाई गई विकास योजनाओं की समीक्षा करने से लेकर सरकारों को उचित सुझाव देना आयोग का कर्तव्य है।
इस अवसर पर आयोग के सदस्य अनंत नायक ने कहा कि हमें मशीन की भांति नहीं, बल्कि मानवीय तरीके से काम करना होगा। इस अवसर पर जनजाति समाज में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता गजानन डांगे द्वारा जनजाति अनुसंधान के विषय पर लिखित एक पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन आयोग की निदेशक मिरांडा ईंगुदम ने किया और आयोग के संयुक्त सचिव के तऊथांग ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर आयोग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद थे।
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