गत जनवरी को कोलकाता में एकल विद्यालय के संस्थापक और वन बंधु परिषद के संस्थापक संरक्षक मदनलाल अग्रवाल की 100वीं जयंती पर एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसे संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि योगी अरविंद ने एक बार कहा था कि मुझे स्वयं कृष्ण ने बताया कि सनातन और हिंदू राष्ट्र का उत्थान होकर ही रहेगा। हमें केवल निमित्त बनना है। मदनलाल जी का जीवन उसी निमित्त की पे्ररणा है। उन्हीं के दिखाए रास्ते पर हमें विजय यात्री बनकर आगे बढ़ना होगा, विजय निश्चित है।
उन्होंने कहा कि लोग सोचते हैं कि हमें कैसे जीवन जीना चाहिए तो इसके उदाहरण मदनलाल अग्रवाल जैसे हमारे पूर्व पुरुष हैं, जिन्होंने गृहस्थ-जीवन में रहकर परिवार समाज, राष्टÑ और ईश्वरीय कार्यों को एक साथ लेकर चलना सिखाया है। वे आशा, निराशा, यश, अपयश के मोह से परे सदा उत्साह में काम करते थे। किसी ने गलतियां कीं तो उन्हें डांटते थे, लेकिन उनकी ममता ऐसी थी कि कोई उनसे दूर नहीं गया। अगर उनकी स्मृति को जीवंत रखना है तो उनके दिखाए रास्ते पर चलना ही सबसे अच्छी श्रद्धांजलि होगी।
योगी अरविंद ने एक बार कहा था कि मुझे स्वयं कृष्ण ने बताया कि सनातन और हिंदू राष्ट्र का उत्थान होकर ही रहेगा। हमें केवल निमित्त बनना है। मदनलाल जी का जीवन उसी निमित्त की पे्ररणा है। उन्हीं के दिखाए रास्ते पर हमें विजय यात्री बनकर आगे बढ़ना होगा, विजय निश्चित है।– मोहनराव भागवत
समारोह को संबोधित करते हुए एकल अभियान के संस्थापक सदस्य एवं एकल अभियान के अभिभावक श्री श्यामजी गुप्त ने कहा कि मदन बाबू ने ही मुझे उड़ीसा से कोलकाता बुलाकर पूरा प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण की एक घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड के चाईबासा क्षेत्र में एकल विद्यालय देखने गए। रात में ठहरने की व्यवस्था उसी गांव के एक झोपड़ी में की गई। रात में बरसात हो गयी और झोपड़ी से पानी गिरने लगा। हम लोग (मदन बाबू एवं मैं) रात भर चारपाई को इधर से उधर करते रहे। लेकिन सुबह होते ही मदन बाबू ने मुझे कहा कि यह बात किसी को मत कहना। मैं समझ गया कि संगठन किसे कहते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वनबंधु परिषद के संरक्षक श्री सज्जन भजनका ने की। कार्यक्रम में पुस्तक ‘गृहस्थ संन्यासी कीर्तिशेष मदनलाल अग्रवाल’ लोकार्पण भी हुआ। पुस्तक के लेखक हैं श्री सिद्घार्थ शंकर गौतम एवं श्री अमरेन्द्र विष्णुपुरी है।
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