पद्म पुरस्कार 2023 : युवाओं के प्रेरणास्रोत

वनवासी लोकाचार को संरक्षित करने के लिए मोआ ने अपनी पत्नी अरेनला एम. सुबोंग के साथ इस बैंड की स्थापना की थी

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WEB DESK

मैं बहुत खुश हूं। मुझे इस पुरस्कार की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। इस पुरस्कार ने साथी नगा संगीतकारों, नवप्रवर्तकों और शिल्पकारों को पहचान दिलाई है। – मोआ सुबोंग

पद्मश्री सम्मान के लिए चुने गए नगालैंड के विख्यात संगीतकार एवं नवप्रवर्तक मोआ सुबोंग लोक फ्यूजन बैंड ‘एबियोजेनेसिस’ के संस्थापक सदस्य भी हैं। यह परंपरागत नगा संगीत और आधुनिक रॉक संगीत का फ्यूजन बैंड है।

1990 के दशक की शुरुआत में पूर्वोत्तर के युवाओं में बढ़ती नशाखोरी, उन्हें संगीत के माध्यम से बचाने और वनवासी लोकाचार को संरक्षित करने के लिए मोआ ने अपनी पत्नी अरेनला एम. सुबोंग के साथ इस बैंड की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य था- आधुनिक संगीत और नगा लोक कथाओं के बीच की खाई को पाटना। मोआ के हर गीत का एक अर्थ होता है, जबकि अरेनला नगालैंड की प्रमुख अनकही कहानियों को सुनाती और समझाती हैं।

61 वर्षीय मोआ ने वाद्य यंत्र ‘बमहम’ का आविष्कार भी किया है, जिसके लिए 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें पुरस्कृत किया था। ‘बमहम’ बांस से बना एक वाद्य है, जिसे बजाना बहुत आसान है। उन्होंने संगीत की नई शैली ‘होवे’ और ‘टिकजिक’ नामक एक वाद्य यंत्र का भी आविष्कार किया है। ‘होवे’ शैली नगा लोक धुन और आधुनिक धुन का एक मिला-जुला रूप है।

मोआ ने बैंड में नगा संगीतकारों को शामिल कर पीढ़ियों से चले आ रहे मौखिक आख्यानों का न सिर्फ सार निकाला, बल्कि पश्चिमी किस्सागोई के दौर में नगा लोककथाओं को फिर से लोगों के सामने प्रस्तुत किया।

61 वर्षीय मोआ ने वाद्य यंत्र ‘बमहम’ का आविष्कार भी किया है, जिसके लिए 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें पुरस्कृत किया था। ‘बमहम’ बांस से बना एक वाद्य है, जिसे बजाना बहुत आसान है। उन्होंने संगीत की नई शैली ‘होवे’ और ‘टिकजिक’ नामक एक वाद्य यंत्र का भी आविष्कार किया है। ‘होवे’ शैली नगा लोक धुन और आधुनिक धुन का एक मिला-जुला रूप है।

मोआ सुबोंग गायक, संगीतकार, गीतकार, नाटकार, पटकथा लेखक और नृत्य शिक्षक होने के साथ-साथ अभिनय, खेल और आडियो-वीडियो संपादन में भी विशेष रुचि रखते हैं।

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