उत्तराखंड में असम के बाद सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी बढ़ रही है। खास बात ये है कि मुस्लिम आबादी सरकारी जमीनों पर कई सालों से अवैध कब्जे कर रही है और शासन-प्रशासन आंखे मूंद कर सोया बैठा है। राजधानी देहरादून के पछुवा इलाके में बढ़ती मुस्लिम आबादी के द्वारा सरकारी जमीनों पर कब्जे कर पक्के मकान बना लिए हैं। वर्तमान धामी सरकार ने जब इस बारे में जांच करवाई तो रौंगटे खड़े हो गए है, जिसके बाद कई विभाग हरकत में आए हैं।
हिमाचल के पोंटा साहिब से लगी उत्तराखंड की सीमा पर आसन बैराज के आसपास हजारों की संख्या में अवैध रूप से मुस्लिम आबादी पिछले 15 सालों से आकर बस चुकी है। ये मुस्लिम एक सोची समझी साजिश के तहत यूपी के सहारनपुर और आसपास के क्षेत्रों से आकर बसे हैं। उल्लेखनीय है कि हिमाचल में कोई बाहरी प्रदेश का व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सकता और न ही वो वहां वोटर बन सकता है। उत्तराखंड बॉर्डर पर अवैध रूप से काबिज होकर मुस्लिम लोग हिमाचल में भी घुस रहे हैं और उत्तराखंड में भी अपने पांव जमा रहे हैं।
इस खबर की खुफिया जानकारी मिलने पर धामी सरकार ने अपने विभागों के पेंच कसे, जिसके बाद वन विभाग, जल विद्युत परियोजना विभाग, राजस्व विभाग और केंद्र के विभाग हरकत में आए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड जल विद्युत परियोजना विभाग जिसे यूजीवीएनएल भी कहते हैं के द्वारा, सात सौ से ज्यादा परिवारों को चिन्हित करते हुए बेदखली के नोटिस जारी किए हैं, ये वो अवैध कब्जेदार हैं जोकि हिमाचल सीमा से आसन बैराज तक नहर के दोनों तरफ सरकार की जमीन पर अवैध रूप से काबिज हैं और इनके द्वारा पक्के मकान भी बना लिए गए हैं। विभाग द्वारा इन अवैध कब्जों वाले भवनों को क्रॉस का निशान लगाकर चिन्हित किया गया है। खास बात ये है कि इन अवैध कब्जेदारो में 95 फीसदी मुस्लिम आबादी है, बाकी मतांतरण वाले ईसाई और कुछ हिंदू लोग हैं।
ये लोग यहां आकर कैसे बसे, इस बारे में जानकारी मिली कि सहारनपुर से पहले कुछ परिवार मजदूरी के लिए यहां आए और फिर धीरे-धीरे उनके रिश्तेदार नातेदार आते गए और एक योजनाबद्ध तरीके से यहां काबिज हो गए। खुफिया रिपोर्ट ये जानकारी देती है कि आसन बैराज के आसपास ही नहीं जमुना नदी के आसपास भी तेजी से मुस्लिम आबादी की बसावट हो रही है।
सहसपुर, विकास नगर, हरबर्टपुर में जनसंख्या असंतुलन, गजवा हिंद, जमात कनेक्शन
देहरादून जिले में सहसपुर विधानसभा में इस वक्त सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी पांव पसार रही है। रामपुर, खुशालपुर, जाटोंवाला, सिहनी वाला, शेरपुर, ढाकी, ढाकीरानी, शंकरपुर, हकूमतपुर, डिक्सन गली और जमनपुर सेलाकुई, विकास नगर नदी किनारे और हरबर्टपुर क्षेत्र में उत्तराखंड बनने से पहले और बाद की स्थिति को यदि देखें तो यहां की डेमोग्राफी बदल गई है। यहां करीब 22 फीसदी आबादी मुस्लिम हो चुकी है। कहीं-कहीं ये संख्या और ज्यादा हो चुकी है।
जानकारी मिली है की कांग्रेस की विजय बहुगुणा और हरीश रावत की सरकार के समय बड़ी संख्या में यहां मुस्लिमों की बसावट हुई। इसी दौरान यहां दर्जनों मस्जिदें और मजारें बन गईं। इस समय इस क्षेत्र में 170 से अधिक मस्जिद हैं और 103 मजारे हैं। मदरसों की आलीशान इमारतें बन गई हैं और बेधड़क धार्मिक इबादत घरों का निर्माण हो रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि कोई भी नया धार्मिक स्थल नहीं बनेगा। उत्तराखंड ऊर्जा निगम के पावर हाउस के बाहर सड़क पर मजार बना दी गई और प्रशासन सोता रहा। ये वही क्षेत्र है जहां कांग्रेस ने मुस्लिम आबादी को खुश करने के लिए मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोले जाने की बात कही थी।
गजवा हिंद और जमात से है कनेक्शन
पछुवा देहरादून में मुस्लिम आबादी बढ़ने के साथ-साथ यहां गजवा हिंद जमात से भी लोगों के कनेक्शन सामने आए हैं। मस्जिदों में बकायदा हाजिरी रजिस्टर रखे हुए हैं और यहां के युवकों का जमातों में आना जाना जरूरी किया गया है। जुमे के नमाज में कौन-कौन नमाज पढ़ने आता है कौन नहीं? इसका बकायदा एक चार्ट तैयार होकर लखनऊ, दिल्ली, देवबंद भेजा जाता है। खबर है कि मुस्लिम आबादी उत्तराखंड में लोहा, प्लास्टिक के बाजार, सरकारी भूमि, मकान, सड़क पर कब्जे को लक्ष्य लेकर चल रही है। खास बात ये है कि मस्जिदों के जरिए इन्हें दिशा निर्देश मिलते रहे हैं कि क्या-क्या आपके टारगेट्स हैं।
बहरहाल उत्तराखंड में देहरादून जिले के यूपी और हिमाचल के बीच के हिस्से में हालात बेकाबू हो चुके हैं और ये इलाका मुस्लिमों के द्वारा अवैध रूप से सरकारी जमीनों पर कब्जे कर एक जनसंख्या असंतुलन का उदहारण बन चुका है। गंभीर बात ये है कि वोट की लालच में कोई भी राजनीतिक दल इन हालात को देखकर भी मौन बैठा हुआ है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले एक महीने में दो बार ऐसे बयान दिए हैं जिससे ये साबित होता है कि वो इस समस्या से चिंतित हैं। पहला बयान उन्होंने आईएफएस अधिकारियों की बैठक में दिया था, जिसमें उन्होंने कहा कि वन भूमि से अवैध मजारों को तत्काल हटाया जाए। दूसरा बयान उन्होंने हल्द्वानी में कुमायूं मंडल के अधिकारियों के सामने दिया कि सभी विभाग अपने-अपने क्षेत्रों में अवैध निर्माण और संदिग्ध लोगों की पहचान कर उन पर कार्रवाई करें।
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