उत्तराखंड में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं में आए दिन वन विभाग की आपत्तियां लगने से विकास के काम रुक रहे है। सड़क अस्पताल स्कूल जैसी कई योजनाएं अटकी हुई है और अब मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट हेलीपोर्टस बनाए जाने पर भी जमीन हस्तांतरण की समस्या का समाधान वन विभाग नही कर पा रहा है।
मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने जब सचिवालय में हेलीपोर्ट्स एवं हेलीपैड्स की प्रगति की समीक्षा की तो वन विभाग की आपत्तियों से वो नाराज भी हुए। उन्होंने कहा कि वन और प्रशासनिक अधिकारियों को तालमेल कर सभी हेलीपैड्स और हेलीपोर्ट्स का निर्माण कार्य पूर्ण होने की उत्तरोत्तर तिथियां निर्धारित की जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि हेलीपैड्स और हेलीपोर्ट्स के लिए भूमि चिन्हीकरण एवं डीपीआर तैयार करने के काम शीघ्र पूर्ण कर लिए जाएं। हेलीपैड्स और हेलीपोर्ट्स आदि के लिए लैंड ट्रांसफर में अटके मामलों को प्रतिदिन मॉनिटरिंग कर निस्तारित किया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के पर्यटक स्थलों को भी ध्यान में रखते हुए लगातार नए हेलीपोर्ट्स और हेलीपैड्स बनाए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि काणाताल (धनौल्टी) और मुक्तेश्वर में हेलीपैड की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के दूरदराज के अनछुए क्षेत्रों में भी पर्यटन स्थलों की तलाश लगातार जारी रखते हुए उन्हें विकसित कर पर्यटकों की पहुंच आसान बनाने के लिए हेलीपैड्स और हेलीपोर्ट्स तैयार किए जाएं। साथ ही, सभी हेलीपोर्ट्स एवं हेलीपैड्स के निर्माण में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए।
बैठक में बताया गया कि प्रदेशभर में विभिन्न हेलीपोर्ट्स और हेलीपैड्स पर कार्य विभिन्न स्तरों पर गतिमान है। जिलाधिकारियों द्वारा कुछ नए हेलीपैड्स के प्रस्ताव भी भेजे गए हैं, जिनके सर्वे और फीजिबिलिटी सर्वे आदि के कार्य पूर्ण हो चुके हैं, और डीपीआर तैयार की जा रही है।
उल्लेखनीय है वन विभाग ने खुद अपने प्रोजेक्ट्स में भी विभागीय अड़ंगे लगाए हुए है जिसकी वजह से टाइगर सफारी,जू, वाइल्डलाइफ हॉस्पिटल जैसे प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में पड़े हुए है।
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