भू-धंसाव को लेकर वामपंथियों ने दुष्प्रचार किया कि विकास योजनाओं के कारण जोशीमठ खतरे में आ गया है, लेकिन यह सच नहीं है
जोशीमठ में हुए भू-धंसाव की खबरों को बढ़ा-चढ़ा कर परोसने का मामला सामने आया है। इसके पीछे एक गुट है, जिसमें वामपंथी पत्रकार, तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता और नेता शामिल हैं। इस गुट को गौर से देखने पर साफ पता चलता है कि इसमें जो लोग शामिल हैं, वे काफी दिनों से उत्तराखंड की हर विकास योजना का पर्यावरण के नाम पर विरोध करते रहे हैं। इन लोगों ने ‘आल वेदर रोड’ का विरोध किया। जब बात नहीं बनी तो सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गए, लेकिन वहां भी उन्हें हार मिली।
ऐसे ही ये लोग उत्तराखंड में चल रही रेल परियोजना के विरोध में भी स्वर उठाते रहे हैं। यही नहीं, चारधाम विकास परियोजना का भी इन लोगों ने पूरे दम के साथ विरोध किया। इसके बावजूद सभी परियोजनाएं चल रही हैं और लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इन योजनाओं के पूर्ण होने के बाद पहाड़ की जिंदगी बहुत हद तक आसान हो जाएगी। लेकिन तथाकथित पर्यावरण-प्रेमियों को यह पसंद नहीं है। इसलिए जैसे ही जोशीमठ से भू-धंसाव की खबरें आई, ये लोग फिर से सक्रिय हो गए। बिना किसी जांच-पड़ताल के यह कहना शुरू किया कि जोशीमठ में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए विकास योजनाएं जिम्मेदार हैं।
एक रपट के अनुसार भू-गर्भ में हलचल से जोशीमठ में भू-धंसाव हुआ है। इससे करीब एक किमी चौड़ी पट्टी प्रभावित हुई है। इसी पट्टी में जेपी कॉलोनी है। यहां के छोटे-बड़े लगभग 900 मकान प्रभावित हुए हैं। इन मकानों में रहने वाले लोगों को सरकार ने समय रहते सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया और अब इनके लिए भूकंप-रोधी फेब्रिकेटिड मकान बनाए जा रहे हैं।
अब यह बात साफ हो गई है कि जिन स्थानों से जल-स्रोत फूट रहे थे उनका पानी और एनटीपीसी द्वारा बनाई जा रही सुरंग का पानी मेल नहीं खा रहा है। दोनों स्थानों में पानी के नमूनों की जांच भी हो गई है। कहा जा रहा है कि इसकी रपट जल्दी ही पुख्ता प्रमाणों के साथ सरकार को मिल जाएगी। केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने इस बात पर सहमति जताई है कि रपट के आधार पर जोशीमठ का भविष्य तय किया जाएगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विपक्ष और खासतौर पर वामपंथी मीडिया पर आरोप लगाया है कि वे दुष्प्रचार इसलिए कर कर रहे हैं, ताकि राज्य का तीर्थाटन और पर्यटन प्रभावित हो और राज्य का आर्थिक चक्र बिगड़ जाए। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और स्थानीय जनप्रतिनिधि महेंद्र भट्ट ने कहा है कि जोशीमठ में वामपंथी और माओवादी सक्रिय हैं, जिन्हें चीन से पैसा मिलता है।
दूसरी ओर जोशीमठ पहुंचे इस गुट ने यह दुष्प्रचार किया कि जोशीमठ अब गिरा कि तब गिरा। ‘आल वेदर रोड’ के निर्माण पर शोर मचाया जाने लगा, जोशीमठ बाई-पास को लेकर हो हल्ला मचने लगा। बाई-पास को लेकर शोर इसलिए ज्यादा मचाया जा रहा था कि यहां शहर के कुछ प्रभावशाली होटल स्वामियों को लगा कि जब यात्री बाहर ही बाहर निकल जाएंगे तो उनके कारोबार का क्या होगा?
इसके बाद होटल स्वामियों ने अपने यहां इस गुट के लोगों को बुलाकर खूब खातिरदारी की और विरोध में बयानबाजी भी करवाई। लोगों का कहना है कि एक सोची-समझी साजिश के तहत जोशीमठ में वामपंथी नेता इंद्रेश मैखुरी, चारु तिवारी, बृज मोहन सेमवाल आदि एकत्र हुए। कहा जा रहा है कि इन लोगों ने ही ‘जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति’ का गठन किया और उसकी कमान अतुल सती को दे दी।
अतुल सती का पिछला इतिहास यही रहा है कि वे चमोली जिले में हर सरकारी, गैर-सरकारी परियोजना का विरोध करते रहे हैं। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि जोशीमठ आपदा का दुष्प्रचार करने के पीछे चंदा वसूली करना भी शामिल रहा है। उन दिनों इन लोगों का एक ही काम हुआ करता था, दिन में 11 बजे धरना शुरू करना और बाद में संवादादाता सम्मेलन करके चीन सीमा तक चल रही राष्ट्रीय हित की परियोजनाओं का विरोध करना। इनका एक गुट दिल्ली में जंतर-मंतर पर रोज एकत्र होता है और ‘जोशीमठ बर्बाद हो गया’ का शोर मचाता। इस शोर को फैलाने के लिए ये लोग कुछ यूट्यूबर्स की मदद लेते हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विपक्ष और खासतौर पर वामपंथी मीडिया पर आरोप लगाया है कि वे दुष्प्रचार इसलिए कर कर रहे हैं, ताकि राज्य का तीर्थाटन और पर्यटन प्रभावित हो और राज्य का आर्थिक चक्र बिगड़ जाए। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और स्थानीय जनप्रतिनिधि महेंद्र भट्ट ने कहा है कि जोशीमठ में वामपंथी और माओवादी सक्रिय हैं, जिन्हें चीन से पैसा मिलता है।
टिप्पणियाँ